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बच्चे और मोबाइल: आखिर कहां जा रही दुनिया, ऐसे बचें

मनोचिकित्सकों का कहना है कि पहले माता-पिता ही लाड़-प्यार में बच्चों को स्मार्टफोन दे देते हैं और फिर बाद में उसके दुष्परिणाम भुगतते हैं। इसलिए बच्चों को जितना संभव हो स्मार्टफोन से दूर रखना चाहिए। तो आइए हम आपको बताते हैं कि क्या हैं स्मार्टफोन से होने वाले नुकसान...

Shivakant Shukla
Published on: 3 Nov 2019 11:37 AM GMT
बच्चे और मोबाइल: आखिर कहां जा रही दुनिया, ऐसे बचें
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लखनऊ: आधुनिकता के इस दौर में मोबाइल से कोई अछूता नहीं है। तेजी से डिजिटल की तरफ बढ़ रही दुनिया को इंटरनेट ने गिरफ़्त में ले लिया है। इस रेस में अब बच्चे भी किसी से पीछे नहीं हैं।

शोध में हुआ बड़ा खुलासा

एक शोध में यह सामने आया है कि 1994 के बाद जन्म लेने वाले (जेड जेनरेशन) के करीब 30 लाख बच्चे मोबाइल की 3जी/4जी सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। शोध के मुताबिक शहरों में ज्यादातर बच्चे टीवी देखने की बजाय मोबाइल पर अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। देश के 16 शहरों के 7700 परिवारों के 3500 बच्चों और 1000 अभिभावकों पर टेलीकॉम उपकरण निर्माता कंपनी एरिक्शन की उपभोक्ता लैब ने शोध कराया है जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है।

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शेध के मुताबिक ‘जेड’ जेनरेशन के सात फीसदी बच्चों के पास खुद के स्मार्टफोन हैं, वहीं 20 फीसदी ऐसे बच्चों के पास भी निजी स्मार्टफोन हैं, जिनकी उम्र 11 साल से भी कम है।

हैरानी की बात ये है कि 9 से 18 साल के ज्यादातर बच्चे अपने मोबाइल फोन पर एक गोपनीय स्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं ताकि कोई अन्य उनके फोन में कुछ देख न सके।

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

मनोचिकित्सकों का कहना है कि पहले माता-पिता ही लाड़-प्यार में बच्चों को स्मार्टफोन, टैबलेट व आईपैड आदि दे देते हैं और फिर बाद में उसके दुष्परिणाम भुगतते हैं। इसलिए बच्चों को जितना संभव हो स्मार्टफोन से दूर रखना चाहिए। तो आइए हम आपको बताते हैं कि क्या हैं स्मार्टफोन से होने वाले नुकसान...

भारत में 12 फीसदी लोग इंटरनेट की लत की समस्या से पीड़ित

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 तक, वैश्विक आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा यानि की लगभग 3.1 बिलियन लोग रोज़ाना सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। देश में 493 मिलियन इंटरनेट या ब्रॉडबैंड ग्राहक हैं। भारत में लगभग 28 प्रतिशत शहरी और 26 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या 9 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं के प्रति वर्ष की वृद्धि के साथ सक्रिय रूप से इंटरनेट का उपयोग कर रही है। भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले 12 फीसदी लोग इंटरनेट की लत की समस्या से पीड़ित हैं।

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बच्चों को स्मार्टफोन से होने वाले नुकसान...

