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महिलाएं हो जाएं सावधान! नहीं किया ये काम तो पीरियड्स से हो जाएगी बीमारी
आज की थकावट भरी जिंदगी में महिलाएं अपने स्वास्थ्य को अनदेखा कर देती हैं, जिसकी वजह से उन्हें बाद में दिक्कत झेलनी पड़ती है। लड़कियों की उम्र जैसे जैसे बढ़ती है उनमें शारीरिक बदलाव भी काफी आते हैं। सबसे पहले उनके पीरियड्स शुरू होते हैं। जिसके बाद उन्हें अपने स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
लखनऊ: आज की थकावट भरी जिंदगी में महिलाएं अपने स्वास्थ्य को अनदेखा कर देती हैं, जिसकी वजह से उन्हें बाद में दिक्कत झेलनी पड़ती है। लड़कियों की उम्र जैसे जैसे बढ़ती है उनमें शारीरिक बदलाव भी काफी आते हैं। सबसे पहले उनके पीरियड्स शुरू होते हैं। जिसके बाद उन्हें अपने स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। महिलाओं के चेहरे पर बाल उग आना, बारबार मुहांसे होना, पिगमैंटेशन, अनियमित रूप से पीरियड्स का होना और गर्भधारण में मुश्किल होना महिलाओं के लिए खतरे की घंटी है। ये सभी लक्षण पीसीओडी के हो सकते हैं।
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क्या होता है पीसीओडी?
पीसीओडी यानी 'पोलीसिस्टिक ओवरी डिस्ऑर्डर'। पीसीओडी हार्मोन सम्बंधित एक समस्या है, जिसमें महिला में स्त्री यौन हार्मोन का असंतुलन हो जाता है और उसमें कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस स्थिति की अधिकतर महिलाओं की अंड ग्रंथियों में कई छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होती हैं। इस स्थिति के कारण मासिक चक्र में परिवर्तन, गर्भधारण में कठिनाई और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उचित ज्ञान न होने व पूर्ण चिकित्सकीय जांच न होने की वजह से महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं।
पीसीओएस स्टडी के मुताबिक, हर 10 में एक औरत को ये सिंड्रोम होता है। इन 10 में से 6 टीनएज लड़कियां होती हैं। एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ एंडोक्रॉइनॉल्जी एंड मेटाबॉलिज्म की स्टडी के मुताबिक, "बच्चा पैदा करने की उम्र वाली 20 से 25 % औरतों में पीसीओएस के लक्षण पाए गए। पीसीओएस झेल रही 60% औरतें मोटापे का शिकार हैं और 30 से 40 % औरतें फैटी लिवर से पीड़ित हैं। 70 % औरतों का ब्लड शुगर बढ़ा हुआ है। 60 से 70 % में एस्ट्रोजन का स्तर ज्यादा है।"
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"इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने देश भर में पीसीओएस को लेकर सर्वे कराया। जिसमें पाया गया कि ये समस्या औरतों में और बढ़ रही है।" पीसीओडी का बढ़ने कारण इसकी जानकारी का न होना है। डॉक्टरों के पास जाने में शर्म या गुप्त अंगों के रोगों के बारे में महिलाएं खुल कर बात नहीं कर पाती हैं। लेकिन अब ज़रुरत है कि हम शर्म छोड़ कर खुल कर बात करें और अपने से जुड़ी हर बदलाव को समझे और कुछ भी अगल या परेशानी होने पर डॉक्टरों की सलाह लें। सिर्फ डॉक्टरों ही क्यूं न हम आपस में इसकी जानकारी रखें और आपस में साझा करें। ताकि किसी भी महिला को इस वजह से दिक्कत ना हो।