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ट्रक वाले ने गर्भवती महिला के साथ किया ऐसा काम, उसे सुन कांप जाएगी रूह

कोरोना महामारी ने दुनिया को तबाह कर दिया है। पूरे देश में लॉकडाउन  है लोग खासकर मजदूर फंसे हुए हैं इसकी वजह  कई मजदूर पैदलचलकर  अपने घर पहुंच रहे है। ऐसा ही एक मजदूर परिवार दिल्ली से  बिहार के सुपौल के लिए निकला था। साथ में उसके 3 साल की बच्ची और गर्भवती पत्नी भी थी। पास में पैसे नहीं थे तो घर से पांच हजार रुपये मंगवाए।

suman
Published on: 15 May 2020 3:28 PM GMT
ट्रक वाले ने गर्भवती महिला के साथ किया ऐसा काम, उसे सुन कांप जाएगी रूह
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गोपालगंज : कोरोना महामारी ने दुनिया को तबाह कर दिया है। पूरे देश में लॉकडाउन है लोग खासकर मजदूर फंसे हुए हैं इसकी वजह कई मजदूर पैदलचलकर अपने घर पहुंच रहे है। ऐसा ही एक मजदूर परिवार दिल्ली से बिहार के सुपौल के लिए निकला था। साथ में उसके 3 साल की बच्ची और गर्भवती पत्नी भी थी। पास में पैसे नहीं थे तो घर से पांच हजार रुपये मंगवाए। सरकार से कोई मदद नहीं मिली। बॉर्डर पर दस किलोमीटर पैदल चलकर जब कोई बस या गाड़ी की सुविधा नहीं मिली तो वहां जो बस थी भी तो सोशल डिस्टेंसिंग का कोई महत्व नहीं था।

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एक बस पर 30 सीटर थी तो उसमें 70 लोग भरे हुए थे।इसलिए उस मजदूर ने बस में जाना उचित नहीं समझा और परिवार के साथ पैदल चलने का फैसला किया क्योंकि साथ में उसकी गर्भवती पत्नी भी थी। दिल्ली से बिहार के सुपौल जिला के लिए पैदल चलकर जाने वाली मजदूर की पत्नी ने गुरुवार को गोपालगंज के सदर अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। महिला और उसके बच्चे दोनों सुरक्षित हैं।

बता दें कि दिल्ली में सब्जी का कारोबार करने वाले सुपौल जिले के बलहां गांव निवासी संदीप यादव लॉकडाउन के दौरान अपनी गर्भवती पत्नी के साथ दिल्ली में फंसे थे। वह अपने 3 साल के बच्ची और गर्भवती पत्नी के साथ गांव जाना चाह रहे थे। बाद में उन्होंने पैदल ही बिहार जाने का फैसला किया। रास्ते में उसे एक ट्रक वाले ने सहारा दिया लेकिन ट्रक में ही संदीप की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने लगी जिसकी वजह से ट्रक वाला डर गया और उसने इस परिवार को सड़क पर बेसहारा छोड़ दिया। यूपी-बिहार की सीमा गोपालगंज के बलथरी चेक पोस्ट के पास इस महिला के पति ने डीएम से गुहार लगाई तो डीएम अरशद अजीज ने तत्काल मेडिकल टीम भेजकर महिला को गोपालगंज सदर अस्पताल में भर्ती कराया।

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महिला ने अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन कोरोना वायरस के डर की वजह से कोई भी स्वास्थ्यकर्मी इस पीड़ित परिवार के पास आने से डर रहा था। इस बात की खबर जब डीएम को लगी, तो उन्होंने अस्पताल कर्मियों को फटकार लगाई। अस्पताल में अभी जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. अब संदीप के परिवार को चिंता यह सता रही है कि वे किस तरह से अपने गांव पहुंचेंगे। फिलहाल इस पीड़ित परिवार ने इस बच्ची का नाम सृष्टि रखने का फैसला किया है।

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