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खतरा बने ये भारतीय मरीज, मिले 17 से ज्यादा देशों के वायरस
कोरोना वायरस को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है। भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस के स्वरुप में जलवायु और स्थान...
नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है। भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस के स्वरुप में जलवायु और स्थान की वजह से परिवर्तन हो रहे हैं। वैज्ञानिकों इस बात पर मुहर भी लगा दी है। कोरोना के जीनोम की खोज कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया कि भारतीय मरीजों में Covid-19 के अब तक 17 से भी ज्यादा देशों के वायरस मिल चुके हैं। खोज में वायरस के आनुवांशिक परिवर्तन भी मिले हैं।
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जलवायु के मुताबिक कर रहा व्यवहार
पुणे स्थित 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी' के वैज्ञानिकों के मुताबिक भारतीय मरीजों में अब तक जितने वायरस मिले हैं वो किसी एक देश के वायरस जैसे नहीं हैं। यहां मरीज जिस भी देश से लौटा है, उसमें वहां फैले स्ट्रेन का पता चला है। इस बात यह से साबित होता है कि चीन से निकला वायरस जिस देश में पहुंचा, वहां के वातावरण के अनुसार ढल लिया। इन वैज्ञानिकों ने इटली और ईरान से लौटने वाले भारतीयों मरीजों को पांच समूहों बांट कर उनके 21 नमूनों पर अध्ययन किया।
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वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि हर संक्रमित नमूने में वायरस अलग-अलग देश के मुताबिक व्यवहार कर रहा है। एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि तीसरे अध्ययन में भी हमें वह कामयाबी नहीं मिल पाई, जिसके लिए हम दो महीने से प्रयास कर रहे थे। हालांकि, लगातार अध्ययन से वायरस की पूरी तस्वीर के बारे में जरूर पता चल जायेगा। इस अध्ययन के द्वारा पता लगा सकेंगे कि भारत में कितने स्ट्रेन और म्यूटेशन हैं। और इनमें कैसे-कैसे बदलाव हो रहे हैं।
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