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CBI कस्टडी से सोना गायब? अधिकारियों में मचा हड़कंप, कोर्ट ने दिए ये आदेश

सीबीआई की सेफ कस्टडी से अचानक करीब 45 करोड़ रुपये का सोना गायब हो गया। यह सोना सीबीआई ने एक छापेमारी के दौरान जब्त किया था। अब इस मामले की जांच हाई कोर्ट ने सीबी-सीआईडी को सौंपी है।

Shreya
Published on: 12 Dec 2020 11:13 AM IST
CBI कस्टडी से सोना गायब? अधिकारियों में मचा हड़कंप, कोर्ट ने दिए ये आदेश
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CBI कस्टडी से सोना गायब? अधिकारियों में मचा हड़कंप, कोर्ट ने दिए ये आदेश

चेन्नई: बड़ी खबर इस वक्त सामने आ रही है कि सीबीआई (CBI) की सेफ कस्टडी से करीब 103 किलोग्राम से अधिक का सोना गायब हो गया है। बताया जा रहा है कि सीबीआई ने तमिलनाडु (Tamil Nadu) में छापेमारी के दौरान 103 किलोग्राम से ज्यादा का सोना जब्त किया था, जिसकी कीमत करीब 45 करोड़ रुपये है। इस सोने को CBI की सेफ कस्टडी में रखा गया था, लेकिन कस्टडी से यह सोना गायब हो चुका है। अब मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने इस मामले की जांच तमिलनाडु सीबी-सीआईडी को सौंपी है।

चेन्नई के सुराना कॉर्पोरेशन लिमिटेड के ऑफिस में मारी थी रेड

जानकारी के लिए आपको बता दें कि करीब आठ साल पहले 2012 में CBI की टीम ने चेन्नई के सुराना कॉर्पोरेशन लिमिटेड के ऑफिस में छापेमारी की थी। उस दौरान टीम ने वहां से सोने की ईंट और गहने जब्द किए थे। जो कि करीब 400.5 किलोग्राम सोना था। जब्त करने के बाद इस सोने को सीलकर सीबीआई की सेफ कस्टडी में रखा गया था, लेकिन अब अचानक से कस्टडी से करीब 103 किलोग्राम से अधिक का सोना गायब हो गया है।

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CBI CUSTODY (फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)

सीबीआई ने किया यह दावा

वहीं इस बारे में सीबीआई ने जानकारी दी है कि सेफ और वॉल्ट्स की 72 चाबियों को चेन्नई की प्रिसिंपल स्पेशल कोर्ट को सौंप दिया गया था। CBI ने यह दावा किया है कि छापेमारी के दौरान जब टीम ने सोना जब्त किया था तो उस दौरान सोन को एक साथ लिया गया था, जबकि एसबीआई और सुराना के बीच कर्ज के मामले के निस्तारण के लिए नियुक्त किए गए लिक्विडेटर को सौंपे जाने के समय अलग-अलग वजन किया गया। इसी वजह से सोने के वजन में अंतर देखने को मिल रहा है।

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छह महीने के अंदर जांच करने के निर्देश

अब इस मामले की जांच को तमिलनाडु सीबी-सीआईडी को सौंपा गया है। जस्टिस प्रकाश ने सीबीआई की दलील को खारिज कर दिया और इस मामले की जांच CB-CID को सौंपने का आदेश दिया है। जिसके बाद एसपी रैंक के अधिकारी की अगुवाई में सीबी-सीआईडी जांच करेगी। जस्टिस प्रकाश ने मामले की जांच छह महीने के अंदर करने का निर्देश दिया है और कहा कि स्थानीय पुलिस द्वारा जांच कराने से प्रतिष्ठा खराब हो सकती है।

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