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कोरोना वैक्सीन से ताउम्र नहीं मिलेगा प्रोटेक्शन, इतने दिन शरीर पर रहेगा असर
कोरोना के बारे में अब भी बहुत कुछ पता नहीं है और रिसर्च जारी हैं सो इस बीमारी के प्रति एंटीबॉडी कितने दिन तक बनी रहती है, इस बारे में बारे में सीमित डेटा है।
लखनऊ: कोरोना की जो भी वैक्सीन अब तक बनीं हैं वो आपको कितने दिन तक प्रोटेक्शन देंगी कुछ भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। एक्सपर्ट्स ने साफ कहा है कि एक बार वैक्सीन लेने से पूरी ज़िंदगी के लिए आप संक्रमण से सुरक्षित नहीं होंगे। साइंस के इतिहास में अब तक ऐसी कुछ ही वैक्सीन बनी हैं, जिन्हें एक बार लेने से आजीवन सुरक्षा संभव होती है। मिसाल के तौर पर मीज़ल्स की वैक्सीन। सांस संबंधी दूसरे वायरसों और एंटीबॉडी के असर की उम्र से जुड़ा जो ताज़ा डेटा सामने आ रहा है, उसके हवाले से विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कोरोना की वैक्सीन से ऐसी उम्मीद नहीं रखी जा सकतीकि वर्षों तक प्रोटेक्शन मिलता रहेगा।
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वैक्सीन लगना भी शुरू हुए चंद महीने हुए हैं
कोरोना के बारे में अब भी बहुत कुछ पता नहीं है और रिसर्च जारी हैं सो इस बीमारी के प्रति एंटीबॉडी कितने दिन तक बनी रहती है, इस बारे में बारे में सीमित डेटा है। वैक्सीन लगना भी शुरू हुए चंद महीने हुए हैं। जब ज़्यादा और प्रामाणिक डेटा मिलेगा, तब पता चल सकेगा कि कितने लंबे समय तक के लिए वैक्सीन से इम्यूनिटी डेवलप होती है। नैचुरल इम्यूनिटी और वैक्सीन से डेवलप होने वाली इम्यूनिटी दोनों की अहम हैं और इनसे जुड़ी स्टडीज़ जारी हैं। वैसे, दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन का असर करीब 8 से 10 महीने तक रहेगा।
कोई वैक्सीन 100 फीसदी असरदार नहीं
अब तक कोई वैक्सीन 100 फीसदी असरदार पाई ही नहीं गई है। इसके अलावा दुनिया में बड़ी आबादी को वैक्सीन मिलने में लंबाअभी बहुत समय लगेगा। इनसे भी बड़ी बात ये है कि हर व्यक्ति की इम्यूनिटी और शारीरिक प्रतिक्रिया पर निर्भर होगा कि वैक्सीन का असर कितने लंबे समय तक रहता है। किन्हीं दो इंसानों की हाथ की रेखाएं जिस तरह अलग अलग होती हैं वैसे ही हर व्यक्ति की इम्यूनिटी अलग अलग होती है। ऐसे में किसी भी दवा या वैक्सीन के बारे में कोई कैसे रियेक्ट करेगा ये कहा नहीं जा सकता।
covid (PC: social media)
अब दस सप्ताह के अंतर पर लगेगी खुराक
अभी तक भारत में कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक 28 दिन बाद लगी जा रही थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। भारत में कोरोना वैक्सी न की दूसरी खुराक अब आठ से दस सप्ता ह के अंतर में दी जाएगी। इसकी वजह ये है कि भारत में कोरोना वैक्सी न की दूसरी डोज का प्रभाव अपेक्षा के अनुरूप नहीं देखा जा रहा था।
भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में अभी अब दो खुराकों के बीच का अंतर बढ़ा दिया जा रहा है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा गठित नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप आन इम्युनाइजेशन की एक्स्पर्ट कमेटी ने तो कोविशील्ड वैक्सीन के दोनों डोजों के बीच अंतराल को 28 दिन से बढ़ाकर आठ से 12 सप्ता ह तक करने की बात पहले ही कह दी थी। इसे अब लागू कर दिया गया है। भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में अभी अब दो खुराकों के बीच का अंतर बढ़ा दिया जा रहा है। फाइजर समेत दुनिया की कई वैक्सीन आठ से बारह सप्ताह के बीच ही दी जाएंगी।
