×

टूलकिट मामलाः शांतनु-निकिता को 15 तक राहत, दिल्ली पुलिस के सबूत पर्याप्त नहीं?

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को टूलकिट मामले में शांतनु मुलुक और निकिता जैकब को बड़ी राहत देते हुए 15 मार्च तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।

Shivani Awasthi
Published on: 9 March 2021 3:21 PM GMT
टूलकिट मामलाः शांतनु-निकिता को 15 तक राहत, दिल्ली पुलिस के सबूत पर्याप्त नहीं?
X

नई दिल्ली- किसान आंदोलन से जुड़े विवादित टूलकिट मामले (Toolkit Case) में आधे अधूरे सबूतों के लिए दिल्ली पुलिस की लगातार किरकिरी हो रही है मंगलवार को शांतनु मुलुक (Shantanu Muluk) और मुंबई की वकील निकिता जैकब (Nikita Jacob) को 15 मार्च तक गिरफ्तारी से राहत मिल गई है। उधर इस मामले की एक अन्य आरोपी दिशा रवि को पहले ही जमानत मिल चुकी है। इसके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट शुभम कर सेंधुरी को पहले ही दस दिन की अग्रिम जमानत दे चुका है।

दिल्ली पुलिस के गले की फांस बना टूलकिट मामला

टूलकिट मामला दिल्ली पुलिस के गले की फांस बन गया है। दिशा रवि मामले में उसकी सबसे ज्यादा फजीहत तब हुई जब अदालत ने उससे पूछा था कि अगर मैं मंदिर में दान के लिए डकैत से संपर्क करता हूं तो आप कैसे कहेंगे डकैती में मै भी शामिल था।

ये भी पढ़ेँ-10 मार्च को नीति आयोग पेश करेगा दीर्घकालीन विकास का तीसरा संस्करण

कोर्ट ने दी शांतनु मुलुक और निकिता जैकब को राहत

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को इस मामले में शांतनु मुलुक और निकिता जैकब द्वारा बनाई गई 'टूलकिट' को लेकर अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई तो स्थगित कर दी। लेकिन कोर्ट ने उनकी अंतरिम सुरक्षा बढ़ाने के लिए आदेश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक जैकब और मुलुक दोनों के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दोनों की अग्रिम जमानत याचिका पर एक साथ सुनवाई के बाद मामले को स्थगित कर दिया है। अब अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी।

Nikita Jacob

15 मार्च तक नहीं हो सकेगी गिरफ्तारी

एडवोकेट सरिन्द नावेद के साथ एडवोकेट वृंदा ग्रोवर शांतनु मुलुक की ओर से पेश हुए, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन निकिता जैकब की ओर से पेश हुईं।

दोनो वकीलों वृंदा ग्रोवर और रेबेका जॉन ने दिल्ली पुलिस की टिप्पणियों पर जवाब दाखिल किया। इसके साथ ही उन्होंने अदालत से मामले को स्थगित करने का आग्रह किया था, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।

ये भी पढ़ेँ-महाराष्ट्र में लॉकडाउन! उद्धव सरकार की अहम बैठक, हो सकता है बड़ा एलान

गौतरलब है कि शांतनु और निकिता दोनों को 16 और 17 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्रमशः दस दिन और तीन सप्ताह की ट्रांजिट अंतरिम राहत दी थी। इसकी समयसीमा समाप्त होने को ध्यान में रखकर उन्होंने अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की। जिस पर एक साथ सुनवाई के बाद मामले को 15 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। अदालत ने इस तारीख तक उन्हें कठोर कार्रवाई से राहत दी है।

दावा -निकिता और शांतनु पुलिस जांच में कर रहे सहयोग

निकिता जैकब और शांतनु पुलिस से सहयोग कर रहे हैं। 22 फरवरी को टूलकिट एफआईआर के संबंध में वह जांच में शामिल हुए थे। वहीं मामले में पूछताछ के उद्देश्य से दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के द्वारका कार्यालय के समक्ष भी दोनों उपस्थित थे।

PM Modi Educated Spreading Terrorism Statement Indicates disha ravi nikita jacob and Shantanu

शुभम कर चन्धुरी को 10 दिनों की अग्रिम जमानत

टूल किट से जुड़े एक मामले में ही गोवा निवासी "एक्सटिन्सन रिबेलियन" संगठन के सदस्य सुभम कर चन्धुरी को बाम्बे हाई कोर्ट 10 दिनों की अग्रिम जमानत दे चुका है। चन्धुरी ने कहा था कि उसने "एक्सटिन्सन रिबेलियन" संगठन के लिए स्वेच्छा से काम किया है और वर्तमान में इसका दक्षिण एशिया लायसन है। उसने यह भी कहा था कि शांतनु मुलुक और नितिका जैकब का भी उक्त संगठन के स्वयंसेवक होने के नाते संबंध हैं।

'टूलकिट' बनाने की साजिश का चन्धुरी ने ही लगाया था आरोप

चन्धुरी ने ही यह भी कहा था कि निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और दिशा रवि ने कथित रूप से ऑनलाइन "टूलकिट" बनाने की साजिश रची थी, उसने इसे बनाने में किसी भी भूमिका से इनकार किया गया था।

लेकिन टूलकिट मामले की पहली आरोपी दिशा रवि को मौजूदा जज द्वारा सबूतों की कमी को देखते हुए जमानत दी गई। जज ने दिशा रवि को जमानत देते हुए कहा था,"मुझे जमानत देने से इनकार करने का कोई ठोस कारण नहीं मिला।"

टूलकिट मामले की सुनवाई में जज ने कही ये बात

जज ने कहा था, "मेरे विचार में व्हाट्सएप ग्रुप बनाना या किसी आसानी-सी टूलकिट का संपादक होना कोई अपराध नहीं है। आगे, चूंकि उक्त टूलकिट या पीजेएफ के साथ लिंक को आपत्तिजनक नहीं पाया गया है, इसलिए व्हाट्सएप चैट को नष्ट करने के लिए केवल चैट डिलीट करना है। इसके साथ ही टूलकिट और पीजेएफ के साथ उसे जोड़ने के साक्ष्य भी बेकार हो जाते हैं।

ये भी पढ़ेँ-कभी सेना का अफसर तो कभी डिप्टी एसपी बन जाता था ये शख्स, कई लोगों को ठगा

इसके अलावा, बचाव पक्ष के वकील द्वारा सही रूप से कहा गया है कि विरोध मार्च को दिल्ली पुलिस द्वारा विधिवत अनुमति दी गई थी, इसलिए सह-अभियुक्त शांतनु के दिल्ली में विरोध में भाग लेने के लिए कुछ भी गलत नहीं है। फिर भी, उसकी पहचान छुपाने का प्रयास अनावश्यक विवादों से दूर रहने के लिए एक उत्सुक प्रयास से ज्यादा कुछ नहीं लगता है।"

इसके अलावा, न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि "उक्त 'टूलकिट' की गड़बड़ी से पता चलता है कि किसी भी तरह की हिंसा के लिए किसी भी तरह की कॉलिंग गैरकानूनी रूप से अनुपस्थित है। मेरे विचार में, किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिक सरकार को सही दृष्टिकोण दिखाने वाले होते हैं। उन्हें केवल इसलिए सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है कि वे राज्य की नीतियों से असहमत हैं।

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story