×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Delhi Liquor Scam: कौन हैं नरेश कुमार, जिनकी रिपोर्ट पर खुला था दिल्ली शराब घोटाला... जिन पर अब जांच चाहती है केजरीवाल सरकार

Delhi Liquor Scam: केजरीवाल सरकार और मुख्य नौकरशाह आमने-सामने हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार का कहना है कि मुख्य सचिव नरेश कुमार की भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में संलिप्तता है। वहीं मुख्य सचिव का कहना है कि बिना सबूत के आरोप लगाए जा रहे हैं। ये पूरा विवाद द्वारका एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहित 19 एकड़ भूमि के मुआवजे से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्य सचिव के बेटे से जुड़ी कंपनी को करीब 9 गुना ज्यादा मुआवजा दिया गया।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 15 Nov 2023 6:35 PM IST
Who is Naresh Kumar, on whose report the Delhi liquor scam was exposed... on whom Kejriwal government now wants investigation
X

दिल्ली सीएम अरविन्द केजरीवाल- दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार: Photo- Social Media

Delhi Liquor Scam: दिल्ली सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह इस समय जेल में हैं। वहीं ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वे नहीं पहुंचे। ताजा मामला दिल्ली के मुख्य सचिव और सीनियर आईएएस अफसर नरेश कुमार का है। नरेश कुमार भ्रष्टाचार के मामले में घिर गए हैं। आरोप है कि द्वाराका एक्सप्रेस-वे में भूमि अधिग्रहण में हेरफेर कर मुख्य सचिव के बेटे की कंपनी को 315 करोड़ का फायदा पहुंचाया गया है। एक शिकायत मिलने के आधार पर दिल्ली के सतर्कता विभाग ने इसकी जांच की और सीएस की संलिप्तता पाए जाने का दावा किया है। वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को जांच रिपोर्ट के आधार पर सीएस को तत्काल पद से हटाने और सस्पेंड करने की सिफारिश की है।

इसी महीने रिटायर होने वाले हैं-

बताते चलें कि 1987 बैच के आईएएस अफसर और मुख्य सचिव नरेश कुमार इसी महीने रिटायर होने वाले हैं। वहीं नौकरशाही और राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि कुमार को सेवा विस्तार मिल सकता है। ऐसे में यह नया विवाद उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है और उनके एक्सटेंशन पर ब्रेक लगा सकता है। नरेश कुमार 2022 में ही दिल्ली के मुख्य सचिव बनाए गए थे।

‘नरेश कुमार ने ही उजागर किया था शराब घोटाला?'-

गौर करने वाली बात यह है कि आईएएस अधिकारी नरेश कुमार ने ही दिल्ली के चर्चित एक्साइज पॉलिसी स्कैम और सीएम आवास नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं की शुरुआती जांच की थी और केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने ही 8 जुलाई 2022 को दिल्ली की नई शराब नीति में घोटाला होने का आरोप लगाया था। उन्होंने इससे जुड़ी एक रिपोर्ट एलजी वीके सक्सेना को सौंपी थी। जिसमें बताया गया था कि आबकारी मंत्री और उस समय के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया है। सीबीआई ने नरेश कुमार की जांच के आधार पर ही मामला दर्ज किया था और उसके बाद छापेमारी शुरू की थी। कहा जाता है कि उसके बाद से ही अरविंद केजरीवाल सरकार और मुख्य सचिव नरेश कुमार के बीच विवाद चल रहा है।

ये भी पढ़ें: Uttarkashi Tunnel Collapse: मजदूरों का फूटा गुस्सा, सामने आई कंपनी की बड़ी लापरवाही, इस वजह से हुआ भूस्खलन

'सीबीआई भी कर रही है जांच'-

इस बीच, आम आदमी पार्टी की सरकार ने दावा किया है कि द्वारका एक्सप्रेस-वे से संबंधित भूमि मुआवजा मामले से संबंधित अनियमितताओं में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार भी शामिल हैं। इस मामले में डीएम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू हो चुकी है। सीबीआई जांच भी चल रही है। अब मुख्य सचिव के खिलाफ भी जांच के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शिकायत को आगे भेज दिया है।

जानिए पूरे विवाद की एबीसीडी...

एनएचएआई के द्वारका एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि का अधिग्रहण 2017 में शुरू हुआ। दो भूस्वामियों सुभाष चंद कथूरिया और विनोद कुमार कथूरिया को 19 एकड़ जमीन के लिए 41.52 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। दोनों ने मुआवजे की राशि को चुनौती दी। 2019 में दोनों ने निष्पक्षता पर सवाल उठाए और दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, इस मामले में कथूरिया को हाईकोर्ट से कोई कानूनी राहत नहीं मिली। 2019 में जिला मजिस्ट्रेट दक्षिण-पश्चिम दिल्ली ने मध्यस्थ के रूप में काम करना शुरू किया। 2019 और 2022 के बीच तीन डीएम ने इस मामले को देखा, लेकिन कथूरिया की मुआवजा राशि नहीं बदली।

