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धंधा हुआ मंदा: दिल्ली हिंसा से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को नुकसान, व्यवसायियों ने की ये मांग

यहां के उत्तर-पूर्वी इलाके में हिंसा की वजह से ट्रांसपोर्ट कारोबार को भारी नुकसान हो रहा है। ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने सरकार से मांग की है कि फाइनेंस वाले ट्रकों के किश्त देने से कम से कम तीन महीने की छूट दी जाए।

suman
Published on: 29 Feb 2020 6:47 AM GMT
धंधा हुआ मंदा: दिल्ली हिंसा से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को नुकसान, व्यवसायियों ने की ये मांग
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नई दिल्ली : यहां के उत्तर-पूर्वी इलाके में हिंसा की वजह से ट्रांसपोर्ट कारोबार को भारी नुकसान हो रहा है। ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने सरकार से मांग की है कि फाइनेंस वाले ट्रकों के किश्त देने से कम से कम तीन महीने की छूट दी जाए। बता दें कि इस सप्ताह नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थक व विरोधियों के बीच झड़प बढ़ने से उत्पन्न हुई हिंसा के दौरान उत्तर- पूर्वी दिल्ली में काफी तबाही देखने को मिली है। इस हिंसा में कई बड़ी दुकानें, गाड़ियों के शोरूम और पेट्रोल पंप तक जलाकर खाक कर दिए गए।

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ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को बहुत नुकसान

दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गनाइजेशन ने केंद्र और दिल्ली सरकार से अपील है की दिल्ली के ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के जिन लोगों की गाड़ियां बैंकों से फाइनेंस पर ली गई हैं, उन्हें कम से कम तीन महीने की किश्त देने की छूट दिलाई जाए। साथ ही, उचित मुआवजे का ऐलान करना चाहिए।

संस्था का कहना है कि दिल्ली में दंगों के चलते ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा है, जहां रोजाना चालीस हजार ट्रक माल दिल्ली में आता और जाता था इन दंगों के चलते वह संख्या घट कर दस से पंद्रह हजार ही रह गई है।

दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने कहा, 'दिल्ली का व्यापार सामान्य होने में काफी समय लग सकता है। दिल्ली में पर्याप्त मात्रा में सार्वजनिक पार्किंग के स्थान नहीं है। जितने दिन ट्रक खड़े रहेंगे उनका रोजाना का पार्किंग का लगभग 500 से 800 का खर्च तथा ड्राईवर और क्लीनर का करीब एक हजार रुपये के खर्चे का अतिरिक्त बोझ पड़ गया है।

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होलसेल मार्केट का धंधा मंदा

हिंसा प्रभावित ज्यादातर इलाकों में तो छोटी व बड़ी सभी मार्केट बंद हैं। साथ ही इन इलाकों में होलसेल मार्केट का धंधा भी मंदा हो गया है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा से न केवल यमुनापार, बल्कि सदर बाजार और चांदनी चौक समेत पुरानी दिल्ली के सभी बाजारों की रौनक पर असर पड़ा है।

हिंसा वाले इलाके से थोड़ी दूर स्थित गारमेंट के लिए विख्यात गांधी नगर, कृष्णा नगर का लाल क्वॉर्टर बाजार, जाफराबाद का जैकेट बाजार, मेहरा कॉलोनी स्थित फर्नीचर बाजार और गोकलपुरी का टायर बाजार समेत सभी स्थानीय बाजारों का व्यापार चौपट हो गया है।

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