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कर्नाटक चर्च ब्लास्ट: SC ने दोषी की अंतरिम जमानत को दी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक चर्च ब्लास्ट मामले के दोषी इजहार बेग को अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया है। बता दें कि, साल 2014 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इजहार बेग को राष्ट्रयविरोधी गतिविधियों में शामिल भटके हुए मुस्लिम युवा करार दिया था।

Shreya
Published on: 25 Dec 2019 3:39 PM IST
कर्नाटक चर्च ब्लास्ट: SC ने दोषी की अंतरिम जमानत को दी मंजूरी
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नई दिल्लीे: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक चर्च ब्लास्ट मामले के दोषी इजहार बेग को अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया है। बता दें कि, साल 2014 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इजहार बेग को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल भटका हुआ मुस्लिम युवा करार दिया था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने जून और जुलाई 2000 में इजहार बेग समेत 8 लोगों को राज्य में सिलसिलेवार धमाका करने के आरोप में दोषी करार दिया था।

हाईकोर्ट ने 8 दोषियों को सुनाई थी सजा

हाईकोर्ट ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में इन 8 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कर्नाटक हाईकोर्ट का कहना था कि, दोषियों के उम्रकैद की सजा से समाज में मौजूद भटके हुए लोगों की आंखें खोलेंगी।

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जस्टिस दीपक गुप्ताा की पीठ ने लिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ताा की पीठ ने इजहार बेग की एक महीने की अंतरिम जमानत को मंजूर कर लिया। पीठ ने कहा कि, अपराध की गंभीरता और दोषियों के अधिकारों के बीच संतुलन कायम रहना चाहिए। कोर्ट ने इजहार बेग को मां की तबियत खराब होने के आधार पर एक महीने की अंतरिम जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि, इजहार बेग 19 साल से ज्यादा वक्त से जेल में हैं। बेग की 70 वर्षीय मां हैं। जो मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर कई बीमारियों से जूझ रही हैं। इसलिए बेग की एक महीने की अंतरिम जमानत को मंजूर किया जा रहा है।

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इजहार बेग को रोज हाजिरी लगाने का निर्देश

इजहार बेग को कोर्ट की तरफ से रोजाना हैदराबाद के आसिफनगर पुलिस थाने में हाजिरी लगाने का निर्देश मिला है। साथ ही बेग को कोर्ट की अनुमति के बिना हैदराबाद से बाहर जाने को मना किया गया है। बता दें कि, दिसंबर 2014 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, दोषियों ने घृणित अपराध किया है। उनकी इस हरकत को माफ नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि, ऐसे भटके हुए मानसिकता वाले मुस्लिम युवाओं को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से दूर रखने के लिए सख्तऐ संदेश देना जरूरी है। ऐसे युवा से पूरे मुस्लिम समुदाय का नाम खराब होता है। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे भटके हुए और क्रूर मानसिकता के युवाओं को मुख्यमधारा में लाने पर काम करने की जरुरत है। किया जाए।

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