TRENDING TAGS :
इंदिरा की हत्या हो या बाबरी विध्वंस,इस बड़े नेता ने अपने सूबे में कभी नहीं होने दिए दंगे
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब देश के कई हिस्सों में दंगे भड़के हुए थे तो पश्चिम बंगाल शांत था। वहीं 1992 में भी बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए दंगों में भी उनका राज्य काफी हद तक शांत था।
नई दिल्ली: ज्योति बसु की रविवार को पुण्यतिथि है। उन्होंने 17 जनवरी 2010 को कोलकाता में अंतिम सांस ली थी। उनका कद भारत की राजनीति में कद काफी ऊंचा रहा है।
पश्चिम बंगाल तक सिमटे रहने के बावजूद उनकी आवाज राष्ट्रीय राजनीति में भी एक अहम मुकाम रखती थी। ज्योति बसु देश के किसी राज्य में सबसे लंबे समय तक रहने वाले दूसरे मुख्यमंत्री थे।
इस फहरिस्त में पहले नंबर पर सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग का नाम है जो 24 वर्ष 165 दिनों तक राज्य के सीएम थे।
इंदिरा की हत्या हो या बाबरी विध्वंस,इस बड़े नेता ने अपने राज्य में कभी नहीं होने दिए दंगे(फोटो:सोशल मीडिया)
23 साल 137 दिनों तक पश्चिम बंगाल के सीएम रहे थे ज्योति बसु
ज्योति बसु 23 साल 137 दिनों तक पश्चिम बंगाल के सीएम रहे थे। वो आजीवन सीपीआई-एम की पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे।
तो आइए उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनके बारें में दस ऐसी खास बातें बताने जा रहे हैं। जो बहुत ही कम लोगों को पता होगी।
इंदिरा की हत्या हो या बाबरी विध्वंस,इस बड़े नेता ने अपने राज्य में कभी नहीं होने दिए दंगे(फोटो:सोशल मीडिया)
ममता को लगेंगे अभी और झटके, चौधरी ने विलय का आमंत्रण देकर कसा तंज
यहां जानें ज्योति बसु के बारें में दस खास बातें
1.ज्योति बसु का जन्म 8 जुलाई 1914 को कोलकाता में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता डॉक्टर थे। बसु की परवरिश बड़ी ज्वाइंट फैमिली में हुई थी।
2.1925 में कोलकाता के प्रसिद्ध सेंट जेवियर स्कूल में एडमिशन कराने के लिए बसु के पिता ने उनका नाम ज्योतिंद्र बसु से ज्योति बसु किया था। इसके बाद वह इसी नाम से पहचाने गए।
3.उन्होंने कलकत्ता के कैथोलिक स्कूल से पढ़ाई की। फिर सेंट जेविर्यस कॉलेज में पढ़े। फिर वकालत की पढ़ाई करने लंदन चले गए थे।
4.ज्योति बसु ने 1930 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की सदस्यता ली थी। जल्द ही वे पार्टी में अहम पदों पर पहुंचे और फिर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने।
इंदिरा की हत्या हो या बाबरी विध्वंस,इस बड़े नेता ने अपने राज्य में कभी नहीं होने दिए दंगे(फोटो:सोशल मीडिया)
ईडी ने TMC के इस बड़े नेता पर कसा शिकंजा, कोर्ट में हुई पेशी, जानें फिर क्या हुआ
ताउम्र पूरी नहीं हो पाई थी ये ख्वाहिश
5. ज्योति बसु की अधिकृत जीवनी लिखने वाले सुरभि बनर्जी ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र किया है कि ज्योति बसु हमेशा प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। हालांकि बसु ने खुद दो बार ये ऑफर ठुकराया था।
6. 1996 में तीसरी बार उन्हें प्रधानमंत्री बनने का ऑफर मिला था। इस बार वो प्रधानमंत्री बनने को तैयार थे। उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी अनुमति देगी तो वे पीएम बनेंगे।
7. ज्योति बसु को धक्का तब लगा जब पार्टी ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। दरअसल केंद्र में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला था और मिली-जुली सरकार बननी थी। पर बसु की पार्टी में इसके लिए एकमत नहीं बन सका।
8. इससे पहले 1989 लोकसभा चुनाव के बाद भी बसु को प्रधानमंत्री बनने का ऑफर दिया गया था। ये ऑफर उन्हें चंद्रशेखर और अरूण नेहरू ने दिया था। दूसरा मौका 1990 में मिला जब केंद्र में वीपी सिंह सरकार गिर गई थी। राजीव गांधी की नजर में तब ज्योति बसु भी थे। लेकिन बसु ने मना कर दिया था।
इंदिरा की हत्या हो या बाबरी विध्वंस,इस बड़े नेता ने अपने राज्य में कभी नहीं होने दिए दंगे(फोटो:सोशल मीडिया)
मुख्यमंत्री रहते कभी नहीं होने दिया था अपने राज्य में कोई दंगा
9. 1970 में पटना रेलवे स्टेशन पर हुए एक हमले में वह बाल-बाल बचे थे। इसके बाद 1971 में जब पश्चिम बंगाल में चुनाव हुए तो सीपीआई-एम सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। हालांकि उन्होंने इसके बाद भी उन्होंने सरकार बनाने से इनकार कर दिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
10.ज्योति बसु की प्रशासनिक क्षमता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब देश के कई हिस्सों में दंगे भड़के हुए थे तो पश्चिम बंगाल शांत था। वहीं 1992 में भी बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए दंगों में भी उनका राज्य काफी हद तक शांत था।
छत्तीसगढ़ में इस महिला को लगा कोरोना का पहला टीका, जानिए इनके बारे में