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UP Politics History: पुरानी फाइल से! भाजपा सांसदों के कोपभाजन से बचने के लिए मुख्यमंत्री गुप्त उन्हें भोज देंगे
UP Politics History: सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के लोकसभा के सांसदों ने भी यह मन बना लिया है कि अगर इस बार भी मुख्यमंत्री गुप्त ने उन्हें गच्चा दिया तो वह उनके खिलाफ आक्रामक रूख अख्तियार कर सकते हैं।
UP Politics History: नई दिल्ली, 24 जुलाई, 2000, वादे के बावजूद पिछले कई माह से प्रदेश के भाजपा सांसदों से मुलाकात को टालते आ रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रामप्रकाश गुप्त को अब हार कर सांसदों से सामूहिक रूप में मिलने की तारीख पक्की करनी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद लंबे अरसे से मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेताओं से इस बात की शिकायत करते आ रहे थे कि वह सांसदों की शिकायतों को लेकर गंभीर नहीं हैं।
यहां तक की गत अप्रैल में मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी के यहां आयोजित भोज में सांसदों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ सामूहिक रूप से गुस्से का इजहार किया। उन पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए सांसदों ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने साफ तौर पर यह कह दिया था कि रामप्रकाश गुप्त के रहते सरकार और संगठन का भला होने वाला नहीं है। गुप्त की कार्यशैली के चलते सरकार और संगठन में निरंतर बढ़ रही गुटबाजी से हाईकमान भी काफी क्षुब्ध है।
इसके चलते प्रधानमंत्री को यहां तक कहना पड़ा, प्रदेश में खंडित राजनीति हो रही है। गौरतलब है कि इस भोज के बाद से ही आलाकमान ने प्रदेश में नए विकल्प की तलाश शुरू की। इस दिशा में पिछले दिनों कई बार कवायद भी की गई। भोज में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, प्रदेश प्रभारी गोविंदाचार्य सहित राज्यसभा और लोकसभा के सभी सांसद थे। भोज में शिरकत करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह, लोक निर्माण मंत्री कलराज मिश्र और नगर विकास मंत्री लालजी टंडन भी आए थे।
भोज में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय नेताओं के सामने सांसदों को यह आश्वासन दिया था कि वह माह में एक बार साथ बैठने का अपना कार्यक्रम शीघ्र ही तय करेंगे। सांसदों की शिकायत सुनने के लिए उन्होंने उन्हें हर माह अपने यहां भोज पर आमंत्रित करने का आश्वासन दिया। लेकिन गुप्त इसके लिए कभी समय नहीं निकाल पाए। अब उन पर बैठक करने का दबाव इतना बढ़ चुका है कि वह इसे टालने में असमर्थ पा रहे हैं। परिणामतः उन्होंने 27 जुलाई को उत्तर प्रदेश सदन में भाजपाई सांसदों से मिलने का कार्यक्रम तय कर दिया है। इसके लिए स्थानिक आयुक्त कार्यालय ने आमंत्रण कार्ड भी स्थानिक आयुक्त कार्यालय ने आमंत्रण कार्ड भी छपवा लिए हैं। अब भोज तयशुदा तिथि व ढ़ंग से हो पाएगा या नहीं, कहना मुश्किल है।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव का बहाना बना कर इसे अगस्त के दूसरे सप्ताह तक टाल सकते हैं । लेकिन मुख्यमंत्री के सलाहकारों ने उन्हें ऐसा करने से होने वाले नुकसानों के प्रति आगाह किया है और मुख्यमंत्री के सलाह दी है कि उन्हें इसी संसद सत्र के दौरान सांसदों के साथ कम से कम एक बैठक अवश्य कर लेनी चाहिए। इससे उनका मान बढ़ेगा।
सूत्र बताते है कि प्रदेश के लोकसभा के सांसदों ने भी यह मन बना लिया है कि अगर इस बार भी मुख्यमंत्री गुप्त ने उन्हें गच्चा दिया तो वह उनके खिलाफ आक्रामक रूख अख्तियार कर सकते है और जरूरी हुआ तो हाईकमान से एक बार फिर उनकी जोरदार शिकायत करेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश से लोकसभा के 29 और राज्यसभा के 15 सांसद हैं।
(मूल रूप से दैनिक जागरण के नई दिल्ली संस्करण में दिनांक- 25 जुलाई, 2000 को प्रकाशित)