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यहां 400 साल से लग रहा है भूतों का मेला, आज तक इस रहस्य से नहीं उठ पाया पर्दा

400 साल से ज्यादा समय से लग रहे इस मेले में मानसिक बीमार समाधि की परिक्रमा लगाते हैं तो उनके शरीर में हलचल होने लगती है। यहां बैठे पुजारी महिला मरीज़ों के बाल पकड़ कर सवाल पूछते हैं।

Aditya Mishra
Published on: 29 Jan 2021 1:34 PM GMT
यहां 400 साल से लग रहा है भूतों का मेला, आज तक इस रहस्य से नहीं उठ पाया पर्दा
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बाबा की समाधि को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो लोग भूत प्रेत, निसन्तान, सर्पदंश, मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं, उनका इलाज यहां आने से हो जाता है।

बैतूल: अगर कोई आपसे पूछे कि क्या आपने कभी भूतों का मेला देखा है तो आपका सीधा जवाब होगा। सब बकवास है। भला आज के जमाने में जब साइंस ने इतना ज्यादा तरक्की कर ली है। तो क्या भूतों की बात करना सही है। क्या भूतों का भी कहीं पर मेला लगता है।

इसका जवाब है, हां। भूतों का भी मेला लगता है। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि भूतों का मेला कहां पर लगता है और इसकी शुरूआत कब और कैसे हुई।

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के चिचोली विकासखण्ड स्थित मलाजपुर गांव में गुरु बाबा साहब की समाधि है। जहां पौष माह की पूर्णिमा से मेला लगता है और बड़ी मात्रा में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

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Bhoot यहां 400 साल से लग रहा है भूतों का मेला, आज तक इस रहस्य से नहीं उठ पाया पर्दा(फोटो: सोशल मीडिया )

ऐसे-ऐसे मर्ज के साथ यहां आते हैं लोग

यहां ऐसी मान्यता है कि जो लोग भूत प्रेत, निसन्तान, सर्पदंश, मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं, उनका इलाज यहां आने से हो जाता है।

400 साल से ज्यादा समय से लग रहे इस मेले में मानसिक बीमार समाधि की परिक्रमा लगाते हैं तो उनके शरीर में हलचल होने लगती है। यहां बैठे पुजारी महिला मरीज़ों के बाल पकड़ कर पूछते हैं कि कौन सी बाधा है, उन पर जोर से झाड़ू मारी जाती है। फिर गुरु साहब का जयकारा लगता है।

एक मरीज के परिजन राजीव का कहना है कि उनकी लड़की दो साल से बीमार है और इलाज में डेढ़ से दो लाख रुपये खर्च हो गए पर कोई असर नहीं हुआ। ऐसा लग रहा है इस पर कोई प्रेत बाधा है इसलिए यहां लाये हैं।

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Bhoot यहां 400 साल से लग रहा है भूतों का मेला, आज तक इस रहस्य से नहीं उठ पाया पर्दा(फोटो: सोशल मीडिया )

कौन थे बाबा गुरु साहब, जानें उनके बारें में

श्रद्धालु सुनील तिवारी का कहना है कि गुरु साहब बंजारा समाज के हैं और बचपन से खेती और मवेशी चराते थे। वो अलौकिक शक्ति है, उनकी मलाजपुर पर जिंदा समाधि है।

वहीं डॉक्टर पवन कसौधन का कहना है कि मानसिक बीमारी अलग-अलग तरह की होती है। इसका चिकित्सा विज्ञान में अलग ट्रीटमेंट होता है। बाल खींच कर, झाड़ू मार कर इलाज करना अंधविश्वास है।

आपको बता दें कि न्यूजट्रैक भूत-प्रेत में विश्वास नहीं रखता है। साथ ही बाल खींच कर, झाड़ू मार कर इलाज करने के दावे को बिल्कुल भी सही नहीं मानता है।

जो लोग भी इस तरह से इलाज का दावा करते हैं उन्हें तत्काल इस बंद कर देना चाहिए। साथ ही प्रशासन को इस तरह के लोगों के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए।

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