×

आरक्षण पर बड़ी बहस: कोटा के अंदर कोटा, आखिर क्या होगा इस पर फैसला

आरक्षण मामले में बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समाज में हो रहे बदलाव पर विचार किए बिना हम सामाजिक परिवर्तन के संवैधानिक गोल को नहीं पा सकते हैं।

Newstrack
Published on: 28 Aug 2020 7:20 AM GMT
आरक्षण पर बड़ी बहस: कोटा के अंदर कोटा, आखिर क्या होगा इस पर फैसला
X
आरक्षण पर बड़ी बहस: कोटा के अंदर कोटा, आखिर क्या होगा इस पर फैसला

नई दिल्ली: आरक्षण मामले में बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समाज में हो रहे बदलाव पर विचार किए बिना हम सामाजिक परिवर्तन के संवैधानिक गोल को नहीं पा सकते हैं। कोर्ट ने इस मुद्दे पर 7 जजों की संवैधानिक बेंच के गठन के बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के उप-वर्गीकरण के मुद्दे पर जबरदस्त बहस छिड़ गई। कि क्या कोटा के अंदर कोटा दिया जा सकता है।

ये भी पढ़ें... योगी सरकार ने माफियाओं की तोड़ी कमर, अब तक इतने करोड़ की संपत्ति जब्त

एससी-एसटी और अन्य बैकवर्ड क्लास

ऐसे में समाज में जो परिवर्तन हो रहे हैं उन पर विचार किए बिना हम सामाजिक परिवर्तन के संवैधानिक गोल को नहीं पा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाख टके का सवाल ये है कि कैसे रिजर्वेशन का लाभ निचले स्तर तक पहुंचाया जाए।

साथ ही इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट के सामने ये सवाल था कि क्या एससी व एसटी वर्ग के अंदर राज्य सरकार सब श्रेणी बना सकती है। 2004 के फैसले में कहा गया था कि राज्य को सब कैटगरी बनाने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने अपने इस अहम फैसले में कहा कि कई जाति अभी भी वहीं हैं जहां थीं और ये सच्चाई है।

आगे कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी और अन्य बैकवर्ड क्लास में भी विषमताएं हैं और इस वजह से सबसे निचले स्तर पर जो मौजूद हैं उन्हें माकूल लाभ नहीं मिल पाता है। राज्य सरकार ऐसे वर्ग को लाभ से वंचित नहीं कर सकती है।

COURT

ये भी पढ़ें...चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग के लिए तैयार ISRO, मिशन सफल बनाने के लिए की खास तैयारी

राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार, सबश्रेणी का कैसे नहीं

इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि राज्य सरकार यदि इस तरह की सबश्रेणी बनाती है तो वह संवैधानिक प्रावधान के खिलाफ नहीं है। आगे कोर्ट ने सवालिया अंदाज में कहा कि जब राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार है तो उसे सबश्रेणी व वर्ग बनाने का अधिकार कैसे नहीं हो सकता है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि रिजर्वेशन या आरक्षण देने का राज्य सरकार को अधिकार है और वह उप जातियां बनाकर भी लाभ दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने कहा कि 2004 का फैसला उनके मत के विपरीत है लिहाजा 2004 के फैसले पर दोबारा विचार की जरूरत है।

हालाकिं ऐसे में अब मामले को 7 जज या उससे बड़ी बेंच के सामने भेजा जाए। जब चीफ जस्टिस इस मसले पर बड़ी बेंच का गठन करेंगे तो वह बेंच दोनों फैसलों पर पूरी सुनवाई करेगी। वे ही तय करेंगे की इस मामले में क्या करना है।

ये भी पढ़ें...SC का बड़ा फैसला: UGC परीक्षा को मिली इजाजत, इस दिन होगा एग्जाम

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story