वायरस के खिलाफ शरीर में बेहतर प्रतिरक्षा विकसित होती है
इम्यु नोलाजी कहती है टीकाकरण में दो खुराकों के बीच कम से कम आठ सप्ताह का अंतराल शरीर में इम्यूनिटी विकसित करने के लिए बेहद कारगर होता है। इससे वायरस के खिलाफ शरीर में बेहतर प्रतिरक्षा विकसित होती है। पहले भारत में डीबीटी की वैक्सीन की ही तरह एक माह के अंतराल में कोरोना वैक्सीतन लगाने का फैसला लिया गया था। वायरोलाजिस्टों का मानना है कि कोरोना की वैक्सीन का असर दीर्घकालिक और लाभप्रद हो यह सुनिश्चित कर लिया जाना चाहिए।
पहली डोज लेने के चार सप्ताह बाद एंटीबाडी का स्तर बढ़ता है
कोरोना की वैक्सीन के पहले डोज के बाद लंबे समय तक निगरानी करने पर ही पता चलेगा कि पहले डोज की एंटीबाडी कितने दिनों तक बनी रहेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पहली डोज लेने के चार सप्ताह बाद एंटीबाडी का स्तर बढ़ता है, जबकि 8 से 12 हफ्ते में यह अपने पीक पर पहुंच जाता है। इसके बाद एंटीबाडी का स्तर गिरने लगता है और अगर उसी समय वैक्सीन की दूसरी डोज दे दी जाती है तो एंटीबाडी तेजी से बढ़ती है और अपने पिछले शीर्षस्थ लेवल को भी पीछे छोड़ देती है।
covid (PC: social media)
मोटे लोगों पर कम असरदार
एक स्टडी के मुताबिक मोटापा कोरोना वैक्सीन का असर कम कर सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वैक्सीन की डोज ऐसे लोगों को अपेक्षित इम्यूनिटी डेवलप नहीं करा सकती। यही नहीं, ऐसे लोगों को कोरोना का संक्रमण जल्दी पकड़ लेने का जोखिम भी रहता है। ये स्टडी पिछले साल अगस्त में ही की गयी थी, जब वैक्सीन के ट्रायल चल रहे थे। स्टडी से पता चला कि अत्यधिक मोटापा और कोरोना से मौत के बीच एक सम्बन्ध है। खासकर छोटे और मध्यम आयु वर्ग के पुरुष को।
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मोटापे के अलावा डिप्रेशन, तनाव, अकेलापन और खराब स्वास्थ्य शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर करने के साथ कोरोना वैक्सीन के असर को कम कर सकता है। कोरोना की वक्सीन दिल की बीमारी, किडनी की बीमारी, अनियंत्रित डायबिटीज या कैंसर के मरीजों पर पूरी तरह असरदार नहीं हो सकती, ऐसा भी बताया जा चुका है।
क्या करें
- मास्क जरूर लगायें। जब भी किसी व्यक्ति से बातचीत करें या नजदीक संपर्क में आयें तो मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें। लेकिन भीड़ भाड़ में दो मास्क जरूर लगायें।
- जितना संभव हो शारीरिक दूरी का ख्याल रखें। किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में यदि सम्मिलत होते हैं तो नियम को दरकिनार न करें।
- हाथों की सफाई मूल नियम है। समय-समय पर हाथों को ठीक से साफ करें और साबुन का प्रयोग करने की कोशिश करें। जब साबुन व पानी की सुविधा न हो तभी सैनिटाइजर का प्रयोग करें। अधिक सैनिटाइजर का प्रयोग त्वचा के लिए ठीक नहीं है।
- कपड़ों को नियमित रूप से साफ करें। अधिक गर्म न सही हल्के गुनगुने पानी का सेवन ही फिलहाल ठीक है। अभी दिन में भले ही गर्मी का अहसास होता है, लेकिन सुबह व शाम अभी भी हल्की सर्दी है। ऐसे में सतर्कता बेहद अहम है। हल्दी वाला दूध का सुबह शाम सेवन करें।
- बाहर के खाने को अभी नजर अंदाज करें, घर में बना पौष्टिक आहार का ही सेवन फिलहाल फायदेमंद है।
- व्यायाम, कसरत व योग करके खुद को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत रखें।
- टीकाकरण करवा चुके लोग भी एहतियात बरतें। उनको भी मास्क लगाना और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
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