'बेटे को लेकर विवादों में आए नरेश कुमार'-

जून 2022 में हेमंत कुमार ने दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीएम के रूप में कार्यभार संभाला और मध्यस्थता का काम भी संभाला। इसी बीच अप्रैल 2022 में सीनियर आईएएस नरेश कुमार दिल्ली के मुख्य सचिव बने। लगभग एक साल बाद हेमंत कुमार ने कथूरिया के लिए भूमि अधिग्रहण मुआवजा 41.52 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 353.7 करोड़ रुपये कर दिया और यहीं से कहानी में ट्विस्ट आता है। सुभाष चंद कथूरिया व्यवसायी अमन सरीन के ससुर हैं। सरीन, अनंत राज लिमिटेड के एमडी और सीईओ हैं। इसी कंपनी में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे करण चैहान रणनीतिक सलाहकार हैं।

'नरेश के बेटे कथूरिया के रिश्तेदार की कंपनी में कार्यरत?'-

करण चौहान सितंबर 2020 से बिगटाउन प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक हैं। इस कंपनी का पंजीकृत पता और ईमेल आईडी अनंत राज लिमिटेड का है। करण ईएस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के भी निदेशक हैं और पंजीकृत ईमेल आईडी का डोमेन नाम अमन सरीन की कंपनी का है। इन खुलासों से पता चलता है कि चैहान ना सिर्फ सरीन की कंपनी के महज एक कर्मचारी हैं, बल्कि उन्हें अनंत राज से जुड़ी कंपनियों का निदेशक भी बनाया गया है। अब कथूरिया को दिए गए 9 गुना ज्यादा मुआवजे के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं। दिल्ली के मुख्य सचिव के बेटे करण चैहान के साथ पारिवारिक और व्यापारिक संबंध का हवाला दिया जा रहा है।

'कथूरिया के मुआवजे की सीबीआई जांच'-

सितंबर 2023 में दिल्ली सतर्कता विभाग ने हेमंत कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की, जिसमें कहा गया कि उनके कार्यों से सरकार को 312 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देना पड़ा। मामला सीबीआई को भेजा गया। बाद में हेमंत का अंडमान और निकोबार ट्रांसफर कर दिया गया। 28 अक्टूबर को सीबीआई निदेशक को लिखे गृह मंत्रालय के पत्र में कहा गया, हेमंत कुमार के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने बामनोली गांव में राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण में अनियमितताएं कीं। सीबीआई को मामले की जांच करने के लिए कहा गया है।

'खुद नरेश ने इस मामले की जांच की, अफसर को दोषी माना'-

दिलचस्प बात यह है कि हेमंत कुमार के खिलाफ सतर्कता विभाग की जांच खुद मुख्य सचिव नरेश कुमार ने शुरू की थी। एक प्रतिष्ठित हिंदी न्यूज चैनल के अनुसार सतर्कता विभाग के दस्तावेज और तत्कालीन दक्षिण-पश्चिम डीएम के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश के कागज मिले हैं। 8 अगस्त 2023 के सतर्कता विभाग के दस्तावेजों में लिखा है, विभाग द्वारा अनुशंसित एक जांच एजेंसी-सीबीआई के लिए इसे संदर्भित करने के अलावा हेमंत कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए गृह मंत्रालय को सिफारिश की गई है। अगले दिन नरेश कुमार द्वारा फाइल पर हस्ताक्षर किए गए। सतर्कता विभाग की यह रिपोर्ट उपराज्यपाल सक्सेना को भेजी गई। बाद में राज निवास ने हेमंत कुमार के खिलाफ अपनी सिफारिशें गृह मंत्रालय को भेज दीं।

ये भी पढ़ें: Sahara Shree News: विशेष विमान से लखनऊ लाया गया सुब्रत रॉय का पार्थिव शरीर, कल होगा अंतिम संस्कार

'नरेश ने जांच का आदेश भी दिया था-

नरेश कुमार के करीबी सूत्रों की माने तो गलती करने वाले आईएएस अधिकारी के खिलाफ जांच का आदेश नरेश कुमार ने दिया था। अगर यह हितों के टकराव का मामला होता तो दिल्ली के मुख्य सचिव सतर्कता विभाग की जांच क्यों शुरू करते, जिसके कारण सीबीआई जांच हुई।

'850 करोड़ का गलत फायदा पहुंचाया'-

वहीं केजरीवाल सरकार में विजिलेंस मंत्री आतिशी का कहना है कि द्वारका एक्सप्रेस-वे के लिए बामनोली गांव में भूमि अधिग्रहण के संबंध में मुख्यमंत्री को एक शिकायत मिली थी। कंपनी ने द्वारका एक्सप्रेस-वे के पास 2015 में ये जमीन मात्र 75 लाख में खरीदी थी। अब महंगे रेट पर भूमि अधिग्रहण हुआ। कंपनी को 850 करोड़ का गलत फायदा पहुंचाया गया। चीफ सेक्रेटरी ने बेटे की कई अन्य कंपनियों को भी सरकारी ठेके दिए हैं। इन कंपनियों की भी जांच होगी।

