रूस में आमने-सामने होगी भारत-पाक की सेनाएं, जानें क्यों?

अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर जिस तरह ट्रंप ने यह बयान दिया है, यह अमेरिका की रणनीति में बड़े बदलाव को दिखाता है।

Aditya Mishra
Published on: 23 Aug 2019 3:15 PM GMT
रूस में आमने-सामने होगी भारत-पाक की सेनाएं, जानें क्यों?
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नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पाकिस्तान है कि सीज फायर के उल्लंघन से बाज नहीं आ रहा है। वहीं भारतीय सेना इसका मुंह तोड़ जवाब देने में जुटी हुई है।

उधर सीमा पर पाकिस्तान की सेना को शिकस्त देने के बाद अब भारतीय सेना रूस में भी ऐसा ही करने जा रही है। बताते चले कि दोनों देशों की सेनाएं रूस में होने वाले सैन्य अभ्यास में एक दूसरे के सामने होगी।

रूस के ऑरनबर्ग में 10 सितंबर से 23 सितंबर के बीच मल्टीलेटेरल एक्सरसाइज- सैंटर 2019 आयोजित होनी है।

इस अभ्यास में शामिल होने के लिए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों की सेनाओं को न्योता दिया गया है। भारतीय सेना इस अभ्यास में शामिल हो रही है। ये रूस का कमांडो लेवल का सैन्य अभ्यास है।

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मालूम हो कि अगस्त 2018 में पहली बार भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने एक आमने सामने आकर एससीओ के बैनर तले प्रैक्टिस किया था। इसमें चीन ने भी हिस्सा लिया था। पूरी दुनिया में इस सैन्य अभ्यास की खूब चर्चा हुई थी।

भारत ने आतंकवाद के खात्मे के लिए अमेरिका से मांगी मदद

अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत से उतरने की अपील की है। अमेरिका की ओर से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान दिया है।

ट्रंप ने कहा है कि भारत को अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट(आईएसआईएस) के खिलाफ लड़ाई में उतरना चाहिए। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि, 'अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में भारत, रूस, तुर्की, इराक और पाकिस्तान को भूमिका अदा करने की जरूरत है।'

ट्रंप ने कहा कि 7 हजार मील दूर से अमेरिका, अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ जंग लड़ रहा है जबकि बाकी देश बिल्कुल भी सहयोग नहीं दे रहे हैं।

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अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर बदली रणनीति

अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर जिस तरह ट्रंप ने यह बयान दिया है, यह अमेरिका की रणनीति में बड़े बदलाव को दिखाता है।

ट्रंप की दक्षिण एशिया की रणनीति में भारत की अफगानिस्तान में भूमिका रचनात्मक और विकास कार्यों तक सीमित रही है। भारत, अफगानिस्तान में विकास कार्यों में लगातार योगदान दे रहा है।

भारत से इससे पहले अफगानिस्तान में आतंक निरोधी अभियानों में हिस्सा लेने के लिए नहीं कहा गया है और ना ही भारत खुद आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में शामिल होना चाहता है। ऐसे में भारत को लेकर ट्रंप को बयान पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है।

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