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उपद्रव से किसान आंदोलन को झटका, गणतंत्र दिवस पर हुई घटना से बढ़ी नाराजगी

दिल्ली पुलिस की ओर से गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति तमाम शर्तों के साथ दी गई थी और किसान नेताओं ने इन शर्तों का पालन करने का वादा किया था मगर किसान नेताओं के सारे दावे धरे रह गए और परेड में शामिल तमाम लोग दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर पुलिस से भिड़ गए।

Ashiki
Published on: 26 Jan 2021 8:29 PM IST
उपद्रव से किसान आंदोलन को झटका, गणतंत्र दिवस पर हुई घटना से बढ़ी नाराजगी
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उपद्रव से किसान आंदोलन को झटका, गणतंत्र दिवस पर हुई घटना से बढ़ी नाराजगी

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई जमकर हिंसा किसान आंदोलन के लिए भारी साबित हो सकती है। दिल्ली पुलिस की ओर से गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति तमाम शर्तों के साथ दी गई थी और किसान नेताओं ने इन शर्तों का पालन करने का वादा किया था मगर किसान नेताओं के सारे दावे धरे रह गए और परेड में शामिल तमाम लोग दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर पुलिस से भिड़ गए।

कई स्थानों पर भिड़े किसान

गाजीपुर बॉर्डर, नांगलोई, अक्षरधाम-नोएडा मोड़ के पास तथा कुछ अन्य स्थानों पर किसानों ने बेरीकेट्स तोड़ डाले रूट बदलकर और दिल्ली में घुस गए। गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर तिरंगे की जगह किसानों की ओर से झंडा फहराए जाने पर पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई है और सोशल मीडिया पर इसकी खुलकर आलोचना की जा रही है। गणतंत्र दिवस के दिन हुई इस हिंसा के बाद किसान आंदोलन को झटका लगना तय माना जा रहा है।

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शांतिपूर्ण रवैया था आंदोलन की बड़ी ताकत

दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब दो महीने से धरने पर बैठे किसानों की अब तक की सबसे बड़ी ताकत उनका शांतिपूर्ण आंदोलन रहा है और इस कारण इस आंदोलन को अभी तक व्यापक समर्थन मिलता रहा है। गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर हुई हिंसा की घटना के बाद वे लोग भी इसकी आलोचना करने लगे हैं जो अभी तक खुलकर आंदोलन का समर्थन कर रहे थे।

संयुक्त किसान मोर्चे ने झाड़ा पल्ला

परेड के दौरान हिंसा, उपद्रव और पथराव की घटनाओं से आंदोलन को होने वाले नुकसान की वजह से ही संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐसे तत्वों से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान में किसानों को गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने के लिए धन्यवाद देने के साथ ही कहा गया है कि हम उन अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की निंदा करते हैं जो आज घटित हुई हैं।

असामाजिक तत्वों की घुसपैठ

मोर्चे ने ऐसे कृत्य करने वाले लोगों से खुद को अलग करने की भी घोषणा की है। 40 किसान संगठनों के इस मोर्चे ने कहा है कि सभी प्रयास करने के बावजूद कुछ संगठनों और लोगों ने तय रूट का उल्लंघन किया और निंदनीय कृत्यों में लिप्त रहे। हमारे शांतिपूर्ण आंदोलन में कुछ असामाजिक तत्वों ने घुसपैठ की है। मोर्चे ने शांति को सबसे बड़ी ताकत बताते हुए यह बात स्वीकार की है कि उपद्रव से आंदोलन को नुकसान पहुंचेगा।

Delhi Police

लोगों ने नहीं मानी अपील

वैसे किसान नेताओं के यह भी कहना है कि 6 महीने से अधिक समय तक संघर्ष और दिल्ली की सीमाओं पर 60 दिनों से अधिक समय तक चल रहा धरना भी इस स्थिति का कारण बना मगर फिर भी ऐसी घटनाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता। मोर्चे कहना है कि परेड में शामिल सभी लोगों से तय रूट का पालन करने की अपील की गई थी और किसी भी हिंसक घटना व राष्ट्रीय प्रतीक और गरिमा को प्रभावित करने वाली चीजों से दूर रहने को कहा गया था। इसलिए ऐसी घटनाओं में शामिल लोग किसान मोर्चा से जुड़े हुए लोग नहीं हैं।

शिकायत ने राजनीतिक दलों को घेरा

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक पार्टियों के लोग किसान आंदोलन में शामिल होकर गड़बड़ी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची है और इसी के तहत यह सब काम किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पास अभी तक घटनाओं के संबंध में पूरी सूचना नहीं पहुंची है और मैं जानकारी जुटाने की कोशिश में लगा हुआ हूं।

kisan protest on red fort

हिसाब से कमजोर होगा आंदोलन

स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने भी कहा कि परेड के दौरान हिंसा की घटनाओं से आंदोलन कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि किसानों ने इतने लंबे समय तक शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन चलाया है। इसलिए हिंसा की किसी भी घटना की तरफदारी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत किसानों का शांतिपूर्ण रवैया रहा है। इसलिए हिंसा की घटनाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता उन्होंने कहा कि मैंने शाहजहांपुर बॉर्डर पर परेड को लीड किया और वहां पर सभी ट्रैक्टर तय रूट से ही निकले।

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लालकिले की घटना पर थरूर भी भड़के

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर तिरंगे की जगह किसी और झंडे को फहराने की घटना को शर्मनाक बताया है।

उन्होंने कहा कि लाल किले पर तिरंगा ही शोभा देता है और जिस किसी ने वहां पर दूसरा झंडा फहराया है, उसकी भर्त्सना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने शुरूआत से ही किसान आंदोलन का समर्थन किया है मगर अराजकता की अनदेखी नहीं की जा सकती।

Farmers hoisted flag on Red Fort

किसान विरोधी ताकतें होंगी कामयाब

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी आंदोलन में शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है और यदि किसान आंदोलन में हिंसा हुई तो किसान विरोधी ताकतों के मंसूबे ही कामयाब होंगे। इसलिए किसानों को 70 कराते हुए हिंसा की घटनाओं से दूर रहना चाहिए।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया

दिल्ली में हुए उपद्रव और लाल किले की घटना के बाद सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन विरोधी पोस्ट की बाढ़ आ गई है। ट्विटर पर भी लोग खुलकर अब इस आंदोलन का विरोध करने लगे हैं। इससे समझा जा सकता है कि गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई घटना ने लोगों की मानसिकता को किस हद तक प्रभावित किया है।

अंशुमान तिवारी



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