खतरे में मजदूरों का भविष्य, अब इनकी जगह ले ली मशीनों ने

लॉकडाउन, फिजिकल डिस्टेन्सिंग और मजदूरों के पलायन का नतीजा ये हुआ है कि अब कंपनियों ने अपने कारखानों में ऑटोमेशन यानी मशीनों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है।

Vidushi Mishra
Published on: 15 May 2020 1:26 PM GMT
खतरे में मजदूरों का भविष्य, अब इनकी जगह ले ली मशीनों ने
X

नई दिल्ली। लॉकडाउन, फिजिकल डिस्टेन्सिंग और मजदूरों के पलायन का नतीजा ये हुआ है कि अब कंपनियों ने अपने कारखानों में ऑटोमेशन यानी मशीनों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। एक्स्पर्ट्स का कहना है कि ऐसे रूटीन काम जिनके लिए कोई खास हुनर की जरूरत नहीं है उनको आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस वाली मशीनों, औद्योगिक रोबोट, सर्विस रोबोट और रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन के हवाले किया जा रहा है।

ये भी पढ़ें…अभी-अभी करोड़ों का ऐलान: इस क्षेत्र को मिला बड़ा तोहफा, होंगे फायदे ही फायदे

बढ़ रही मांग

एबीबी और हनीवेल औद्योगिक ऑटोमेशन की दिग्गज कंपनियाँ हैं। इन कंपनियों के पास रिमोट निगरानी सर्विस वाली मशीनों की भारी मांग आ रही है। दरअसल औद्योगिक इकाइयां इंसानी सुपरवीजन की गैर मौजूदगी में किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहतीं।

रिमोट निगरानी मशीनें किसी भी प्रोसेस पर नजर रखती हैं और किसी भी गड़बड़ी को ऑटोमेटिकली दुरुस्त कर दिया जाता है। यूं तो तमाम उद्योगों में ऑटोमेशन किसी न किसी लेवल पर चलता ही रहता है लेकिन कोरोना काल में इसमें बहुत तेजी आ गई है।

ये भी पढ़ें…होगा आंदोलन: भारतीय मजदूर संघ की चेतावनी, 20 मई को देशभर में करेंगे ऐसा

हनीवेल कंपनी आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के जरिये ऐसे मॉडेल बना रही है जिससे आपरेटररों को बेहतर और एकदम सटीक निर्णय लेने में मदद मिले।

कंपनी ने विनिर्माण कंपनियों के लिए अलार्म मैनेजमेंट, प्रोसेस एड्वाइज़र,एडवांस प्रोसेस कंट्रोल, आदि क्षेत्रों में ये मॉडेल लागू किए हैं। कोरोना काल में अब कंपनियाँ अधिक से अधिक कोशिश में हैं कि उनके काम काज में इनसानी हस्तक्षेप न्यूनतम हो।

खर्चे की वजह से सुस्त थी रफ्तार

पिछले 4-5 साल से मैनुफेक्चुरिंग और अन्य सेक्टरों के बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट में मशीनीकरण काफी तेजी से बढ़ा है। इसका उद्देश्य आंतरिक कार्यक्षमता बढ़ाना और ग्राहकों को बहत सेवा देना था।

चूंकि मशीनीकरण में काफी खर्चा आता है इसलिए अधिकतर कंपनीय सस्ते लेबर को ज्यादा तरजीह देतीं हैं। लेकिन महामारी के असर ने हालात बदल दिये हैं।

ये भी पढ़ें…चीन की बर्बादी शुरू: भारत-अमेरिका मिलकर करने जा रहे ये काम, होगा इसका सफाया

काम करना भी जोखिम भरा

चूंकि आशंका जताई जा रही है कि कोरोना वायरस का असर अभी अनिश्चितकाल तक बना रहेगा। ऐसे में मानव संसाधन की सप्लाई पर असर अवश्य पड़ेगा और मानव संसाधन के साथ काम करना भी जोखिम भरा होगा।

इन हालातों के चलते कंपनियाँ मशीनीकरण करने को मजबूर हो गईं हैं। तात्कालिक तौर पर तो अधिकांश कंपनियाँ साधारण उपायों को ही अपनाएँगी जिनमें ज्यादा लागत नहीं आएगी। लेकिन लंबे समय में बड़े पैमाने पर मशीनीकरण होने की पूरी संभावना है।

ये भी पढ़ें…खतरे में लाखों लोग: अब सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप में आई महामारी, अलर्ट जारी

रिपोर्ट- नील मणि लाल

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story