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BBC डॉक्यूमेंट्री पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार से तीन हफ्तों में मांगा जवाब
BBC Documentary Row: गुजरात दंगों पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर रोक का मामल में सर्वोच्च न्यायालय सरकार से तीन हफ्तों में जवाब मांगा।
BBC Documentary Row: साल 2002 के गुजरात दंगों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर लगे बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने इस पर केंद्र सरकार को नोटिसा जारी किया है। केंद्र को तीन हफ्ते में इसका जवाब देना है। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
गौरतलब है कि टीएमसी सांसद महुओ मोइत्रा, वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इनकी तरफ से सीनियर वकील सीयू सिंह ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने का सरकार का फैसला मनमाना और असंवैधानिक है।
कब लगा था बैन ?
BBC ने 17 जनवरी को गुजरात दंगों पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। लेकिन इससे पहले ही भारत सरकार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत में रिलीज होने से रोक दिया था। केंद्र सरकार ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को डॉक्यूमेंट्री से जुड़े लिंक हटाने के निर्देश दिए थे। 21 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री के भारत में प्रसारण पर रोक लगा दी गई।
मंत्रालय ने कंटेंट ब्लॉक करने के दिए आदेश
आपको बता दें कि, बीते दिनों सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) ने कथित तौर पर संबंधित कंटेंट (BBC documentary) को ब्लॉक करने के लिए YouTube और Twitter सहित तमाम सोशल मीडिया साइटों को आदेश जारी किया था। इसमें केंद्र सरकार ने मुख्य रूप से डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के निर्देश दिए थे। इसी के बाद हंगामा शुरू हुआ था।
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जानें किस-किस ने दाखिल की है याचिका?
बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर एमएल शर्मा ने दाखिल याचिका में सरकार के फैसले को मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक बताया है। शीर्ष अदालत से डॉक्यूमेंट्री के कंटेंट की जांच की मांग की गई है। साथ ही, 'दंगों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों' के खिलाफ भी जांच की मांग की गई है। बताया जा रहा है कि कोर्ट में एक याचिका एमएल शर्मा (ML Sharma) द्वारा, दूसरी याचिका जर्नलिस्ट एन राम (Journalist N Ram) और वकील प्रशांत भूषण (Advocate Prashant Bhushan)द्वारा, जबकि तीसरी याचिका टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) द्वारा दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकार अपनी आपातकालीन शक्तियां का इस्तेमाल कर ट्वीट और क्लिप को ब्लॉक कर रही है। पत्रकार एन. राम और वकील प्रशांत भूषण के ट्वीट डिलीट कर दिए गए।