TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

चंद्रयान-2 की थर्मल इमेज! जाने आखिर क्या होती है ये इमेज

चंद्रयान 2 को लेकर देश के लिए बहुत खुशी की खबर है। खुशी की खबर ये है कि इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने कहा है कि लैंडर विक्रम की लोकेशन का पता लगा लिया गया है। हालांकि उन्‍होंने ये भी माना है कि फिलहाल इससे संपर्क नहीं हो पाया है, लेकिन वैज्ञानिक इसके लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 7 April 2023 2:13 PM IST
चंद्रयान-2 की थर्मल इमेज! जाने आखिर क्या होती है ये इमेज
X
चंद्रयान-2 की थर्मल इमेज! जाने आखिर क्या होती है ये इमेज

नई दिल्ली : चंद्रयान 2 को लेकर देश के लिए बहुत खुशी की खबर है। खुशी की खबर ये है कि इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने कहा है कि लैंडर विक्रम की लोकेशन का पता लगा लिया गया है। हालांकि उन्‍होंने ये भी माना है कि फिलहाल इससे संपर्क नहीं हो पाया है, लेकिन वैज्ञानिक इसके लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि ऑर्बिटर के जरिए इसकी लोकेशन का पता चल पाया है।

विक्रम लैंडर का पता चला

ये ऐसी तकनीक है जिसके जरिए इसकी लोकेशन का पता लगाया गया है। इसरो की तरफ से जो जानकारी सामने आई है उसके हिसाब से ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की थर्मल इमेज क्लिक की है। इस खबर से साथ ही एक बात और पक्की हो गई है कि विक्रम चांद की सतह पर लैंड करने के बाद ही किसी हादसे का शिकार हुआ है।

ISRO Vikram Lander

यह भी देखें… करोड़ो के दिलों में आशा भरती हैं खुशियां, फिर टुकड़ों में भी नहीं नसीब इनको

कैसे मिली लोकेशन

चंद्रयान-2 के विक्रम और ऑर्बिटर दोनों में ही हाई-रिजोल्‍यूशन कैमरे लगे हुए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि ऑर्बिटर एक साल तक चांद के चक्‍कर लगाता रहेगा। इस दौरान वह थर्मल इमेजेज कैमरे की मदद से चांद की थर्मल इमेज भी लेगा और इसको धरती पर इसरो के मिशन कंट्रोल रूम को भेजेगा।

असल में इस तरह के कैमरे किसी एक चीज से उत्‍पन्‍न गर्मी का पता लगाते हुए उसकी थर्मल इमेज तैयार करते हैं। हर चीज का अपना अलग तापमान होता है। इसका ही उपयोग इस थर्मल इमेज के लिए होता है।

कैमरे से निकली किरणें इस जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में बदल देती हैं। इंफ्रारेड कैमरे और थर्मल इमेजेज कैमरे में एक बुनियादी फर्क ये होता है कि इंफ्रारेड कैमरे रोशनी के जरिए किसी चीज का पता लगाते हैं जबकि थर्मल इमेजेज कैमरे इससे भी आगे जाकर किसी चीज को तलाश कर सकते हैं।

यह भी देखें… बर्गर सस्ता-चालान महँगा! चालक की हालत हो गई ख़राब

थर्मल इमेज

थर्मल इमेज को देखते हुए, लक्ष्य के सारे तापमान वितरण को मापना संभव है। और लक्ष्य की चीज की गर्मी का अध्ययन करने के लिए, ताकि अगले स्टेप का न्याय किया जा सके। विकिरण का पता लगाने और मापने के लिए ऑप्टोइलेक्ट्रोनिक उपकरणों का उपयोग करके आधुनिक थर्मल इमेजर काम करता है। विकिरण और सतह के तापमान के बीच अंतर संबंध स्थापित करता है।

निरपेक्ष शून्य (-273 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर सभी वस्तुएं अवरक्त विकिरण का उत्सर्जन करती हैं। थर्मल इमेजर इन्फ्रारेड डिटेक्टर और ऑप्टिकल इमेजिंग वर्जन लेंस का इस्तेमाल इन्फ्रारेड थर्मल इमेज, थर्मल इमेज की थर्मल इमेज और थर्मल इमेज को प्राप्त करने के लिए इन्फ्रारेड डिटेक्टर के सहज तत्व पर परिलक्षित होने के लक्ष्य के अवरक्त विकिरण ऊर्जा वितरण पैटर्न को स्वीकार करने के लिए करता है। वस्तु की सतह के अनुरूप।

आपको बता दें कि सन् 1800 में पहली बार सर विलियम हेर्सल ने इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम की खोज की थी। हेर्सल एक खगोलविद थे और उन्होंने कई दूरबीनों का निर्माण किया था। उन्‍होंने ही स्‍पेक्‍ट्रम से निकलने वाली अलग-अलग रंगों की रोशनियों के तापमान को मापा था।

यह भी देखें... आशा के कुछ ऐसे नगमें, जो ताजा कर देगें बीते लम्हों की दिलचस्प यादें



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story