ममता बनर्जी: भोजन के लिए कभी बेंचने पड़े थे दूध, संघर्ष की कहानी सुनकर रो पड़ेंगे

ममता बनर्जी छोटी थीं, उसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई थी। ऐसे में जीवन जीने के लिए दूध बेचना भी पड़ा साथ ही उनके भाई-बहनों के पालन पोषण के लिए अपनी मां का हाथ बटाया जिसमें केवल दूध बेचना ही काम था।

Aditya Mishra
Published on: 5 Jan 2021 6:52 AM GMT
ममता बनर्जी: भोजन के लिए कभी बेंचने पड़े थे दूध, संघर्ष की कहानी सुनकर रो पड़ेंगे
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मंत्री जाकिर हुसैन पर बम से हमले के बाद सियासत गरमाने लगी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने मंत्री पर हुए बम हमले की घटना को साजिश करार दिया है।

मिदनापुर: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आज जन्मदिन है। ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में हुआ था और वो अब 66 साल की हो गई हैं।

वह बंगाल की पहिला महिला मुख्यमंत्री हैं। उन्हें साल 2012 में टाइम मैगजीन ने विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में स्थान दिया था।

बंगाल की शेरनी कही जाने वाली 'दीदी' के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खुद कहा था कि वो बेहद प्रतिभावान हैं और बहुत आगे जाएंगी।

Mamta at Parliament ममता बनर्जी: भोजन के लिए कभी बेंचने पड़े थे दूध, संघर्ष की कहानी सुनकर रो पड़ेंगे (फोटो:सोशल मीडिया)

15 साल की कम उम्र में ही राजनीति में आई

ममता बनर्जी सिर्फ 15 साल की कम उम्र में ही राजनीति के मैदान में कूद पड़ी थी। उन्होंने 15 साल की उम्र में जोगमाया देवी कॉलेज में छात्र परिषद यूनियन की स्थापना की जो कांग्रेस (आई) की स्टूडेंट विंग थी।

इसने वाम दलों की ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन को हराया था और इस तरह पश्चिम बंगाल में एक नए सूर्य के उदय का आगाज होने का आभास उन्होंने दे दिया था।

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TMC ममता बनर्जी: भोजन के लिए कभी बेंचने पड़े थे दूध, संघर्ष की कहानी सुनकर रो पड़ेंगे (फोटो:सोशल मीडिया)

कालेज के दिनों में ही बन गई थी राज्य महिला कांग्रेस की महासचिव

ममता बनर्जी ने दक्षिण कोलकाता के जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास ऑनर्स की डिग्री ली है। इसके बाद ममता बनर्जी ने इस्लामिक इतिहास में मास्टर डिग्री कलकता विश्वविद्यालय से ली।

ममता बनर्जी अपनी शिक्षा के दिनों से ही राजनीति से जुड़ गई थीं। 1970 के दशक में उन्हें राज्य महिला कांग्रेस का महासचिव बनाया गया था।

वे इस दौरान कॉलेजी में पढ़ाई कर रही थीं।उन्होंने श्रीशिक्षायतन कॉलेस से बीएम की और कोलकाता स्थित जोगेश चंद्र चौघरी कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और फिर राजनीति में कदम रखा।

पिता की मौत के बाद दूध बेचकर परिवार का किया भरण भोषण

ममता बनर्जी का जन्म कोलकाता में एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था और उनके पिता का नाम प्रोमिलेश्वर बनर्जी था और मां का नाम गायत्री देवी था।

ममता बनर्जी के पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे। लेकिन जब ममता बनर्जी छोटी थीं, उसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई थी। ऐसे में जीवन जीने के लिए दूध बेचना भी पड़ा साथ ही उनके भाई-बहनों के पालन पोषण के लिए अपनी मां का हाथ बटाया जिसमें केवल दूध बेचना ही काम था।

Mamta Banerjee ममता बनर्जी: भोजन के लिए कभी बेंचने पड़े थे दूध, संघर्ष की कहानी सुनकर रो पड़ेंगे (फोटो:सोशल मीडिया)

ममता बनर्जी के बारें में ये बातें नहीं जानते होंगे आप

ममता बनर्जी को देश की पहली महिला रेल मंत्री बनने का गौरव प्राप्त है।यही नहीं वे केंद्र सरकार में कोयला, मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री, युवा मामलो और खेस के साथ ही महिला व बाल विकास मंत्री भी रह चुकी हैं।

ममता बनर्जी की ख्याति उस समय और बढ़ गई जब पश्चिम बंगाल में पिछले 34 सालों से जड़े जमा चुकी वामपंथी पार्टी का सफाया ममता बनर्जी ने साल 2011 में किया था।

बता दें कि इस ऐतिहासिक जीत के बाद ममता बनर्जी को खूब प्रसिद्धि मिली साथ ही उन्हें साल 2012 में टाइम मैगजीन ने उन्हें विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में स्थान दिया था। उनके चाहने वाले उन्हें बंगाल की शेरनी और 'दीदी' कहकर सम्बोधित करते हैं।

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MAMTA Banerjee ममता बनर्जी: भोजन के लिए कभी बेंचने पड़े थे दूध, संघर्ष की कहानी सुनकर रो पड़ेंगे (फोटो:सोशल मीडिया)

प्रणब मुखर्जी की पहली बार ऐसे हुई थी ममता बनर्जी से मुलाकात

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पहली बार ममता बनर्जी से मुलाकात साल 1983 में हुई थी।

उस वक्त दोनों लोग अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक में भाग लेंगे के लिए पहुंचे थे।

ऐसा कहा जाता है कि प्रणब मुखर्जी ने उसी समय ममता बनर्जी में छुपी प्रतिभा को पहचान लिया था।

प्रणब मुखर्जी ने खुद कहा था कि वो बेहद प्रतिभावान हैं और बहुत आगे जाएंगी।

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ममता ने शुरुआत में ही दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को हराया

ममता बनर्जी के लिए उनकी राजनीतिक जिंदगी में टर्न पहली बार उस समय आया जब जाधवपुर लोकसभा सीट से उनके लड़ने के लिए कांग्रेस पार्टी ने मुहर लगा दी। ये एक ऐसा फैसला था जिसने ममता बनर्जी की जिंदगी बदल दी। सीपीएम के सोमनाथ चटर्जी राजनीति के ऐसे दिग्गज थे जिन्हें हराना किसी भी नए राजनेता के लिए उस समय नाममुमकिन ही माना जाता था।

लेकिन ममता बनर्जी ने 1984 के चुनाव में जादवपुर लोकसभा सीट से उन्हें हराकर वो कर दिखाया और सभी को चकित कर दिया। वो उस समय की सबसे युवा सांसद बनीं।

Mamta Banerjee पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फोटो:सोशल मीडिया)

1998 में टीएमसी नाम से बनाई थी पार्टी

1970 में कांग्रेस के साथ सफर शुरू किया जो 1997 तक चला। 1998 में तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) के नाम से उन्होंने नई पार्टी बनाई और उसकी अध्यक्ष बनकर साल 2011 में वाम दलों को बंगाल से उखाड़ फेंका।ममता बनर्जी ने कई मौकों पर खुद की दमदारी को साबित भी किया है।

कई मौकों पर खुद अपने से असहमत होना तो कई बार केंद्र सरकार से असहमत होना यह सब ममता बनर्जी के चुनिंदा गुणों में से एक है। दीदी सादा जीवन जीने में विश्वास रखती है। अपनी जीवनशैली के कारण ही वह राजनीति में अलग पहचान भी रखती हैं।

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