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बंगाल-असम में पहले चरण का मतदान, इन दिग्गजों की किस्मत का होगा फैसला
पहले चरण के मतदान में जिन नेताओं की किस्मत का फैसला होगा उनमें असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा और कांग्रेस विधायक दल के नेता देवव्रत सैकिया भी शामिल है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल और असम विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में आज कई चर्चित चेहरों की किस्मत का फैसला होगा। दोनों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव में बाजी जीतने के लिए सियासी दलों के बीच घमासान मचा हुआ है। पहले चरण के मतदान में पश्चिम बंगाल की 30 और असम की 47 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों का भाग्य तय होगा। दोनों ही राज्यों में सुबह सात बजे मतदान की शुरुआत हो गई है और लोग उत्साह के साथ मतदान केंद्रों पर पहुंच रहे हैं।
पहले चरण के मतदान में जिन नेताओं की किस्मत का फैसला होगा उनमें असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा और कांग्रेस विधायक दल के नेता देवव्रत सैकिया भी शामिल है।
पीएम मोदी की भारी मतदान की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर बांग्लादेश गए हुए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लोगों से मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है। उन्होंने पश्चिम बंगाल और असम के लोगों से अपील की है कि उन्हें भारी संख्या में मतदान करके लोकतंत्र को मजबूत बनाना चाहिए। कोरोना संबंधी नियमों का पालन करने के लिए इस बार मतदान का समय एक घंटा बढ़ा दिया गया है।
दोनों राज्यों में कड़े सुरक्षा प्रबंध
दोनों ही राज्यों में मतदान के दौरान हिंसा और उपद्रव की आशंका को देखते हुए चुनाव आयोग की ओर से कड़ी सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं। दोनों राज्यों में पहले चरण के मतदान में 1.54 करोड़ से अधिक मतदाता उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। पश्चिम बंगाल में पहले चरण में जंगलमहल इलाके की 30 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। यह इलाका पहले नक्सल प्रभावित रहा है और इस कारण यहां सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।
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पश्चिम बंगाल में 30 सीटों पर मतदान
पश्चिम बंगाल में पहले चरण में पुरुलिया की नौ,झाड़ग्राम की चार, बांकुड़ा की चार, पश्चिमी मेदिनीपुर की छह और पूर्वी मेदिनीपुर की सात सीटों पर मतदान होगा। मेदनीपुर को शुभेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है। कभी ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी इस बार नंदीग्राम विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे हैं। विधानसभा सीटों में भाजपा और टीएमसी ने 29-29 जबकि कांग्रेस-वाम-आईएसएफ गठबंधन ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
पहली बार इतनी कड़ी व्यवस्था
चुनाव से जुड़े अफसरों का कहना है कि झाड़ग्राम में प्रत्येक मतदान केंद्र पर 11 अर्धसैनिक कर्मियों की तैनाती की गई है। राज्य में अब तक हुए चुनाव के दौरान एक मतदान केंद्र पर इतने ज्यादा सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पहली बार की जा रही है। पहले चरण में पुरुलिया और झाड़ग्राम जिलों की सभी सीटों पर मतदान का काम पूरा हो जाएगा। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन टीएमसी और भाजपा नेताओं ने इन दोनों जिलों में अपनी ताकत दिखाई थी।
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कई दिग्गजों की आज अग्निपरीक्षा
असम की जिन 47 विधानसभा सीटों पर पहले चरण में मतदान होना है उनमें मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की माजुली सीट भी शामिल है। सोनोवाल पहले भी इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं और भाजपा नेताओं ने इस बार भी उनकी विजय के लिए पूरी ताकत लगाई है।
सोनोवाल के अलावा पहले चरण में जोरहाट से विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी, बोकाखाट से असम गण परिषद के मंत्री अतुल बोरा और गोहपुर से असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा की किस्मत का भी फैसला होगा। कांग्रेस विधायक दल के नेता देवव्रत सैकिया के चुनाव क्षेत्र नाजिरा में भी पहले चरण में ही मतदान होगा। असम में इस बार तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं। 27 मार्च को पहला चरण समाप्त होने के बाद 1 अप्रैल को दूसरे चरण और 6 अप्रैल को तीसरे चरण का मतदान होगा। अन्य राज्यों के साथ ही असम और पश्चिम बंगाल में भी 2 मई को ही मतगणना होगी।
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दोनों राज्यों में कड़ी सियासी जंग
इस बार के विधानसभा चुनाव में असम और पश्चिम बंगाल दोनों ही राज्यों में कड़ी सियासी जंग देखने को मिल रही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है जबकि असम में पार्टी अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भाजपा को मजबूत चुनौती दे रही हैं जबकि असम में कांग्रेस की अगुवाई में चुनाव लड़ने वाला गठबंधन भाजपा को घेरने में जुटा हुआ है। पहले चरण के मतदान तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने असम में तो ताकत लगाई है मगर उन्होंने अभी तक पश्चिम बंगाल का एक भी दौरा नहीं किया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कौन सा सियासी दल मतदाताओं का विश्वास जीतने में कामयाब होता है।