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हिंदू-मुस्लिम’ पहचान रखनेवाले चीता मेहरात समुदाय का चुनावी मुद्दा ‘पानी’
28 अप्रैल भारत में गांवों की कमी नहीं है जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय अगल बगल रह रहे हों। ऐसे भी कई परिवार हैं जहां पति एक धर्म को और पत्नी दूसरे धर्म को मानने वाली हो।
नयी दिल्ली: 28 अप्रैल भारत में गांवों की कमी नहीं है जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय अगल बगल रह रहे हों। ऐसे भी कई परिवार हैं जहां पति एक धर्म को और पत्नी दूसरे धर्म को मानने वाली हो। लेकिन राजस्थान में ऐसे गांव भी हैं जहां परिवारों में हिंदू और मुस्लिम दोनों हैं। पिता का नाम जवाहर है तो बेटे का नाम सलाउद्दीन है, पति का नाम मोहन है तो पत्नी का नाम रूबीना है।
इन परिवारों से मिलने के लिए राजधानी दिल्ली से ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं। अजमेर शहर से करीब 10-12 किलोमीटर दूर अजयसर गांव है जहां चीता मेहरात समुदाय के लोग रहते हैं।
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चीता मेहरात एक ऐसा समुदाय है, जहां एक ही परिवार में हिंदू और मुस्लिम दोनों होते हैं या एक ही व्यक्ति दोनों धर्म को एक साथ मान सकता है। इस समुदाय के लोग मुख्य रूप से राजस्थान के चार जिले अजमेर, भीलवाड़ा, पाली और राजसमंद में हैं और इनकी संख्या करीब 10 लाख तक बताई जाती है।
ऐसा माना जाता है कि इनका ताल्लुक चौहान राजाओं से रहा है और इन्होंने करीब सात सौ साल पहले इस्लाम की तीन प्रथाओं (दफन, जिबह (हलाल मांस खाना), और खतना) को अपना लिया था। तब से वह एक ही साथ हिंदू-मुस्लिम दोनों हैं लेकिन हाल के वर्षों में किसी एक धर्म को ही मानने का चलन या फिर किसी एक धर्म को ही स्वीकार करना भी शुरू हो चुका है।
इस चुनावी मौसम में चीता मेहरात समुदाय भी वोटों के समीकरण पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। इस समुदाय के ज्यादातर लोग खेतों या फैक्ट्रियों में मजदूरी करते हैं।
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अजयसर गांव अजमेर लोकसभा क्षेत्र में आता है। इस गांव के निवासी जवाहर सिंह मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘‘मैं हिंदू हूं लेकिन मेरे बेटे का नाम
सलाउद्दीन है। हमारे यहां भेद नहीं है। हम शादियां भी इसी तरह से करते हैं, सैंकड़ों वर्षों से यही होता आया है।’’
उनके बगल में ही बैठे आनंद बताते हैं, ‘‘अब यह समुदाय अपनी पहचान को लेकर सजग हो रहा है। पहचान की वजह से हमें नुकसान उठाना पड़ा है। कई बार तो नाम के चक्कर में योजनाओं का लाभ हमें नहीं मिल पाता क्योंकि एक ही परिवार में किसी का हिंदू नाम है और किसी का मुस्लिम। हमें राशन कार्ड बनाने में दिक्कत होती है क्योंकि अधिकारी हमारी इस स्थिति के बारे में
बहुत कम समझ रखते हैं।’’
आनंद बताते हैं, ‘‘समुदाय अभी चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच बंटा हुआ है। लेकिन हमारा वोट उसी को जाएगा जो यहां पानी की समस्या दूर करेगा।’’
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इस क्षेत्र में समुदाय के बीच लड़कियों की शिक्षा के लिए गैर सरकारी संगठन ‘एजुकेट गर्ल्स’ के साथ काम कर रहे मोहन ने भाषा को बताया, ‘‘गांव में इस समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 10-12 परिवारों को छोड़कर बाकी परिवार ऐसे हैं जिसमें दोनों धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। अजयसर गांव में चीता मेहरात परिवारों की संख्या करीब 400 है। यहां एक ही परिवार
में संभव है कि कोई पूजा करे और कोई नमाज अदा करे। त्योहारों के मौके पर तो सभी उसी रंग में होते हैं।’’
मोहन बताते हैं कि गांव में एक ही जगह मंदिर और मस्जिद है। शादियों के दौरान घर से जब लड़के की बारात निकलती है तो मंदिर और मस्जिद दोनों जगहों जाने के बाद ही बारात आगे बढ़ती है। लड़कियों की शादी में कलश पूजन का विधि-विधान होने के बाद ही परिवार अपनी मर्जी के हिसाब से फेरे या निकाह कराते हैं।
उन्होंने बताया कि समुदाय में शिक्षा को लेकर जागरूकता नहीं है और बाल विवाह का प्रचलन है। खास तौर पर लड़कियों की शादियां कम उम्र में हो जाती है।
मोहन भी इस क्षेत्र में पानी की समस्या की तरफ इशारा करते हुए बताते हैं कि ‘‘शुरुआती गर्मी में ही पीने का पानी दो-चार दिन बाद आ रहा है। नहाने और घर की अन्य जरूरतों के लिए पानी का टैंकर खरीदना पड़ता है।
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गांव की लड़कियां इस दौरान स्कूल भी कम जाती हैं क्योंकि पानी लाने का काम उन्हीं का होता है। इस चुनाव में पानी की कमी हमारे समुदाय के लिए मुख्य मुद्दा है।’’
अजमेर में जगह-जगह पानी की समस्या को लेकर होर्डिंग लगे हैं। राजनीतिक पार्टियां अपने बैनरों में पानी की समस्या खत्म करने का वादा कर रही है। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला और भाजपा के प्रत्याशी भागीरथ चौधरी हैं। यहां लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होगा।
(भाषा)