TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

महिलाओं के लिए खास, सुंदरता चाहती हैं तो आज ही करें ये उपाय

छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती, काली चतुर्दशी, कृष्ण चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी आज है। आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। चूंकि दिवाली के एक दिन पहले आज भी दिये जलाए जाते हैं इसलिए इसे छोटी दिवाली कहते हैं एक तरह से आज दिवाली का पूर्वाभ्यास होता है।

Monika
Published on: 13 Nov 2020 9:49 AM IST
महिलाओं के लिए खास, सुंदरता चाहती हैं तो आज ही करें ये उपाय
X
महिलाओं के लिए खास, सुंदरता चाहती हैं तो आज ही करें ये उपाय

छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती, काली चतुर्दशी, कृष्ण चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी आज है। आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। चूंकि दिवाली के एक दिन पहले आज भी दिये जलाए जाते हैं इसलिए इसे छोटी दिवाली कहते हैं एक तरह से आज दिवाली का पूर्वाभ्यास होता है।

महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण दिन

लेकिन आप को नहीं पता होगा कि आज का दिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। चाहे वह विवाहित महिलाएं हों या अविवाहित लड़कियां क्योंकि रूप और यौवन की चाह सबमें होती है खासकर हर महिला खुद को श्रेष्ठ दिखाना चाहती है। लेकिन रूप चतुर्दशी विवाहित महिलाओं के लिए होती है।

रुप चतुर्दशी के दिन महिलाओं को शाम को गोधूलि बेला के समय 16 सिंगार करने चाहिए ऐसा करने से काली और कृष्ण चुतुर्दशी का फल मिलता है। और रूप यौवन की प्राप्ति होती है।

ये भी पढ़ें: दिवाली पर योगी जंगल में करेंगे मंगलः तीन घंटे वनटांगियों के बीच होंगे खास

क्या हैं 16 सिंगार - बिंदी, कंगन और चूडिय़ां, सिंदूर, काजल, मेहंदी, लाल कपड़े, गजरा, मांग टीका, नथ, कान के गहने, हार, बाजूबंद, अंगूठी, कमरबंद, बिछुआ और पायल। ये सोलह सिंगार हैं।

रुप चतुर्दशी के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक अभ्यंग स्नान है। यह नरक चतुर्दशी के दिन किया जाता है। मान्यता है कि अभ्यंग स्नान करने से मन, शरीर और आत्मा पर शांत प्रभाव पड़ता है।

ऐसे करें तैयारी

इसके लिए सबसे पहले तिल के तेल से शरीर की मालिश की जाती है। परंपरागत रूप से, विभिन्न प्रकार की सुगंधित जड़ी-बूटियों और दालों से एक पाउडर बनाया जाता है। जिसे आप उबटन भी कह सकते हैं। इसका इस्तेमाल स्नान के लिए किया जाता है। इस लेप को सिर से लेकर पैर तक लगाया जाता है। कहते हैं शरीर का कोई अंग इस लेप से छूटना नहीं चाहिए। इसके बाद सोलह सिंगार किये जाते हैं। इससे रूप और यौवन की प्राप्ति होती है। इस अभ्यंग स्नान करने से आलस्य और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म किया जाता है। अभ्यंग स्नान बुराई के उन्मूलन का प्रतीक है।

ये भी पढ़ें: नीतीश का बड़ा हमलाः चिराग पर कार्रवाई की बीजेपी को चुनौती

पौराणिक कथा- कहते हैं भगवान कृष्ण ने सत्यभामा की सहायता से राक्षस नरकासुर का वध किया था इसके बाद दोनों को पवित्र स्नान कराया था। यह इसलिए किया गया था जिससे उनके माथे से नरकासुर के खून के दाग हटाए जा सकें। उन्होंने दानव पर अपनी पत्नी सत्यभामा की जीत का जश्न मनाया था और इसी खुशी में माथे पर धब्बा लगाया था। आध्यात्मिक रूप से, अभ्यंग स्नान किसी के शरीर और मन से बुराई को हटाने का प्रतीक है।

रूप चतुर्दशी दिवाली के एक दिन पहले मनायी जाती है। इस दिन काली मां की पूजा होती है। रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्जवलित कर सम्पन्न होता है।

रामकृष्ण वाजपेयी



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story