सभी प्रश्नों के उत्तर का सहारा गूगल

जब बच्चे पूरी तरह स्मार्टफोन पर निर्भर हो जाते हैं। यदि बच्चा स्मार्टफोन का उपयोग अपनी पढ़ाई के लिए भी कर रहा है तो भी नुकसान हो रहा है। जिस उत्तर को खोजने के लिए उसे पुस्तक का पाठ पढ़ना चाहिए या फिर जिस शब्द का अर्थ जानने के लिए डिक्शनरी के पन्नों को पलटना चाहिए वह काम उसका झट से गूगल पर हो जाता है इसलिए बच्चों ने पुस्तकों को पढ़ना कम कर दिया है।

स्मरण शक्ति को होता है नुकसान

पहले लोग एक दूसरे का फोन नंबर बड़ी आसानी से याद कर लेते थे, कोई घटजोड़ करना हो तो वह भी झट से उंगलियों पर कर लिया करते थे। यही नहीं लोगों के जन्मदिन या सालगिरह की तारीखें आसानी से याद रहती थीं लेकिन अब सब कुछ स्मार्टफोन करता है और बच्चों को अपना दिमाग लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इससे स्मरण शक्ति को नुकसान पहुंचता है।

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पर्याप्त नींद नहीं लेने से नुकसान

बच्चों को पर्याप्त नींद लेना जरूरी है लेकिन स्मार्टफोन की लत लग जाये तो बच्चे माता-पिता से छिप कर रात को स्मार्टफोन पर गेम खेलते रहते हैं या फिर कोई मूवी आदि देखते हैं जिससे उनके सोने के समय में तो कटौती होती ही है साथ ही लगातार स्मार्टफोन से चिपके रहने से आंखों को भी नुकसान होता है।

एक उम्र से पहले ही पता लग जाता है बहुत कुछ

इंटरनेट पर हर तरह की सामग्री उपलब्ध है। स्मार्टफोन में आप तरह तरह के एप डाउनलोड कर सकते हैं साथ ही यूट्यूब पर जो भी वीडियो चाहे देख सकते हैं और ऐसे में बच्चों को जो चीजें एक उम्र में जाननी चाहिए वह उन्हें कम उम्र में ही पता लगने लगती हैं जिसका उनके दिमाग पर असर होता है। इसके अलावा बहुत से ऐसे गेम हैं जोकि हिंसक हैं और इसे लगातार खेलते रहने से स्वभाव हिंसक हो जाता है।

स्वभाव में आता हो जाता है परिवर्तन

ज्यादातर बच्चे जिनको स्मार्टफोन की लत लग चुकी है अगर आप उनकी तुलना उन बच्चों से करेंगे जोकि स्मार्टफोन से दूर हैं तो देखेंगे कि स्मार्टफोन उपयोग करने वाले बच्चे सिर्फ वर्चुअल वर्ल्ड में जी रहे हैं और घर वालों से उन्हें कोई मतलब नहीं है। साथ ही उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो चुका होता है। अगर आप उन्हें थोड़ी देर के लिए भी स्मार्टफोन से दूर करेंगे तो वह गुस्से में आ जाएंगे या फिर चिल्लाना शुरू कर देंगे। जिससे देखने को मिलता है कि बच्चों के स्वभाव में परिवर्तन हो जाता है।

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कैसे छुड़ाएँ बच्चों की स्मार्टफोन की लत

(1.) इसके लिए सबसे पहले आप खुद भी दिन भर स्मार्टफोन से चिपके रहने की आदत को बदलें

(2.) घर पर परिवार के साथ समय बिताएँ ना कि फोन पर।

(3.) घर पर बच्चों से उनकी पढ़ाई के बारे में बात करें और जितना समय घर पर रहें बच्चों के साथ किसी ना किसी गतिविधि में लगे रहें। इससे बच्चे धीरे-धीरे स्मार्टफोन से दूर होते जाएंगे और आपके साथ समय बिताना उन्हें अच्छा लगेगा।

(4.) करीब हर बच्चे की किसी ना किसी चीज में रुचि होती है आप उसके मुताबिक उसे डांस क्लास, स्पोर्ट क्लास, म्यूजिक क्लास, पेंटिंग क्लास या अन्य कोई ज्वॉइन करवा सकते हैं।

(5.) बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और उनके साथ खुद भी खेलें। इससे बच्चों का शारीरिक विकास भी होगा और आपको भी मजा आयेगा।

