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आतंकवाद फंडिंग में रेल टिकटों की कालाबाजारी का इस्तेमाल , इस तरह हुआ पर्दाफाश

‘तत्काल’ रेल टिकटों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के दूसरे चरण में रेल सुरक्षा बल ने अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों का एक और गिरोह का पर्दाफाश किया है, ये काम अवैध सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जाती है।

suman
Published on: 19 Feb 2020 5:08 AM GMT
आतंकवाद फंडिंग में रेल टिकटों की कालाबाजारी का इस्तेमाल , इस तरह हुआ पर्दाफाश
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railway ticket booking

नई दिल्ली: ‘तत्काल’ रेल टिकटों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के दूसरे चरण में रेल सुरक्षा बल ने अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों का एक और गिरोह का पर्दाफाश किया है, ये काम अवैध सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जाती है। जो क्रिप्टो करंसी और हवाला के माध्यम से पैसा विदेश भेजकर उसका इस्तेमाल आतंकवाद के फंडिंग के लिए होता है। पकड़े गए एजेंट एएनएमएस, मैक और जगुआर जैसे अवैध सॉफ्टवेयर की मदद से आईआरसीटीसी के लॉगिन कैप्चा, बुकिंग कैप्चा और बैंक ओटीपी की बाईपास करके सेकेंडों में टिकटों की बुकिंग कर लेते थे।

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वहीं एक सामान्य ग्राहक के लिए बुकिंग प्रक्रिया में आमतौर पर लगभग 2.55 मिनट लगते हैं, लेकिन ऐसे सॉफ्टवेयरों का उपयोग करने वाले इसे लगभग 1.48 मिनट में पूरी कर लेते हैं।पिछले दो महीनों में आरपीएफ ने 59 के करीब बड़े बुकीज को पकड़ा है, जो इन सॉफ्टवेयरों के जरिए टिकट की कालाबाजारी करवाते थे। इस बड़े पैमाने पर चलाये गए अभियान के बाद आरपीएफ़ का दावा है कि आज के दिन अवैध सॉफ्टवेयरों के जरिए एक भी टिकट नहीं बुक किया जा रहा है।

बड़ा सरगना कोलकाता से दबोचा

गिरफ्तार दलालों में सबसे बड़ा सरगना कोलकाता से दबोचा गया है। जयंत पोद्दार नाम के इस आरोपी क्रिप्टो करंसी और हवाला (मनी लॉन्ड्रिंग) के जरिए पैसा विदेश भेज रहा था जो सिफा इंटरप्राइजेज से जुड़ा था। इसी तरह वाईफाई सॉल्युसंस से जुड़े राजेश यादव के पास से 23 करोड़ रुपये का ट्रांस्जेक्शन पाया गया।आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि इस गिरोह के पास उपलब्ध उन्नत तकनीक था। उन्होंने बताया कि साफ्टवेयर से टिकट की कालाबाजारी करने वाले 59 लोगों की गिरफ्तारी कर पूछताछ की जा रही है।

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4493 टिकट बुक किया गया

ग्राहक के लिए बुकिंग प्रक्रिया में आमतौर पर लगभग 2.55 मिनट लगते हैं, लेकिन ऐसे सॉफ्टवेयरों का उपयोग करने वाले इसे लगभग 1.48 मिनट में पूरी कर लेते हैं।पिछले दो महीनों में आरपीएफ ने 59 के करीब बड़े बुकीज को पकड़ा है, जो इन सॉफ्टवेयरों के जरिए टिकट की कालाबाजारी करवाते थे। इस बड़े पैमाने पर चलाये गए अभियान के बाद आरपीएफ़ का दावा है कि आज के दिन अवैध सॉफ्टवेयरों के जरिए एक भी टिकट नहीं बुक किया जा रहा है।

फंड मैनेजिंग का काम राजेश यादव का था जो शमशेर के साथ मिलकर धंधा चलाता था। हामिद और शमशेर को आरपीएफ की टीम ने लखनऊ से दबोचा है। इसके अलावा सत्यवान उपाध्याय उर्फ बाबा को मुंबई से दबोचा गया। अरुण कुमार ने बताया कि मैक साफ्टवेयर से सबसे ज्यादा टिकट का कालाबाजारी की जा रही थी। इस साफ्टवेयर से बुक कराया गया 4493 टिकट बुक किया गया था। 8 फरवरी तक मैक के माध्यम से टिकट बुक किया गया।

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टिकट की कालाबाजारी करने वाले आरोपियों के तार कोलकाता, बंगलूरू, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद, शिलांग और जोधपुर से जुड़े हुए है। आरपीएफ ने इन जगहों से 59 दलालों को गिरफ्त में लिया है। आम तौर पर टिकट बुकिंग की पूरी प्रक्रिया में तीन मिनट तक का समय लगता है। लेकिन इस गिरोह ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया था जिससे एक मिनट में तीन टिकट बुक हो जाते हैं। यानी कई यात्रियों के टिकट एक मिनट में ही बुक होते थे जिसके वजह से तत्काल टिकट काउंटर पर एक से चार मिनट के भीतर ही सभी टिकट बुक होने की बात बता कर लाइन में लगे लोगों को वेटिंग टिकट दिया जाने लगता था।

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