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धुंए के गुबार में विनाश की कहानी रचने वाले थर्मोबेरिक हथियार को क्यूं कहते हैं फादर ऑफ बम, इस पर क्या है कानून

Thermobaric Weapons : फादर ऑफ बॉम एक विनाशकारी हथियार होता है, जो धुंए के गुबार में रख कर उसमें तैयार की गई बम को विस्फोट करता है। इसे इसलिए फादर ऑफ बम कहा जाता है क्योंकि यह विनाशकारी हथियार बमों के निर्माण में प्रयुक्त होता है।

Jyotsna Singh
Published on: 12 May 2023 7:06 PM IST (Updated on: 12 May 2023 7:07 PM IST)
धुंए के गुबार में विनाश की कहानी रचने वाले थर्मोबेरिक हथियार को क्यूं कहते हैं फादर ऑफ बम, इस पर क्या है कानून
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Thermobaric Weapons (social media)

Thermobaric Weapons : थर्मोबेरिक हथियार परंपरागत हथियारों की तुलना में बहुत खतरनाक तथा विनाशकारी हथियार होते हैं। सबसे खास बात इससे जुड़ी है कि पल भर में विनाश की तस्वीर रचने वाले इस खतरनाक बम को जेनेवा कंवेंशन के तहत बैन भी किया जा चुका है, क्योंकि इसका दूरगामी प्रभाव किसी परमाणु बम से कम नहीं आंका जा सकता। वैक्यूम बम या थर्मोबैरिक बम से होने वाला दुष्प्रभाव परमाणु बमों जैसी ही शक्ति रखता है। यही वजह है कि इस थर्मोबेरिक बम को फादर ऑफ ऑल बम भी कहा जाता है यह बम वजन में भी बेहद खास है, मतलब इसका वजन 7100 किलोग्राम है और यह एक ही बार में करीब 44 टन टीएनटी की ताकत का धमाका करने में पूरी तरह सक्षम है। इस बम की विनाशकारी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह एक बार के इस्तेमाल से ये अपने आस पास के करीब 300 मीटर के क्षेत्र को पूरी तरह आग का गोला बना सकता है।
थर्मोबेरिक हथियार दशकों पूर्व से निर्मित किए जा चुके हैं तथा रूस और अमेरिका ने पूर्व के युद्धों में इनका प्रयोग भी किया है। आइए जानते हैं इस विनाशकारी हथियार से जुड़े डिटेल्स....

थर्मोबेरिक बम में आखिर है क्या

इन घटक हथियारों में एक तरह का विस्फोटक मिश्रण भरा होता है जिसमें एलुमिनियम, मैग्नीशियम या कार्बनिक पदार्थ प्रमुख रूप से होता है। यह मिश्रण हीट पाकर एक जबरदस्त विस्फोट के रूप में फैल जाता है। यह हाई टेंप्रेचर के साथ विस्फोट करने हेतु आसपास की वायु से ऑक्सीजन का प्रयोग करता है तथा एयरवैक्यूम क्रिएट कर देता है। इसका प्रयोग सैनिक द्वारा हैंड हेल्ड लॉन्चर से, टैंक माउंटेड लॉन्चर से या रॉकेट के रूप में या विमान से गिराकर किया जा सकता है ।

थर्मोबेरिक बम कैसे काम करता है

इस हथियार के कार्य करने के तरीके की बात करें तो यह विनाशकारी हथियार अपने टारगेट को टच करते ही एक बेहद तेज विस्फोट के साथ सबसे पहले थर्मोबेरिक मिश्रण को धुंए के एक बड़े गुबार के रूप में फैला देता है, जो बड़े क्षेत्र में फैल जाता है। कुछ मिली सेकंड में दूसरा विस्फोट धुएँ के बादल के रूप में फैले ऑक्सीडेंट में होता है, जो इसे भीषण आग के गोले में बदल देता है और इस तरह धुएं के बादल का ऑक्सीजन के साथ घुलते रहते हुए लगातार जबरदस्त विस्फोट होने का सिलसिला जारी रहता है। यह भीषण विस्फोट आसपास के जितने भी निर्माण होंगे उन्हें पल भर में मैदान में बदल देता है। यह धुवां अपने भीतर वातावरण की ऑक्सीजन को अपने भीतर सोख लेता है और पूरे क्षेत्र में वैक्यूम प्रभाव पैदा हो जाता है जो इसे अत्यधिक विनाशकारी बना देता है।

थर्मोबेरिक बमों का कहां हो सकता है प्रयोग

किसी क्षेत्र में जहां बहुत अधिक विनाश करना हो वहां इसका प्रयोग किया जाता है। युद्ध या संघर्ष को जल्दी खत्म करना हो या किसी संरचना इमारत या बिल्डिंग के भीतर घुसकर हमला करना हो या फिर आतंकवादियों और देश की सीमा के भीतर बैठे दुश्मनों आदि के ठिकानों आदि का विनाश करने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।

थर्मोबेरिक हथियारों का कब कब हुआ प्रयोग

थर्मोबेरिक हथियारों के प्रयोग किए जाने की बात की जाय तो
यूएस आर्मी वार कॉलेज द्वारा 2018 में लिखित एक रिपोर्ट के अनुसार रूस ने 2014 में यूक्रेन में सैन्य बलों के ऊपर थर्मोबेरिक हथियारों का प्रयोग किया था ।
अमेरिका ने 2002 में अफगानिस्तान में थर्मोबेरिक बमों का प्रयोग गुफा क्षेत्र में छिपे हुए अलकायदा और तालिबान के लड़ाकों को खत्म करने के लिए किया था। रूस ने दोबारा 2023 में यूक्रेन में सैन्य बलों के ऊपर थर्मोबेरिक हथियारों का प्रयोग किया था ।

क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय कानून

इस खतरनाक विनाशकारी हथियार के प्रयोग पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इन खतरनाक हथियारों पर लिखित तौर पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन किसी भी देश के सार्वजनिक क्षेत्रों , स्कूलों, अस्पतालों, नागरिक क्षेत्रों में इनके प्रयोग के विरुद्ध हेग सम्मेलनों 1899 और 1907 के प्रोटोकॉल के तहत कार्रवाई की जा सकती है । हाल के वर्षों में वैश्विक तनाव के बढ़ने जैसे – यूक्रेन-रुस, भारत-चीन , भारत-पाक , चीन-ताइवान, आदि के बीच संबंध बिगड़ने से घातक थर्मोबेरिक हथियारों के निर्माण और प्रयोग की संभावनाएं कहीं ज्यादा बढ़ गयी हैं।



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Jyotsna Singh

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