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ये कितने मजबूर हैं, अभी मंजिल इनकी बहुत दूर है...

दूसरे राज्यों से काम की खोज में गाँव से निकलकर शहरों में रह रहे मजदूरों के पास अब काम नहीं है, काम नहीं है तो पैसा नहीं है, पैसा नहीं है तो खायेंगे क्या? इन्ही परेशानियों के कारण आज मजदूर सड़कों पर हैं और निकल पड़ें हैं अपनों से मिलने के लिए अपनों के बीच अपने घर अपने गाँव।        

SK Gautam
Published on: 12 May 2020 8:15 PM IST
ये कितने मजबूर हैं, अभी मंजिल इनकी बहुत दूर है...
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लखनऊ: देश का निर्माता आज सड़कों पर है। ये निर्माता हैं मजदूर हैं और आज मजबूर भी हैं। देश का निर्माण इनके बिना संभव नहीं है, लेकिन फिर भी आज सड़कों पर पैदल चलकर अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। उन्हीं सड़कों पर, जिनपर इन्होंने शायद कभी काम भी किया होगा और देश के निर्माण में सहायक बने होंगे।

देश आज महामारी के संकट से गुजर रहा है। देश पर जब भी संकट आएगा चाहे वो युद्ध हो या किसी प्रकार की महामारी देश की जनता उससे अछूती नहीं रह सकती है।

ये कितने मजबूर हैं

कोरोना वायरस की महामारी के कारण देश में लॉक डाउन का तीसरा चरण चल रहा है। देश में सारे संस्थान बंद हैं। दूसरे राज्यों से काम की खोज में गाँव से निकलकर शहरों में रह रहे मजदूरों के पास अब काम नहीं है, काम नहीं है तो पैसा नहीं है, पैसा नहीं है तो खायेंगे क्या? इन्ही परेशानियों के कारण आज मजदूर सड़कों पर हैं और निकल पड़ें हैं अपनों से मिलने के लिए अपनों के बीच अपने घर अपने गाँव।

ये कितने मजबूर हैं

अभी मंजिल इनकी बहुत दूर है

इनका सिर्फ इतना सा ही कुसूर है...

कि ये बेकसूर हैं...

जी हां ये मजदूर हैं ।।

यहां जो तस्वीरें देख रहे हैं, जिसमें लोग पैदल, साईकिल, मोटरसाईकिल और ट्रकों के ऊपर बैठकर जान जोखिम में डालकर अपने-अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। शहर में यह नजारा हर जगह सड़कों पर देखने को मिल रहा है। हमारे कैमरामैन आशुतोष त्रिपाठी ने अपने कैमरे में इन तस्वीरों को कैद किया है। इन तस्वीरों को देख भावुक हो जायेंगे।

1- आज कितने मजबूर हैं ये मजदूर

2- खाने का ठिकाना नहीं, सिर्फ सफर है करना

3- संकट में फिर भी चहरे पर मुस्कान

4- सब हैं एक साथ

ये भी देखें: स्पेशल ट्रेन में मजदूर की मौत, घंटों पड़ा रहा शव, पुलिस का रहा ऐसा रवैया

5- मंजिल पर पहुंचेंगे जरूर

6- कोरोना से बचते हुए कर रहे हैं सफ़र

7- गिट्टी लदे ट्रकों पर सफ़र करने को मजबूर

8- कुछ नहीं मिला साधन तो पैदल ही निकले, पैरों में पड़ने वाले छालों की परवाह नहीं

ये भी देखें: आखिर क्यों? नहीं पहुंच पा रही मदद, जारी है मजदूरों का पलायन

9- साईकिल भी बनी सहारा, बिना थके पहुंचेंगे अपने घर

लॉक डाउन के समय में खाली सड़कों पर निकल पड़े ये मजबूर-मजदूर, किस तरह से संघर्ष कर रहा है। और अपनों से मिलने के लिए, अपने घर पहुँचने के लिए किन- किन मुश्किलों का सामना कर रहा है। जाहिर सी बात है कि इन तस्वीरों को देखकर आपके मन में देश और राज्यों की सरकारों से सवाल करने का मन कर रहा होगा। कि आखिर हमारे देश के मजदूरों की ऐसी स्थिति क्यों है?



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SK Gautam

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