विश्वभारती यूनिवर्सिटी: गुरुदेव का संदेश ही आत्मनिर्भर भारत का आधार: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में आज भारत इकलौता ऐसा देश है, जो पेरिस एग्रीमेंट को पूरा कर रहा है। पीएम बोले कि कई परिस्थितियां यूनिवर्सिटी की स्थापना का आधार बनीं, जिसमें सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी ही नहीं बल्कि कई सालों से चले आंदोलनों की पृष्ठभूमि थी।

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Published on: 24 Dec 2020 5:50 AM GMT
विश्वभारती यूनिवर्सिटी: गुरुदेव का संदेश ही आत्मनिर्भर भारत का आधार: पीएम मोदी
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विश्वभारती यूनिवर्सिटी LIVE: बंगाल में शताब्दी कार्यक्रम, पीएम मोदी का संबोधन शुरू 

पश्चिम बंगाल: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल की विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर से लेकर स्वामी विवेकानंद तक का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में विश्वभारती यूनिवर्सिटी का योगदान है, जिसने हमेशा राष्ट्रवाद की प्रेरणा दी। पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी का ये कार्यक्रम खास है।

1901 में केवल 5 छात्रों के साथ

शांति निकेतन में विश्वभारती विश्वविद्यालय की शुरुआत एक आश्रम के तौर पर हुई थी। रविंद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने 1863 में की थी। इसके साथ इस आश्रम को 7 एकड़ की जमीन पर शुरुआत की थी। इसके बाद रविंद्रनाथ टैगोर ने इस विश्वविधयालय को स्थापित किया।

PM ने बताया गुरुदेव का गुजरात कनेक्शन, गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर के छोटे भाई सतेंद्र नाथ टैगोर को किया याद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुरुदेव की बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर की नियुक्ति गुजरात में हुई थी। तब रवींद्र नाथ टैगोर उनसे मिलने अहमदाबाद में आते थे, वहां पर ही उन्होंने अपनी दो कविताओं को लिखा था।

गुजरात की बेटी भी गुरुदेव के घर बहू बनकर आई थी। सत्येंद्र नाथ टैगोर की पत्नी ज्ञानेंद्री देवी जब अहमदाबाद में रहती थीं, तब उन्होंने देखा कि वहां महिलाएं साड़ी का पल्लू दाईं ओर रखती थीं, तब उन्होंने बाएं कंधे पर साड़ी का पल्लू रखने की सलाह दी जो अबतक जारी है।

छात्रों को पीएम मोदी ने दिया टास्क

पीएम मोदी बोले कि कोरोना काल के कारण इस बार विश्वभारती के मेले का आयोजन नहीं हुआ। विश्वभारती के छात्र-छात्राएं पॉश मेले में आने वाले लोगों से संपर्क करें, कोशिश करें कि उनकी कलाकृतियां कैसे ऑनलाइन तरीके से बेची जा सकती हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि गुरुदेव कहते थे कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अकेला चलना हो, तो चल पड़िए। जब आजादी का आंदोलन चरम पर था, तब बंगाल उसे दिशा दे रहा था। लेकिन साथ ही बंगाल ने संस्कृति के क्षेत्र में भी काम किया।

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आत्मनिर्भर भारत का संदेश

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस के कारण देश को स्वामी विवेकानंद मिले, स्वामी जी भक्ति-ज्ञान और कर्म को अपने में समाए हुए थे। भक्ति आंदोलन के बाद कर्म आंदोलन आगे बढ़ा, जिसमें कई योद्धाओं ने विदेशी आक्रांताओं को रोका जो बाद में आजादी का आंदोलन बना।

पीएम मोदी बोले कि अंत में ज्ञान का संगम होने से आजादी का आंदोलन तेज हुआ। वैचारिक आंदोलन भी खड़ा किया गया और भविष्य के बारे में सोचा गया।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इन आंदोलनों से प्रभावित होकर ही हजारों की संख्या में लोग आजादी की लड़ाई में जान देने के लिए आते रहे।

पीएम बोले कि गुरुदेव ने जिस तरह विश्वभारती को इस तरह बुना, जिसने राष्ट्रवाद की तस्वीर सामने रखी। पीएम मोदी बोले कि वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद में मुखर थी। पीएम मोदी ने कहा कि हमारा विकास वैश्विक होता है, गुरुदेव का संदेश ही आत्मनिर्भर भारत का आधार है।

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वैचारिक आंदोलन ने लोगों को प्रेरणा दी: PM

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस के कारण देश को स्वामी विवेकानंद मिले, स्वामी जी भक्ति-ज्ञान और कर्म को अपने में समाए हुए थे।

भक्ति आंदोलन के बाद कर्म आंदोलन आगे बढ़ा, जिसमें कई योद्धाओं ने विदेशी आक्रांताओं को रोका जो बाद में आजादी का आंदोलन बना। पीएम मोदी बोले कि अंत में ज्ञान का संगम होने से आजादी का आंदोलन तेज हुआ। वैचारिक आंदोलन भी खड़ा किया गया और भविष्य के बारे में सोचा गया।

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भक्ति काल में रखी गई आजादी के आंदोलन की नींव: PM

-प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में आज भारत इकलौता ऐसा देश है, जो पेरिस एग्रीमेंट को पूरा कर रहा है। पीएम बोले कि कई परिस्थितियां यूनिवर्सिटी की स्थापना का आधार बनीं, जिसमें सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी ही नहीं बल्कि कई सालों से चले आंदोलनों की पृष्ठभूमि थी।

-पीएम मोदी बोले कि आजादी के आंदोलनों की नींव काफी वक्त पहले रखी गई थी। देश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक आंदोलन को भक्ति युग ने मजबूत किया, संतों-आचार्यों ने देश की चिंता की है।

-पीएम मोदी ने बताया कि दक्षिण में रामानुजाचार्य समेत कई संत हुए, पश्चिम में मीराबाई समेत अन्य संत आए, उत्तर में कबीर दास, सूरदास समेत अन्य लोग आए और जबकि पूर्व में चैतन्य महाप्रभु भी आए।

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कार्यक्रम की शुरुआत

विश्व भारती यूनिवर्सिटी का ये कार्यक्रम इस बार वर्चुअल तरीके से हो रहा है। कार्यक्रम में सिर्फ यूनिवर्सिटी के स्टाफ, टीचर और अन्य लोग हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गानों को गाया जा रहा है।

संस्कृति की पढ़ाई का उत्कृष्ट केंद्र

इस विद्यालय में विज्ञान के साथ कला और संस्कृति की पढ़ाई का उत्कृष्ट केंद्र बनाया। आपको बता दें कि 1901 में केवल 5 छात्रों के साथ रविंद्रनाथ टैगोर ने इस विश्वविद्यालय की शुरुआत की थी।

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