(6.) बच्चों को हम हर तरह की सुविधा देना चाहते हैं और उनसे कोई काम नहीं करवाते, यह तरीका गलत है। बच्चों को घर के रोजमर्रा के कामों में कुछ ना कुछ योगदान लें इससे उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का भी अहसास होगा और चीजों का महत्व भी पता चलेगा।

(7.) बच्चों को अगर सिर्फ इसलिए फोन देना है कि वह आपके साथ संपर्क में रहे तो उसे स्मार्टफोन देने की बजाय साधारण फोन दें इसका दुरुपयोग होने की संभावना कम होती है, कुछ भी देर के लिए अगर समार्टफोन दे रहे हैं तो निगरानी करते रहें।

मोबाइल से हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

शुरुआती शोध में ही ये सामने आया है कि मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से इंसान में बायोलॉजिकल बदलाव आ सकते हैं। एम्स के डॉक्टर जो इस रिसर्च से जुड़े हुए हैं उन्होंने साफ बताया कि ये बदलाव केवल सुनने और ध्यान देने की क्षमता में नहीं बल्कि खून और हॉर्मोन में भी बदलाव ला सकते हैँ। उन्होंने बताया कि जो लोग आधे घंटे फोन यूज करते हैं और जो लोग 3-4 घंटे करते हैं और जो इससे ज्यादा करते हैं ऐसी तीन कैटेगरी के लोगों में रिसर्च हो रही है। सबसे बड़ा बदलाव जो आने वाले सालों में लोगों के अंदर दिखेगा कि उनके प्रजनन क्षमता में कमी आ गई है।

1. रात को नींद न आना

हर समय मोबाइल फोन चलाने से रात को नींद न आने की परेशानी पैदा कर सकता है। देर रात फोन पर चैटिंग करना,सोशल साइट पर एक्टिव रहना, लगातार कई घंटों तक फोन पर बात करने से स्लीप डिसऑर्डर की समस्या होने का खतरा ज्यादा पैदा हो सकता है।

2. दिल के रोग

स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने से दिल से जुड़ी बीमारियां होने का डर भी रहता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि फोन से निकलने वाली रेडिएशन दिल की कार्यप्रणाली में दिक्कतें पैदा करती है। जिससेे क्रोनिक डिजीज जैसी बीमारियां व्यक्ति को जल्दी घेर लेती हैं।

3. मर्दाना कमजोरी

सिर्फ बच्चे या औरते ही नहीं बल्कि कुछ पुरुष भी हद से ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। इससे उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन से उनकी मर्दाना ताकत कम होने लगती है। जिससे भविष्य में उन्हें परेशानी हो सकती है।

4. सुनने में परेशानी

कुछ लोग आजकल लगातार कई घंटों तक कानों में ईयरफोन लगाकर रखते हैं। जिसकी तेज आवाज सुनने की क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित करती है। इससे ईयरफोन के बिना आम आवाज सुनने में परेशानी होने लगती है। इससे कान की नसे कमजोर होनी शुरू हो जाती है, जिससे ऊंचा सुनाई देने लगता है।

5. आंखें कमजोर

मोबाइल से निकलने वाली रोशनी आंखों की रोशनी पर भी बुरा असर डालती है। बिना पलक झपकाएं देर तक मोबाइल देखते रहने से आंखें शुष्क हो जाती हैं। जिससे जलन पैदा होना,धुंधला दिखाई देना आदि दिक्कतें आने लगती हैं।

6. संक्रमण होने का डर

मोबाइल अपने साथ कई तरह के खतरनाक विषाणुओं को भी लेकर आता है। कुछ लोग टॉयलेट में भी इसका इस्तेमाल करते हैं। जिससे खतरनाक ईकोली जीवाणु फैलने लगते हैं जो त्वचा संक्रमण,दस्त,उल्दी आदि जैसी और भी बीमारियां फैलाने का काम करते हैं।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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