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वादों की गठरी के अलावा भी क्या द्रमुक का पलड़ा भारी है इस बार
स्टालिन का घोषणापत्र हिंदुओं को खुश करने का प्रयास भी करता है, क्योंकि इसमें पुराने मंदिरों के नवीकरण के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वादा है और तीर्थयात्रा के लिए हर साल 25,000 से एक लाख लोगों ले जाने का वादा है।
रामकृष्ण वाजपेयी
तमिलनाडु का चुनावी समर सज गया है। मजबूती से गठबंधन कर दिए गए हैं, निर्वाचन क्षेत्रों को तय कर लिया गया है और उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है। 6 अप्रैल को तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले वादों के स्कोर बनाने वाले घोषणापत्र आ चुके हैं। ओपिनियन पोल को यदि मानें तो अभी तक के ओपिनियन पोल में द्रमुक की सरकार बनने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन जंग अभी बाकी है। मतदाता जो भाग्यविधाता है उसको कौन भाता है यह देखना महत्वपूर्ण है।
भाजपा और कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी निगाह
राज्य में यह महासंग्राम अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) के अध्यक्ष एमके स्टालिन के बीच किसी एक की जीत पर खत्म होना है। इसके अलावा इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी निगाह रहेगी। खासतौर पर जहां वे सीधी लड़ाई में हैं।
दोनों राष्ट्रीय दलों की स्थिति यहां छोटे भाई की है जिन्होंने अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के रूप में बड़े भाइयों सो मचलकर रो गाकर सीटों के आवंटन का निचोड़ हासिल किया है, लेकिन इन्हें कम से कम मुट्ठी भर जीत की दरकार है, अगर द्रविड़ मैदान पर पैर जमाने की भगवा योजना को साकार करना है तो भाजपा को और लुप्त होती कांग्रेस को भी यहां संजीवनी मिलने की आस में जीत चाहिए। हालांकि कांग्रेस यहां अपने कई गुटों और नेतृत्व के संकट से जूझती दिखती है।
परिवारों को मुफ्त 'अम्मा' वाशिंग मशीन
हमेशा की तरह, सभी दलों ने मतदाताओं के लिए सपने को साकार करने की कोशिश की। सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक का कहना है कि यदि वह फिर से सत्ता में आती है, तो सभी परिवारों को मुफ्त 'अम्मा' वाशिंग मशीन देगी, प्रति परिवार कम से कम एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देगी, हर घर को छह गैस सिलेंडर मुफ्त देगी और जिनके पास अपना घर नहीं है ऐसे लोगों को मुफ्त घर 'अम्मा' आवास योजना देने की योजना है। अन्य वादों में शिक्षा ऋण की माफी भी शामिल है।
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उधर स्टालिन ने हर महिला परिवार के मुखिया को 1,000 रुपये प्रति माह, बेरोजगारी को खत्म करने के लिए हर साल 10 लाख नौकरियां देने, मूल निवासी के लिए नौकरियों में 75% आरक्षण, मेडिकल सीटों के लिए एनईईटी को खत्म करने, राज्य की शिक्षा को समवर्ती सूची से वापस लाने का वादा किया है। और कई अन्य वादों के साधन ईंधन गैस और दूध के लिए मूल्य में कटौती का वादा है।
मक्क्ली नीडि माअम (MNM) महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश
बीते जमाने के सुपर स्टार कमल हासन की मक्क्ली नीडि माअम (MNM) ने महिला मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश की है, यहां तक कि DMK और AIADMK दोनों घोषणापत्रों में मातृत्व अवकाश को 12 महीने (अब नौ महीने से) बढ़ाने का वादा किया गया है।
स्टालिन का घोषणापत्र अन्नाद्रमुक नेतृत्व झटका देने वाला है क्योंकि इसने समाज के लगभग हर वर्ग को अनंत सुखों के वादों से लबालब कर दिया है। इसके अलावा, उन्होंने सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिए 10 साल की परियोजना का भी वादा किया है और गरीबी रेखा से नीचे कोई नहीं होगा।
हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री जीएस वासन ने कहा, "झूठे वादों का यह घोषणापत्र सिर्फ वोटों के लिए बनाया गया है और इसे जनता द्वारा गंभीरता से नहीं लिया जाएगा।" सत्तारूढ़ दल की सहयोगी तमिल मनीला कांग्रेस प्रमुख को भी भरोसा है कि अन्नाद्रमुक के घोषणापत्र के दम पर द्रमुक का चुनावी घोषणापत्र मतदाता के दिमाग से निकल जाएगा।
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डीएमके ने ये वादा भी किया है कि उस के सत्ता में वापस आने पर वर्तमान शासन के कुछ प्रमुख मंत्री जेल में होंगे। पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में वादा किया गया है कि राज्यपाल को हाल ही में द्रमुक प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपे गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए विशेष अदालतें गठित की जाएंगी।
स्टालिन का घोषणापत्र हिंदुओं को खुश करने का प्रयास
स्टालिन का घोषणापत्र हिंदुओं को खुश करने का प्रयास भी करता है, क्योंकि इसमें पुराने मंदिरों के नवीकरण के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वादा है और तीर्थयात्रा के लिए हर साल 25,000 से एक लाख लोगों ले जाने का वादा है। गाँव के पुजारियों के लिए वेतन में वृद्धि करता है, और पुरातन (पुरोहित) 205 आरचरों को नौकरी देता है। जिन्होंने आवश्यक प्रशिक्षण लिया लेकिन पिछले 14 वर्षों से बेरोजगार हैं। अपने घोषणा पत्र के द्वारा, द्रमुक प्रमुख भाजपा-अन्नाद्रमुक अभियान को बेअसर करने की उम्मीद करते हैं।
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इस साल जनवरी से लेकर 15 मार्च तक चार ओपिनियन पोल आ चुके हैं जिनमें कमोवेश 154 से 169 सीटों के बीच मिलने की उम्मीद जतायी गई है। जबकि एआईएडीएमके के 53 से 68 सीटों के बीच सिमटने की संभावना जताई गई है। अन्य दलों को एक से दस सीटों के बीच सभी ओपिनियन पोल्स ने समेट दिया है। ऐसे में तमिलनाडु के चुनाव काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
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