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कोरोना का बढ़ता असर: हो रहा और जानलेवा, अब दिख रहा मस्तिष्क पर भी प्रभाव

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ. दीपक कुमार सिंह ने बताया कि अब कोरोना संक्रमण का असर अब मस्तिष्क पर पड़ रहा है।

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Published on: 16 Nov 2020 10:34 AM GMT
कोरोना का बढ़ता असर: हो रहा और जानलेवा, अब दिख रहा मस्तिष्क पर भी प्रभाव
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कोरोना का बढ़ता असर: हो रहा और जानलेवा, अब दिख रहा मस्तिष्क पर भी प्रभाव photo (social media)

लखनऊ : देश भर में कोरोना के मामले दिन पर दिन बढ़ते नजर आ रहे हैं। अब कोरोना के इस संक्रमण से एक बात पता चली है। जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। आपको बता दें कि वैज्ञानिकों के शोध से एक बात पता चली है कि कोरोना का यह संक्रमण अब दिमाग पर भी असर डाल रहा है। आपको बता दें कि अब मस्तिष्क की उम्र भी कम होना शुरू हो गई है।

संक्रमण का असर मस्तिष्क पर डाल रहा

कोरोना संक्रमण से जुडी एक बुरी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि कोरोना पहले फेफड़ो पर डालता था लेकिन अब फेफड़ो के साथ साथ दिमाग पर भी असर डालने लगा है। कोरोना संक्रमण देखते - देखते काफी खतरनाक होता जा रहा है। आपको बता दें कि वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि अब मस्तिष्क की उम्र 5 साल कम हो जाएंगी। कोरोना संक्रमण से इस तरह की तकलीफ देखने को मिल रही है।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के हेड ने कही बात

लखनऊ के जाने माने राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ. दीपक कुमार सिंह ने बताया कि अब कोरोना संक्रमण का असर अब मस्तिष्क पर पड़ रहा है। डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि मस्तिष्क की उम्र घटना किसी के लिए भी अच्छा नहीं है। आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण से अल्जाइमर, पार्किंसन और डिमेंशिया जैसी दिक्कतें सामने आ सकती हैं । राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ ने बताया कि कोरोना संक्रमित से स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ता है।

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स्ट्रोक का खतरा मस्तिष्क पर दिख रहा

कोरोना संक्रमण के बढ़ते बदलाव को देखते हुए राम मनोहर लोहिया के अस्पताल के हेड ने बताया कि इस बीमारी का खतरा काफी तेजी से बढ़ रहा है। आपको बता दें कि बीमारी से कई तरह के खतरे बढ़ रहे हैं। इस स्ट्रोक का खतरा मस्तिष्क पर काफी तेजी से पड़ रहा है। आपको बता दें कि डॉ. दीपक ने कहा कि वायरस सीधे तौर पर मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं पर हमला कर रहा है। इससे नसो में खून के थक्के बनने लगते हैं। आपको बता दें कि इंडोलिथिम नसों में खून को जमने नहीं देती है। अगर मरीज को 4 घंटे के अंदर इंजेक्शन नहीं दिया गया तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है।

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