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Sita Navami 2023: जानिए सीता नवमी कब मनाई जाएगी, इसका इतिहास और महत्व

Sita Navami 2023: सीता नवमी उन मूल्यों और नैतिकता का पालन करने के लिए मनाई जाती है, आज हम आपके लिए सीता नवमी का महत्त्व, इतिहास और इससे जुड़े कई तथ्यों को आपके सामने लेकर आए हैं।

Shweta Shrivastava
Published on: 29 April 2023 12:25 PM IST
Sita Navami 2023: जानिए सीता नवमी कब मनाई जाएगी, इसका इतिहास और महत्व
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Sita Navami 2023 (Image Credit-Social Media)

Sita Navami 2023: भारत धार्मिक मान्यताओं और उत्सव का देश कहा जाता है। यहाँ हर दिन एक त्यौहार होता है। वहीँ सीता नवमी का उत्सव भी पूरे धूम धाम के साथ कल यानि शनिवार 29 अप्रैल को मनाया जायेगा। इस दिन की काफी विशेषता है। हर साल पूरे देश में सीता नवमी बहुत ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है। लोग देवी सीता की जयंती मनाने के लिए इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं। भगवान राम की पत्नी देवी सीता पवित्रता और सच्चाई की अवतार हैं। उन्हें देवी जानकी भी कहा जाता है। हर साल, लोग दिन की शुरुआत पवित्र डुबकी लगाकर करते हैं और फिर देवी सीता की पूजा करते हैं और आशीर्वाद के रूप में अपने परिवार की लंबी उम्र की कामना करते हैं। आज हम आपके लिए सीता नवमी का महत्त्व, इतिहास और इससे जुड़े कई तथ्यों को आपके सामने लेकर आए हैं।

सीता नवमी 2023 की विशेषता

तारीख

इस साल सीता नवमी 29 अप्रैल को मनाई जाएगी। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, सीता नवमी की नवमी तिथि 28 अप्रैल को शाम 04:01 बजे शुरू होगी और 29 अप्रैल को शाम 06:22 बजे समाप्त होगी।

सीता नवमी का इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सीता को मिथिला साम्राज्य के राजा जनक और रानी सुनयना ने गोद लिया था। राजा जनक यज्ञ के लिए खेत जोत रहे थे कि उन्होंने सीता को सोने की टोकरी में देखा। उन्होंने उसे गोद ले लिया और जोते हुए खेत के नाम पर उनका नाम सीता रखा। बाद में, देवी सीता ने अयोध्या वंश के राजा राम से विवाह किया। राम और सीता की कहानी विवाहित जोड़ों के लिए एक प्रेरणा है, और वो हमें प्यार, ईमानदारी और त्याग के बारे में सिखाती हैं। हालाँकि, सीता और राम का जीवन चुनौतियों से रहित नहीं था। जब भगवान राम को चौदह वर्ष के लिए वनवास भेजा गया, तो देवी सीता और लक्ष्मण उनके साथ थे। इसके तुरंत बाद, देवी सीता का अपहरण राक्षस राजा रावण ने किया था। लंका में रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने सीता का उद्धार किया था। इसके बाद माँ सीता ने अग्नि परीक्षा दी। साथ ही उसके बाद उन्हें वन की ओर प्रस्थान करना पड़ा जहाँ उन्होंने अपने दो बेटों लव और कुश को जन्म दिया। बाद में वो धरती में समाहित हो गईं।

महत्व

सीता नवमी उन मूल्यों और नैतिकता का पालन करने के लिए मनाई जाती है जो देवी सीता ने अपने भक्तों के लिए निर्धारित की थीं। उन्हें पवित्रता का अवतार माना जाता है। उनके परिवार के लिए उनके बलिदान को आ भी लोग स्मरण करते है और उनकी पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और देवी सीता से अपने परिवार के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

उत्सव

सीता नवमी को बहुत ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है। भक्त दिन की शुरुआत पवित्र नदी में डुबकी लगाकर और मंत्र का जाप करके करते हैं। महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और देवी सीता की पूजा करती हैं। वो अगले दिन ही व्रत तोड़ती हैं।



Shweta Shrivastava

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