SC ने जताया आश्चर्य, कहा- जब माल व दुकानें खोल दीं तो मंदिरों पर पाबंदी क्यों

सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन लगभग पूरी तरह खत्म होने के बाद धार्मिक स्थलों पर पाबंदी लगाने पर आश्चर्य जताया है। शीर्ष अदालत का मानना है कि धार्मिक स्थलों को लेकर भी एहतियात के साथ फैसला किया जाना चाहिए।

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Published on: 21 Aug 2020 5:10 PM GMT
SC ने जताया आश्चर्य, कहा- जब माल व दुकानें खोल दीं तो मंदिरों पर पाबंदी क्यों
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SC ने जताया आश्चर्य, कहा- जब माल व दुकानें खोल दीं तो मंदिरों पर पाबंदी क्यों

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन लगभग पूरी तरह खत्म होने के बाद धार्मिक स्थलों पर पाबंदी लगाने पर आश्चर्य जताया है। शीर्ष अदालत का मानना है कि धार्मिक स्थलों को लेकर भी एहतियात के साथ फैसला किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने जैन धर्म से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पर्यूषण पर्व मनाने की इजाजत देने के साथ ही महाराष्ट्र सरकार की रोक पर सवाल भी खड़ा किया।

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पैसे की बात पर सरकार का अलग रुख

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनब्लॉक के दौरान आर्थिक हितों से जुड़ी सारी गतिविधियों को महाराष्ट्र में इजाजत दे दी गई है। जब बात पैसे की आती है तो सरकार खतरा मोल लेने को तैयार है मगर जब धार्मिक स्थलों की बात आती है तो कहा जाता है कि कोरोना का संकट है। अदालत ने कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने जैन धर्मावलंबियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान की।

तीन जैन मंदिरों को खोलने की इजाजत

सुप्रीम कोर्ट ने दादर, बाइकूला और चेंबूर स्थित जैन मंदिरों को 22 और 23 अगस्त को खोलने की अनुमति दे दी। अदालत ने मंदिर प्रबंधन से कहा है कि वह अंडरटेकिंग दे कि कोरोना को लेकर सरकारी की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करेंगे।

सरकार के रुख पर खड़े किए सवाल

अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के रुख पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यदि आप गाइडलाइन और सभी सुरक्षा उपायों का पालन कर रहे हैं तो गतिविधियां क्यों नहीं होनी चाहिए। राज्य सरकार ऐसी हर गतिविधि के लिए अनुमति दे रही है जिसमें पैसा शामिल है, लेकिन मंदिरों की बात आने पर कहा जाता है कि कोविड है।

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अदालत ने साफ किया आदेश

अदालत ने यह भी साफ किया कि उसका यह आदेश सिर्फ इन्हीं तीनों मंदिरों के बारे में ही है और इसे अन्य सभी मंदिरों के बारे में न लागू माना जाए। गणेश चतुर्थी और अन्य उत्सवों के बारे में राज्य सरकार हर केस के मुताबिक फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आने वाला गणपति उत्सव पूरी तरह भिन्न है क्योंकि उसमें भीड़ बेकाबू हो जाती है।

सरकार किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं

महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रखते हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं राज्य के हितों की लड़ाई लड़ रहा हूं क्योंकि स्थिति को संभालने में काफी कठिनाई होगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कोरोना के आंकड़ों से ही पता चलता है कि राज्य में स्थिति गंभीर है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है। मैं खुद भी जैन हूं मगर राज्य के हितों को देखते हुए इस याचिका का विरोध कर रहा हूं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से फैसला राज्य सरकार पर छोड़ देने की अपील की।

नियमों का कड़ाई से पालन होगा

याचिकाकर्ता ट्रस्ट की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे ने पर्यूषण पर्व के मौके पर 5-5 के समूह में एक दिन में कुल 250 लोगों के मंदिर जाने की इजाजत मांगी थी। उनका कहना था कि मंदिर जाने के दौरान सारे नियम और एहतियात का कड़ाई से पालन किया जाएगा।

हाईकोर्ट ने नहीं दी थी अनुमति

इससे पहले बांबे हाईकोर्ट ने गत एक अगस्त को जैन समुदाय के लोगों को पर्यूषण पर्व की अवधि में मंदिरों में पूजा करने की अनुमति देने से मना कर दिया था। हाई कोर्ट का कहना था कि इस समय हर समझदार व्यक्ति का कर्तव्य धार्मिक कर्तव्यों के साथ ही सार्वजनिक कर्तव्यों को भी संतुलित करना है। इसके साथ ही हमें पूरी मानव जाति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी निभाना होगा। जैन ट्रस्ट की ओर से हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

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