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Inspirational Story: चमगादड़ के गुण!
Inspirational Story : एक बार सारे पक्षी मिलकर उसके पास गए और उसे अपने साथ मिलकर लड़ने के लिए कहा। पर चमगादड़ ने मुसकराते हुए कहा, "भाई, मैं तो पशुओं की कोटि में आता हूँ।
Inspirational Story : एक बार की बात, जंगल के पक्षियों और पशुओं में किसी बात बड़े जोर की लड़ाई उन गई। लड़ाई को लंबा समय हो गया और वह बढ़ती ही जा रही थी, पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा था।
पर चमगादड़ मजे में था, क्योंकि उसमें कुछ गुण पशुओं के थे, तो कुछ गुण पक्षियों के भी थे। उसने सोचा, "मुझे भला किसी का साथ देने की क्या जरूरत है? जो भी जीतेगा, मैं उसकी तरफ हो जाऊँगा।"
एक बार सारे पक्षी मिलकर उसके पास गए और उसे अपने साथ मिलकर लड़ने के लिए कहा। पर चमगादड़ ने मुसकराते हुए कहा, "भाई, मैं तो पशुओं की कोटि में आता हूँ। तो फिर भला मैं तुम्हारी मदद क्यों करूं?"
कुछ समय बाद जंगल के पशु उसके पास गए और लड़ाई में साथ देने के लिए कहा। पर चमगादड़ ने कहा, "भाई, मैं तो पक्षी हूँ। तो फिर मैं भला तुम्हारी मदद क्यों करूँ?
पशुओं और पक्षियों की लड़ाई बहुत समय तक चली, पर चमगादड़ सबसे अलग बैठा मौज करता रहा। फिर आखिर पशुओं और पक्षियों ने सोचा कि बेकार लड़ने से क्या फायदा ? इससे दोनों को ही बहुत नुकसान हो चुका है, इसलिए अब हमें सुलह कर लेनी चाहिए।
जल्दी ही पशु और पक्षी पहले की तरह मिल-जुलकर रहने लगे। पर किसी ने चमगादड़ पर ध्यान नहीं दिया। तब एक दिन खुद वह पक्षियों के पास गया। बोला, "मैं तो पक्षी हूँ।" पर पक्षियों ने उसे टोले से बाहर निकाल दिया। तब वह पशुओं के टोले में गया, पर वहाँ भी उसे दुत्कार दिया गया। तब से चमगादड़ यों ही अकेला घूमता है और अकसर सिर नीचा करके पछतावा करता नजर आता है। पर उस पर किसी को दया नहीं आती।
शिक्षा:-
दु:ख में जो किसी का साथ नहीं देते, उन्हें कोई पसंद नहीं करता है।