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West Bengal: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव पर सियासी घमासान तेज, चुनाव आयोग ने 13 को बुलाई बैठक,भाजपा ने किया विरोध
West Bengal: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की तारीखों को लेकर विपक्ष लगातार विरोध करने की कोशिश में जुटा हुआ है।
West Bengal: पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। राज में पंचायत चुनाव की तारीखों को लेकर विपक्ष लगातार विरोध करने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस चुनाव में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 जून है और इसे भी लेकर विपक्ष की ओर से तीखी आपत्ति जताई गई है। पंचायत चुनाव की तारीखों का मामला हाईकोर्ट भी पहुंच चुका है।
इस बीच विपक्ष की आपत्तियों पर चर्चा करने के लिए राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने सभी राजनीतिक दलों की 13 जून को महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक में पंचायत चुनाव के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही राजनीतिक दलों की ओर से उठाई जा रही आपत्तियों का निराकरण भी किया जाएगा। टीएमसी की ओर से इस बैठक का स्वागत किया गया है जबकि भाजपा का कहना है कि ऐसी बैठक का अब कोई मतलब नहीं रह गया है।
बैठक में सुनी जाएंगी विपक्ष की आपत्तियां
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन का काम पहले ही शुरू हो चुका है और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 जून तय की गई है। राज्य की करीब 75,000 सीटों के लिए 8 जुलाई को मतदान की तारीख तय की गई है। भाजपा और कांग्रेस की ओर से नामांकन दाखिल करने के लिए तय की गई समय सीमा पर आपत्ति जताई गई है। दोनों दलों ने इस मुद्दे पर ममता सरकार और राज्य चुनाव आयोग पर हमला बोला है।
विपक्षी दलों की आपत्तियों के बीच राज्य चुनाव आयोग की ओर से 13 जून को राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई गई है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने इस बैठक के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राज्य के सभी राजनीतिक दलों को इस बैठक में आमंत्रित किया गया है। इस बैठक के दौरान उनकी शिकायतें सुनी जाएंगी और उनका निराकरण करने का प्रयास किया जाएगा। चुनाव आयोग का मानना है कि पंचायत चुनाव के दौरान कानून व्यवस्था को बनाए रखना बड़ी चुनौती है और इस मुद्दे पर भी बैठक में चर्चा की जाएगी।
भाजपा ने किया बैठक का विरोध
राज्य चुनाव आयोग की ओर से उठाए गए इस कदम का सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से स्वागत किया गया है। टीएमसी का कहना है कि इस बैठक के दौरान विपक्ष को अपने मुद्दे रखने चाहिए। पार्टी ने इसे आयोग की अच्छी पहल बताया। दूसरी ओर भाजपा ने चुनाव आयोग की इस बैठक पर आपत्ति जताई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पंचायत चुनाव में नामांकन दाखिल करने के लिए 15 जून आखिरी तारीख तय की गई है। ऐसे में नामांकन की आखिरी तारीख से दो दिन पहले बैठक बुलाने का कोई मतलब नहीं रह जाता।
उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान यदि विपक्ष की ओर से कुछ सुझाव दिए जाएंगे तो उन्हें इतनी जल्दी कैसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा कोई तरीका नहीं दिखता जिसमें विपक्ष की ओर से उठाए गए मुद्दों का निराकरण किया जा सके। उन्होंने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा पर हमला करते हुए कहा कि वे पूरी चुनाव प्रक्रिया को खराब करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने चुनाव आयुक्त की ओर से बुलाई गई बैठक को महज दिखावा बताया है।
चुनाव आयुक्त ने दी राजभवन को सफाई
पंचायत चुनाव को लेकर विपक्ष के तीखे विरोध के बाद राजभवन भी इस मामले में कूद पड़ा है। राजभवन की ओर से तलब किए जाने के बाद राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने शनिवार को राज्यपाल सीवी बोस से मुलाकात की।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पंचायत चुनाव को लेकर राज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी जिसके बाद राजभवन की ओर से सिन्हा को तलब किया गया था। जानकारों के मुताबिक इस बैठक के दौरान सिन्हा ने पंचायत चुनाव को लेकर की गई तैयारियों की जानकारी दी।
चुनाव के दौरान हिंसा की आशंका
राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की हत्या के बारे में भी पूछताछ की। राज्यपाल ने पूछा कि पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए आयोग की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं। पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा रोकने की मांग को लेकर भाजपा और कांग्रेस नेताओं ने हाल में राज्यपाल से मुलाकात की थी। कांग्रेस ने तो हिंसा रोकने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की है।
पश्चिम बंगाल में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी व्यापक तौर पर हिंसा की घटनाएं हुई थीं। इस बार भी पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में माहौल गरमाया हुआ है और व्यापक हिंसा की आशंका जताई जा रही है। इस बीच सबकी निगाहें हाईकोर्ट पर भी लगी हुई हैं। हाईकोर्ट ने नामांकन की समयसीमा को अपर्याप्त बताते हुए राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब तलब किया है।