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UCC: संसद के मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता बिल लाने की तैयारी, चुनाव से पहले मोदी सरकार का बड़ा सियासी दांव
Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता (UCC) पर मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में जुट गई है। भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े बयान के बाद अब केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र के दौरान समान नागरिक संहिता के संबंध में बिल पेश कर सकती है।
Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता (UCC) पर मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में जुट गई है। भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े बयान के बाद अब केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र के दौरान समान नागरिक संहिता के संबंध में बिल पेश कर सकती है। जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार ने इस बाबत तैयारी कर ली है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर भाजपा के शीर्ष नेताओं की बैठक के दौरान इस मुद्दे पर भी गहराई से मंथन किया गया था।
देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और कई राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता बिल लाने की मोदी सरकार की तैयारी को बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। मोदी सरकार के इस दांव से विपक्ष भी बंटा हुआ नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी ने इस बिल का सैद्धांतिक समर्थन करने का ऐलान किया है। कई अन्य विपक्षी दल भी इस बिल को लेकर उहापोह की स्थिति में फंसे हुए नजर आ रहे हैं।
तीन जुलाई को होगी महत्वपूर्ण बैठक
समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर मोदी सरकार काफी तेजी से काम करती हुई नजर आ रही है। इस संबंध में सांसदों की राय जानने के लिए संसदीय स्थायी समिति की 3 जुलाई को बैठक बुलाई गई है। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए विधि आयोग, कानून मंत्रालय और विधायी विभाग से जुड़े प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है। विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी का कहना है कि यूसीसी नया विचार नहीं है। विधि आयोग ने 14 जुलाई तक इस बाबत सभी की राय मांगी है।
कानून मंत्री के बयान के बाद चर्चा हुई तेज
समान नागरिक संहिता बिल मानसून सत्र में लाने की चर्चा इसलिए भी जोर पकड़ चुकी है क्योंकि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार को कहा कि इस मुद्दे पर सभी को 13 जुलाई तक इंतजार करना चाहिए। उनका कहना था कि जल्द ही इस मुद्दे पर सबकुछ साफ हो जाएगा। उनका कहना था कि यूसीसी के मुद्दे पर लोगों से सुझाव मांगे गए हैं और विधि आयोग का कहना है कि इस संबंध में उसे काफी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। यूसीसी के मुद्दे पर कोई विवादित टिप्पणी करने की जगह लोगों को अभी प्रतीक्षा करनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी हाल में कहा था कि 2024 से पहले ही इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। उनका कहना था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद देश काफी तेजी से आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इसे लेकर विवाद पैदा करना गलत है क्योंकि यह कदम किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है।
पीएम मोदी ने की थी दमदार वकालत
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को भोपाल में 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' अभियान के तहत भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि देश को दो कानूनों से नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा कि जब एक घर दोहरी व्यवस्था से नहीं चल सकता है तो देश कैसे चल पाएगा। उन्होंने कहा कि केवल वोट बैंक की राजनीति के तहत समान नागरिक संहिता का विरोध किया जा रहा है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है मगर इस मुद्दे पर मुसलमानों को भड़काने की कोशिश की जा रही है।
उनका कहना था कि हमारे संविधान में नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है और सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में समान नागरिक संहिता लाने के लिए कई बार डंडा चला चुका है मगर वोट बैंक के भूखे लोग इसका विरोध कर रहे हैं। पीएम मोदी के इस बयान के बाद हाल में प्रधानमंत्री आवास पर भाजपा के शीर्ष नेताओं की बैठक के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष भी मौजूद थे।
आप ने किया समर्थन,कांग्रेस खिलाफ
वैसे इस मुद्दे को लेकर बड़ा सियासी घमासान छिड़ता नजर आ रहा है। कांग्रेस, सपा और डीएमके समेत कई दलों ने सरकार के प्रस्ताव का तीखा विरोध किया है। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी यूसीसी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। वैसे कुछ दलों के तीखे विरोध के बावजूद भाजपा इस मसले पर पीछे हटती नहीं दिख रही है।
भाजपा के इस सियासी दांव ने विपक्ष को भी फंसा दिया है। पीएम मोदी के बयान के एक दिन बाद ही आप ने समान नागरिक संहिता का सैद्धांतिक समर्थन करने की बात कही। आप के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने कहा कि हम इसके समर्थन में हैं मगर इस मुद्दे पर सभी धर्मों और राजनीतिक दलों के साथ व्यापक चर्चा की जानी चाहिए। विधि आयोग की ओर से लोगों की राय मांगे जाने के बाद शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने भी यूसीसी का समर्थन किया था।
एनसीपी के राष्ट्रीय सचिव नसीम सिद्दीकी का कहना था कि इस मुद्दे का तुरंत विरोध नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा किए जाने की जरूरत है। माना जा रहा है कि विपक्ष की जुलाई में बेंगलुरु में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी।
परिवार और राष्ट्र की तुलना गलत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि प्रधानमंत्री की ओर से देश और परिवार की तुलना की गई है जो कि पूरी तरह गलत है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को परिवार के बराबर बताया है। सामान्य रूप से देखने पर प्रधानमंत्री की ओर से की गई यह तुलना सही लगती है मगर यदि हम वास्तविकता के नजरिए से देखें तो दोनों की तुलना नहीं की जा सकती। कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि गहराई से देखें तो राष्ट्र और परिवार में काफी अंतर होता है। परिवार खून के रिश्तों के धागे में बंधा होता है जबकि देश संविधान के हिसाब से चलता है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि तमाम परिवारों में भी हमें काफी विविधता देखने को मिलती है। यदि हम भारत के संविधान का गहराई से विश्लेषण करें तो हमारे संविधान में लोगों के बीच विविधता और बहुलता को मान्यता दी गई है। ऐसे में प्रधानमंत्री की ओर से परिवार और देश की तुलना किया जाना उचित नहीं है। उन्होंने हाल में कहा कि यूसीसी को देश पर थोपा नहीं जा सकता।