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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद, सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर आदेश रखा रिजर्व
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को अपनी मध्यस्थता में आपसी बातचीत से हल करने की पहल पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। विवाद से जुड़े प्रमुख पक्षकारों में सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत मुस्लिम पक्षकार और प्रमुख हिंदू पक्षकारों में से निर्मोही अखाड़ा कोर्ट की मध्यस्थता में बातचीत से विवाद को हल करने के लिए राजी हो गए हैं।
नई दिल्ली : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को अपनी मध्यस्थता में आपसी बातचीत से हल करने की पहल पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। विवाद से जुड़े प्रमुख पक्षकारों में सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत मुस्लिम पक्षकार और प्रमुख हिंदू पक्षकारों में से निर्मोही अखाड़ा कोर्ट की मध्यस्थता में बातचीत से विवाद को हल करने के लिए राजी हो गए हैं।
जानिए क्या चल रहा है कोर्ट में
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर आदेश रिजर्व रखा है। सुप्रीम कोर्ट में हिंदू सभा ने क्लियर स्टैंड रखा कि मध्यस्थता नहीं हो सकती है। महासभा ने कहा कि भगवान राम की जमीन है, उन्हें इसका हक नहीं है। इसलिए इसे मध्यस्थता के लिए न भेजा जाए। रामलला विराजमान का भी कहना था कि मध्यस्थता से मामले का हल नहीं निकल सकता। वहीं निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मध्यस्थता का पक्ष लिया।
अयोध्या मामला: मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। कोर्ट आदेश देगा कि मामला मेडिएशन के लिए भेजा जाए या नहीं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से मेडिएशन के लिए पैनल के नाम सुझाने को कहा है।
सुनवाई के दौरान रामलला के वकील ने कहा कि रामजन्म भूमि की जगह के मामले में हम समझौते के लिए तैयार नही हैं। हिन्दू, मस्जिद कहीं और बनाने के लिए फंड देने को तैयार है।
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अयोध्या विवाद दो पक्षों के बीच का विवाद नहीं बल्कि यह दो समुदायों से संबंधित है। हम उन्हें मध्यस्थता रेसोलुशन में कैसे बाध्य कर सकते हैं? ये बेहतर होगा कि आपसी बातचीत से मसला हल हो पर कैसे? ये अहम सवाल है।
मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार ने कहा मेडिएशन के लिए सबकी सहमति जरूरी नहीं। इस पर जज चंद्रचूड़ ने कहा कि यह विवाद दो समुदाय का है और सबको इसके लिए तैयार करना आसान काम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका मानना है कि अगर मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू होती है तो इसके घटनाक्रमों पर मीडिया रिपोर्टिंग पूरी तरह से बैन होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह कोई गैग ऑर्डर (न बोलने देने का आदेश) नहीं है बल्कि सुझाव है कि रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए।
यह ठीक नहीं होगा कि अभी कहा जाए कि इसका कोई नतीजा नहीं होगा। यह भावनाओं और विश्वास का टकराव है। यह दिल और दिमाग पाटने का सवाल है। हमें गंभीरता पता है। हमें पता है बाबरी का क्या हुआ। हम इस मामले को आगे देख रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट
यह जमीन का नहीं, भावनाओं से जुड़ा मुड़ा मामला है। दिल, दिमाग और भावनाओं का मुद्दा है। इससे राजनीति भी जुड़ी है। हम मामले में प्रतिफल चाहते हैं: सुप्रीम कोर्ट
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यह ठीक नहीं होगा कि अभी कहा जाए कि इसका कोई नतीजा नहीं होगा। यह भावनाओं और विश्वास का टकराव है। यह दिल और दिमाग पाटने का सवाल है। हमें गंभीरता पता है। हमें पता है बाबरी का क्या हुआ। हम इस मामले को आगे देख रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस बोबडे ने कहा, यह जमीन का नहीं, भावनाओं से जुड़ा मुड़ा मामला है। दिल, दिमाग और भावनाओं का मुद्दा है। इससे राजनीति भी जुड़ी है। हम मामले में प्रतिफल चाहते हैं।
जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि इसमें केवल एक मेडिएटर की जरूरत नहीं है बल्कि मेडिएटर्स का पूरा पैनल ही जरूरी है।
जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि इसमें केवल एक मेडिएटर की जरूरत नहीं है बल्कि मेडिएटर्स का पूरा पैनल ही जरूरी है।
जब हिंदू पक्ष ने कहा कि मध्यस्थता का कोई अर्थ नहीं होगा क्योंकि हिंदू इसे एक भावुक और धार्मिक मुद्दा मानते हैं तो न्यायमूर्ति एस ए बोबडे ने कहा कि हमने भी इतिहास पढ़ा है और अतीत पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। हम जो कर सकते हैं वह केवल वर्तमान के बारे में है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा कि हम मामले में प्रतिफल चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल जमीन से नहीं बल्कि लोगों की भावनाओं से जुड़ा मामला है।
सुनवाई के दौरान एक हिन्दू पक्षकार ने कहा कि मेडिएशन के लिए पब्लिक नोटिस जरूरी है।
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बता दें कि इससे पहले वीएचपी भी मध्यस्थता के जरिए मामले के समाधान का विरोध कर चुकी है। वीएचपी कैंप के संत और संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान है, लेकिन जितने समझौते के प्रयास हुए सब विफल हो चुके हैं। कट्टरवादी मुस्लिम राम जन्मभूमि पर समझौता करना नहीं चाहते। ऐसे में बेहतर यही होगा कि सुप्रीम कोर्ट ही प्राथमिकता के आधार इस पर फैसला दे।
इससे पहले पक्षकारों और संतों ने सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता के सुझाव को नकार दिया था। आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील ने मध्यस्थता का विरोध किया है।
पिछली सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष का कहना था कि पहले ही मध्यस्थता के प्रयास हो चुके हैं और मध्यस्थता की संभावना नहीं है।
राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस को आपसी मध्यस्थता से सुलझाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस यह हिंदू महासभा के वकील अपना पक्ष कोर्ट में रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट आज बताएगा कि इस मामले का हल मध्यस्थता से होगा या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है।
पिछली सुनवाई में अयोध्या मामले में मध्यस्थता पर मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने कहा था कि वह इसके लिए प्रयास कर सकते हैं।
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि दोनों पक्षकार बातचीत का रास्ता निकालने पर विचार करें। अगर एक फीसदी भी बातचीत की गुंजाइश है तो उसका प्रयास होना चाहिए।
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कोर्ट ने कहा था कि दोनों पक्ष इस मामले में कोर्ट को अपने मत से अवगत कराएं। अब आज कोर्ट इस मामले में आगे का फैसला करेगी।