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सुप्रीम कोर्ट का बॉम्बे HC के फैसले पर स्टे, यौन उत्पीड़न पर कही थी ये बात

जज पुष्पा गनेडीवाला ने अपने फैसले में कहा था कि यौन उत्पीड़न की घटना मानने के लिए यौन इच्छा के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसी फैसले पर स्टे लगा दिया है।

Shreya
Published on: 27 Jan 2021 8:47 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट का बॉम्बे HC के फैसले पर स्टे, यौन उत्पीड़न पर कही थी ये बात
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सुप्रीम कोर्ट का बॉम्बे HC के फैसले पर स्टे, यौन उत्पीड़न पर कही थी ये बात

नई दिल्ली: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) के एक विवादास्पद आदेश पर स्टे लगा दिया है। बॉम्बे HC ने 19 जनवरी को एक अभियुक्त को बरी करने के दौरान अपने एक फैसले में कहा था कि त्वचा से त्वचा का संपर्क हुए बिना नाबालिग पीड़िता के सीने पर हाथ लगाना पोक्सो (POCSO) के तहत यौन हमला नहीं कहा जा सकता।

क्या था बॉम्बे हाई कोर्ट का निष्कर्ष?

जज पुष्पा गनेडीवाला ने अपने फैसले में कहा था कि यौन उत्पीड़न की घटना मानने के लिए यौन इच्छा के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसी फैसले पर स्टे लगा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पोक्सो के तहत बॉम्बे HC के आदेश का जिक्र किया और कहा कि यह बेहद परेशान करने वाला फैसला है।

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sexual-assault (photo- social media)

सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात

उन्होंने कहा कि आपको इस पर ध्यान देना चाहिए। आप इसका खुद संज्ञान लें या फिर मैं इस पर याचिका दायर करूंगा। इसके बाद SC ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया, जिसमें यौन घटना के लिए त्वचा से त्वचा का संपर्क जरूरी बताया गया था।

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पोक्सो कानून के तहत यौन हमले की परिभाषा

अगर पोक्सो कानून के तहत यौन हमले की परिभाषा की बात की जाए तो इस एक्ट के तहत यौन इच्छा के साथ बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स, वक्ष को छूता है या फिर बच्चे से अपना या किसी अन्य व्यक्ति के निजी अंग को छुआता है या फिर यौन इच्छा के साथ कोई अन्य काम करता है, जिसमें संभोग किए बगैर यौन मंशा से शारीरिक संपर्क शामिल हो, उसे यौन हमला कहा जाता है।

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