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WB Panchayat Election: कलकत्ता HC से ममता सरकार को झटका, कहा- 'पंचायत चुनाव के नतीजे अंतिम आदेश पर निर्भर करेंगे'
WB Panchayat Election: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के लिए 8 जुलाई को मतदान हुआ। 11 जुलाई को काउंटिंग हुई। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस इन चुनावों में बड़ी जीत दर्ज की। चुनावी हिंसा में कई लोगों ने जान गंवाई।
WB Panchayat Election: कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta HC) ने बुधवार (12 जुलाई) को कहा कि, 'पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव और इसके नतीजों की घोषणा मतदान के दिन चुनावी धांधली के आरोपों से जुड़े विषयों की सुनवाई के सिलसिले में उसके (अदालत के) अंतिम आदेश पर निर्भर करेगी। हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग (SEC), राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार को चुनावी धांधली के आरोप वाली 3 याचिकाओं पर हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल पंचायत चुनाव के संबंध में कहा, 'चुनाव प्रक्रिया और इसके रिजल्ट की घोषणा इस रिट याचिका में पारित हो सकने वाले आदेशों पर निर्भर करेगी।' कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि आयोग को उन सभी कैंडिडेट्स को इस पहलू की सूचना देनी चाहिए, जिन्हें विजेता घोषित किया गया है। गौरतलब है कि, पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनावों के लिए मतदान हुआ। वोटिंग के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा और चुनावी धांधली के आरोप लगे। चुनावी धांधली और मतपेटियां लूटे जाने के वीडियो भी वायरल हुए हैं।
याचिकाकर्ता ने दिखाया चुनावी धांधली का वीडियो
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में धांधली के आरोपों के बाद करीब 696 केंद्रों पर पुनर्मतदान कराया गया। 11 जुलाई को मतगणना शुरू हुई। एक याचिकाकर्ता ने एक वीडियो अदालत को दिखाया। वीडियो में मतदान के दिन कथित चुनावी धांधली होता नजर आ रहा है। अदालत ने याचिकाकर्ता को इस वीडियो की प्रति राज्य चुनाव आयोग, राज्य सरकार और केंद्र के वकीलों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि विषय को सुनवाई के लिए 19 जुलाई को उसके समक्ष रखा जाए।
राज्य चुनाव आयोग से हाईकोर्ट नाराज
कलकत्ता हाईकोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग से नाराज है। कोर्ट ने अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि, पहली नजर में ऐसा लगता है कि आयोग का जवाब पर्याप्त नहीं। बुधवार को भी आयोग का कोई अधिकारी अपने वकीलों को आवश्यक निर्देश देने के लिए अदालत में उपस्थित नहीं रहा। हाईकोर्ट ने ये भी कहा, 'यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव आयोग क्यों पहले से सक्रिय नहीं रहा? खासतौर पर तब, जब अदालत पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रही है। पहला फैसला 13 जून को सुनाया गया था।'
हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि, 'ये आश्चर्य की बात है कि चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद भी राज्य हिंसा की रोकथाम नहीं कर पा रहा। यदि राज्य सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा करने की स्थिति में नहीं है तो यह बेहद गंभीर विषय है।'