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Satyapal Malik: इतने साल क्यों चुप रहे सत्यपाल मलिक?
Satyapal Malik: जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने 2019 के पुलवामा आतंकी हमले, जम्मू कश्मीर में एक ग्रुप बीमा योजना और एक प्रोजेक्ट के बारे में सनसनीखेज आरोप जड़ दिए जिसके बाद वह खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं।
Satyapal Malik: जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने 2019 के पुलवामा आतंकी हमले, जम्मू कश्मीर में एक ग्रुप बीमा योजना और एक प्रोजेक्ट के बारे में सनसनीखेज आरोप जड़ दिए जिसके बाद वह खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। मलिक ने ये आरोप एक सार्वजनिक सभा और एक यूट्यूब इंटरव्यू में लगाये थे जिसके बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमले किये हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने सत्यपाल मलिक और उनके समर्थन में बयान दे रहे विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा है। एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में जब अमित शाह से पूछा गया कि सरकार के खिलाफ बयान देने के बाद क्या सीबीआई ने मलिक को समन भेजा है, तो शाह ने कहा, ''ऐसा नहीं है। मेरी जो जानकारी है, उसके हिसाब से उन्हें दूसरी-तीसरी बार बुलाया गया है। जांच चल रही है। हमारे खिलाफ बोलने की वजह से उन्हें बुलाया गया है, ऐसा नहीं है।''
अमित शाह ने साथ में ये भी कहा - लेकिन आपको यह भी पूछना चाहिए कि हमसे अलग होने के बाद ही सब बातें क्यों याद आती हैं? आत्मा तब जागृत क्यों नहीं होती, जब सत्ता में बैठे होते हैं? इसकी क्रेडिबिलिटी के बारे में सोचना चाहिए। जब आपने जो कहा, वह सब कुछ सही है तो जब आप गवर्नर थे, तब क्यों चुप रहे?
क्या कहा था मलिक ने
दरअसल सत्यपाल मलिक ने दो आरोप लगाये थे - एक तो पुलवामा कांड के बारे में था कि सीआरपीएफ को जवानों के लिए एयरलिफ्ट की सुविधा मांगने के बावजूद नहीं दी गई और इस हमले के पीछे सुरक्षा खामियां थी। दूसरा आरोप था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को निपटाने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। ये दोनों आरोप मलिक ने कई साल बाद जड़े हैं।
क्या कहा शाह ने
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ''मैं इतना जरूर देश की जनता को कहना चाहता हूं कि भाजपा की सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया, जिसे छुपाना पड़े। कोई अपने निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए हमसे अलग होकर कुछ कहता है तो उसका मूल्यांकन जनता और मीडिया को करना चाहिए। आप जब सत्ता में नहीं हैं, हमसे अलग हो गए हैं और जब आप आरोप लगाते हैं तो आरोप की वैल्यू और उसका मूल्यांकन दोनों करना चाहिए।'' उन्होंने कहा, ''हमारी पार्टी में वे लंबे समय से काम कर रहे थे। वे राजनाथ सिंह जी की टीम में थे। मेरे साथ भी रहे। मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि वे लंबे अरसे से काम कर रहे थे। समय-समय पर कोई अपना रूप बदलता है तो इसमें क्या कर सकते हैं? जनता को उन्हें पहचानना चाहिए।''
राजनीति गरमाई
सत्यपाल मलिक के मामले में जातीय राजनीति भी गरमा गई है। चूंकि मलिक अपने को किसान व जाट नेता मानते हैं सो जाट समुदाय और खाप पंचायतों ने उनका समर्थन कर दिया है। ये लोग दिल्ली में पहुंच कर अपना समर्थन जताने के लिए एक सार्वजनिक पार्क में जमावड़ा करने लगे जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हटा दिया कि जमावड़े की कोई इजाजत नहीं ली गई थी। इसके बाद मलिक खुद थाने पहुंच गए। पुलिस ने कहा है कि मलिक को थाने बुलाया ही नहीं गया था, वो अपने समर्थकों के साथ खुद थाने चले आये।