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Premanand Ji Maharaj: भगवान् के होने का प्रमाण मांगने वाले भक्त को प्रेमानंद जी ने दिया जवाब, सुनकर आप भी रह जायेंगे दंग
Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज राधारानी के परम भक्त हैं। उन्हें सुनने दूर दूर से लोग आते हैं। वहीँ उनके सत्संग को लोग बेहद ध्यान से सुनते हैं ऐसे में उनके भक्त इस दौरान उनसे कई तरह के प्रश्न पूछते हैं जिसका महाराज जी बेहद सरलता के साथ उत्तर भी देते हैं।
Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज राधारानी के परम भक्त हैं। उन्हें सुनने दूर दूर से लोग आते हैं। वहीँ उनके सत्संग को लोग बेहद ध्यान से सुनते हैं ऐसे में उनके भक्त इस दौरान उनसे कई तरह के प्रश्न पूछते हैं जिसका महाराज जी बेहद सरलता के साथ उत्तर भी देते हैं। वहीँ एक भक्त ने उनसे भगवान् के होने का प्रमाण माना ऐसे में आइये जानते हैं कि प्रेमानंद जी महाराज ने क्या कहा।
भगवान् के होने का प्रमाण मांगने वाले भक्त को प्रेमानंद जी ने दिया जवाब
प्रेमानंद जी महाराज अपनी प्रेरणादायक बातों से सभी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। प्रेमानंद जी काफी कम उम्र से ही अध्यात्म की ओर अग्रसर हो गए और उन्होंने श्रीकृष्ण और राधारानी की भक्ति में अपना पूरा जीवन लगा दिया। वहीँ उन्हें सुनने और उनसे मिलने उनके कई भक्त दूर दूर से आते हैं जिसमे देश और विदेश के भी कई लोग शामिल हैं। वो अपने सत्संग के दौरान लोगों के मन के प्रश्नों और दुविधाओं को भी दूर करते हैं। ऐसे में एक भक्त ने उनसे पूछा भगवान हैं इसका क्या प्रमाण है? जिसपर प्रेमानंद जी महाराज ने बड़े ही सादे भाव के साथ और शालीनता से प्रश्न को सुनते हुए जवाब दिया। अगर आपके मन में भी कभी ये प्रश्न आया हो तो आपको भी उनकी इस बात को सुनना होगा।
भगवान हैं इसका प्रमाण मांगने पर भक्त को जवाब देते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि पिता के होने का प्रमाण कौन दे सकता है। आप कहीं भी जाएं इसका प्रमाण कौन दे सकता है। लेकिन इसे आपको बहुत सूक्ष्मता से समझना होगा। हमारा असली पिता कौन है ये सिर्फ एक माँ ही जानती है साथ ही मेरा परिचय भी सिर्फ वही दे सकती है। भगवान् के होने का प्रमाण तो सद्गुरु देव रूपी मां से ही मिलता है। अगर प्रकृति की रचना हुई है तो इसका कोई न कोई रचनाकार भी अवश्य ही होगा। पुत्र है तो उसका पिता भी होगा। साथ ही अगर तुम्हे फिर भी इसका प्रमाण चाहिए तो तुम्हे साधना करनी होगी। इस बात को किसी तर्क से नहीं बल्कि साधना से ही समझा जा सकता है। अधर्मी आचरण का त्याग करो,पवित्र रहो,इससे तुम्हारे मन में ये प्रश्न नहीं बल्कि इसका समाधान अपने आप आ जायेगा।
अगर आपको प्रभु का अनुभव करना है तो आपको अपना आचरण शुद्ध रखना होगा, किसी निर्बल की सहायता करिये, इसके बाद आपको प्रभु से कहना होगा कि वो आपको अनुभव कराएं कि वो कहाँ हैं। ये बुद्धि से नहीं समझा जा सकता जब आपको उनका अनुभव होगा आप इस बात को तभी समझ पाएंगे।