कब सामने आया था अधिग्रहण में गड़बड़ी का मामला?-

द्वारका एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए 2018 में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा भूमि का अधिग्रहण किया गया था। इसी साल मई में तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण पश्चिम दिल्ली) हेमंत कुमार ने बामनोली में अधिग्रहीत 19 एकड़ भूमि के लिए दो व्यक्तियों को 18.54 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजे के रूप में 353 करोड़ रुपये दिए। आरोप है कि साउथ वेस्ट के डीएम ने निर्णायक प्राधिकारी, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के 2018 के फैसले को पलट दिया, जिसमें जमीन के उसी टुकड़े के लिए 53 लाख रुपये प्रति एकड़ के मूल्यांकन के आधार पर 41.52 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था।

'क्या मुख्य सचिव के खिलाफ कोई सबूत है?'-

दिल्ली सरकार के मंडलायुक्त अश्विनी कुमार ने मुख्य सचिव नरेश कुमार के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार बताए और इसे ‘गंदी राजनीति‘ का हिस्सा करार दिया। उन्होंने दावा किया कि मुख्य सचिव के खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों का उद्देश्य उनका चरित्र हनन करना है। क्योंकि वो भ्रष्टाचार के मामलों में सक्रिय रूप से कार्रवाई कर रहे हैं। अश्विनी ने कहा, मुख्य सचिव की छवि खराब करने के लिए बहुत सारी 'अफवाहें और झूठ' फैलाए जा रहे हैं। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा, मामला मई में सामने आया और तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट हेमंत कुमार के खिलाफ कार्रवाई की गई। मुख्य सचिव के खिलाफ शिकायत हेमंत कुमार को बचाने की एक ‘ध्यान भटकाने वाली रणनीति‘ है। उनके (मुख्य सचिव) कार्यकाल को बढ़ाए जाने की चर्चा है। ऐसे में यह उनकी छवि खराब करने का एक प्रयास है। उन्होंने पूछा, क्या मुख्य सचिव के खिलाफ कोई सबूत है?

मुख्य सचिव का क्या कहना है...

वहीं इस मामले में मुख्य सचिव ने कहा, यह सतर्कता जांच का सामना कर रहे 'असंतुष्ट' लोगों द्वारा 'कीचड़ उछालने' की कोशिश है। इससे पहले मुख्य सचिव ने कहा था कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू करने सहित सक्रिय कार्रवाई सुनिश्चित की गई थी। मंडलायुक्त अश्विनी कुमार ने दो जून को यह मामला मुख्य सचिव को भेजा। मुख्य सचिव ने संभागीय आयुक्त को इस मुद्दे की पाक्षिक आधार पर निगरानी करने का निर्देश दिया और बाद में सतर्कता निदेशालय को भी मामले की जांच करने को कहा। इसके अलावा, उपराज्यपाल वीके सक्सेना की मंजूरी के साथ 20 सितंबर को गृह मंत्रालय को जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ सीबीआई जांच और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।

जांच रिपोर्ट पर उठाए सवाल?-

नरेश कुमार ने कहा, क्या किसी ने मंत्री की 650 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ी है? ऐसे आरोप किस आधार पर लगाए गए हैं? रिपोर्ट की प्रति साझा नहीं की गई है। तो कोई किस आधार पर प्रतिक्रिया दे सकता है या रिपोर्ट कर सकता है। इस प्रकार के अपुष्ट तथ्यों को प्रकाशित करना अनुचित एवं सच्ची भावना से परे है। यदि भूमि मालिकों ने 2015 में बाजार दर के मात्र 7 प्रतिशत पर जमीन खरीदी थी तो 2015 से मुख्यमंत्री, मंत्री (राजस्व), मंत्री (सतर्कता) और संबंधित अधिकारियों द्वारा क्या किया गया आज तक? क्या ऐसी कथित कम मूल्य वाली बिक्री-खरीद में इन व्यक्तियों के कोई हित थे?

ये भी पढ़ें: MP Election 2023: 'शेर का बच्चा है... गीदड़ थोड़े हैं जो डरकर घर में बैठ जाएगा', जानिए पीएम मोदी को स्मृति ईरानी ने ऐसा क्यों कहा?

जानिए कौन हैं 'नरेश कुमार'-

बता दें कि मुख्य सचिव नरेश कुमार इसी महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ऐसी अटकलें हैं कि कुमार को सेवा विस्तार मिल सकता है। कहा जा रहा है कि दिल्ली में आप सरकार इसके खिलाफ है। 1987 बैच के आईएएस नरेश कुमार एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के अधिकारी हैं। इससे पहले वो अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव थे। उन्होंने पिछले साल अप्रैल में विजय देव की जगह बतौर दिल्ली के मुख्य सचिव का पद संभाला था। नरेश कुमार नई दिल्ली नगरपालिका परिषद में चेयरमैन भी रहे हैं।

अब दिल्ली की आप सरकार चाहती है कि नरेश कुमार पर शिकंजा कसे। यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा कि इस मामले में नरेश कुमार दोषी पाए जाते हैं या उन्हें क्लीनचिट मिलता है।



\
Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

Next Story