ये 5 दशहरे मेले: यहां नहीं घूमा तो कहीं नहीं घूमा आमने, जानें ऐसा क्यों

छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के लोग 600 साल से यह त्योहार मनाते आ रहे हैं। यहां पर रावण का दहन नहीं किया जाता। यहां के आदिवासियों और राजाओं के बीच अच्छा मेल जोल था।

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Published on: 25 Oct 2020 6:24 AM GMT
ये 5 दशहरे मेले: यहां नहीं घूमा तो कहीं नहीं घूमा आमने, जानें ऐसा क्यों
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ये 5 दशहरे मेले: यहां नहीं घूमा तो कहीं नहीं घूमा आमने, जानें ऐसा क्यों (Photo by social media)

लखनऊ: हिन्दू धर्म में आज यानि 25 अक्टूबर को पूरी दुनिया में दशहरे का त्योहार मनाया जा रहा है। ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाया जाता है। हिन्दू पंचाग के मुताबिक आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी को और दिवाली से ठीक बीस दिन पहले दशहरे का त्योहार देशभर में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने दुष्ट रावण को मार कर माता सीता को उसके चंगुल से बचाया था। भारत में कई हिस्सों में यह दिन दशहरे के तौर पर मनाया जाता है। तो आइए आपको बताते हैं देश के मशहूर 5 दशहरा मेलों के बारे में जो पूरी दुनियाभर में चर्चा में हैं।

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बस्तर

छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के लोग 600 साल से यह त्योहार मनाते आ रहे हैं। यहां पर रावण का दहन नहीं किया जाता। यहां के आदिवासियों और राजाओं के बीच अच्छा मेल जोल था। राजा राम ने यहां पर रथ चलाने की प्रथा शुरू की थी। जिस वजह से यहां पर रावण दहन नहीं बल्कि दशहरे के दिन रथ चलाया जाता है।

कोटा

देश के राजस्थान राज्य के कोटा शहर में दशहरे का आयोजन 25 दिनों तक लगातार होता है। इस मेले की शुरुआत 125 वर्ष पूर्व महाराज भीमसिंह द्वितीय ने की थी। यह परंपरा आज तक निभाई जा रही है। इस दिन यहां रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला दहन किया जाता है। यह मेला देशभर में फेमस है।

मैसूर

मैसूर का दशहरा पूरी दुनिया में फेमस है। यहां पर दशहरा देखने के लिए लोग दुनियाभर से आते हैं। आपको बता दें कि यहां पर दशहरा का मेला नवरात्रि से ही शुरू हो जाता है। मैसूर में दशहरा का सबसे पहला मेला 1610 में आयोजित किया गया था। मैसूर का नाम महिषासुर के नाम पर रखा गया था। इस दिन मैसूर महल को बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है।

मदिकेरी

कर्नाटक राज्य के मदिकेरी शहर में दशहरा पर्व 10 दिनों तक शहर के 4 बड़े अलग अलग मंदिरों में आयोजित किया जाता है। और तो और इसकी तैयारी 3 महीने पहले से ही शुरू कर दी जाती है। दशहरे के दिन से एक खास उत्सव (मरियम्मा) की शुरुआत होती है। इस शहर के लोगों को एक खास तरह की बीमारी ने घेर रखा था, जिसे दूर करने के लिए मदिकेरी के राजा ने देवी मरियम्मा को प्रसन्न करने के लिए इस उत्सव की शुरुआत की थी।

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कुल्लू

वहीं उत्तर में हिमाचल प्रदेश में कुल्लू के ढालपुर मैदान में मनाए जाने वाले दशहरे को भी दुनिया का फेमस दशहरा माना जाता है। हिमाचल के कुल्लू में दशहरे को अंतरराष्ट्रीय त्योहार घोषित किया गया है। यहां दशहरे का त्योहार 17वीं शताब्दी से मनाया जा रहा है। ढालपुर मैदान में लोग अलग-अलग भगवानों की मूर्ति को सिर पर रखकर भगवान राम से मिलने के लिए जाते हैं।

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