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प्रेग्नेंट या डिलीवरी के बाद करवा चौथ रखना चाहिए या नहीं, जानिए क्या है जवाब
करवा चौथ हर सुहागिन औरत व्रत रखती है। पूरे दिन निर्जला रहकर महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। इसलिए प्रेग्नेंट लेडी को इस व्रत को करने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा जिन महिलाओं का डिलीवरी हो गई है, उनका डिलीवरी के बाद पहला व्रत है या फिर उनके बच्चें छह माह से छोटे हैं,
जयपुर: करवा चौथ हर सुहागिन औरत व्रत रखती है। पूरे दिन निर्जला रहकर महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। इसलिए प्रेग्नेंट लेडी को इस व्रत को करने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा जिन महिलाओं का डिलीवरी हो गई है, उनका डिलीवरी के बाद पहला व्रत है या फिर उनके बच्चें छह माह से छोटे हैं, उन महिलाओं को भी व्रत नहीं रखना चाहिए। क्योंकि प्रेग्नेंसी जो खाया जाता है। वही बेबी तक पहुंचता है। इसके अलावा जो महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग करती है उन्हें भी अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि मां का खानपान ही शिशु का आहार है।
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ध्यान रखें...
*करवा चौथ के व्रत में दिन भर निर्जला रहा जाता है जिसका असर बच्चे के आहार पर पड़ता हैं। स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को या न्यू मॉम्स की जिम्मेदारी है कि वे अपने बेबी की फीड का पूरा ध्यान दें। छह महीने तक की उम्र के बच्चे पूरी तरह मदर्स फीड पर ही निर्भर होते हैं।
*ऐसे में उनकी प्यास की निर्भरता आप पर है। अगर पूरे दिन कठिन व्रत करेंगी तो इसका असर बच्चे के भोजन पर होगा। यह काफी हद तक मानसिक स्तर पर भी निर्भर करता है। प्रेगनेंसी और ब्रेस्ट फीडिंग दोनों ही हालात में करवा चौथ व्रत रखने पर शरीर से डबल एनर्जी निकलती है।
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*यह पूरा न होने पर चक्कर आना, कमजोरी, उल्टियां आदि की समस्या होती है डिलीवरी के बाद पहली बार करवा चौथ का व्रत रखते हुए कठोर नियम का पालन जरुरी नहीं हैं।
*व्रत रखने से पहले अपनी सेहत के अनुसार डॉक्टर से भी सलाह लें। छह माह से छोटे शिशु को ब्रेस्ट फीड करवाती हैं तो निर्जल व्रत न रखें। बीच-बीच में फल, फलों का रस, दूध, मेवे आदि लेती रहें। धार्मिक आस्था के साथ-साथ अपने बेबी की सेहत का भी ख्याल रखना है।