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बहुत ही खतरनाक! दूर रखें इससे अपने बच्चों को, नहीं तो होगा ऐसा..

आज-कल सभी मोबाइल यूज़ करते हैं, चाहे वो बड़ा हो या छोटा बच्चा ही क्यों न हो। मोबाइल यूज़ करते-करते छोटे बच्चे अपना बचपन खो रहे हैं।

Roshni Khan
Published on: 28 Nov 2019 6:55 AM GMT
बहुत ही खतरनाक! दूर रखें इससे अपने बच्चों को, नहीं तो होगा ऐसा..
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लखनऊ: आज-कल सभी मोबाइल यूज़ करते हैं, चाहे वो बड़ा हो या छोटा बच्चा ही क्यों न हो। मोबाइल यूज़ करते-करते छोटे बच्चे अपना बचपन खो रहे हैं। मोबाइल यूज़ करना तो सबको अच्छा लगता है, लेकिन उससे होने वाली बीमारियों के बारे में शयद बहुत ही कम लोग जानते है या उसपर कम ध्यान देते है। मोबाइल का असर सबसे ज्यादा बच्चों या टीनएजर्स पर होता है। हम आपको बताना चाहते हैं कि मोबाइल ज्यादा यूज़ करने से टीनएजर्स को स्ट्रेस होने लगता है।

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स्ट्रेस के लक्षण बढ़ रहे हैं

एक रिसर्च से पता चला है कि सोशल मीडिया, टेलीविजन और कंप्युटर के यूज़ से टीनएजर्स में स्ट्रेस के लक्षण बढ़ रहे हैं। कनाडा के जर्नल ऑफ साइक्रेट्री के मुताबिक पिछले चार साल में औसत से अधिक सोशल मीडिया पर रहने वालों, टीवी देखने वालों और कंप्युटर का यूज़ करने वाले टीनएजर्स में स्ट्रेस के गंभीर लक्षण पाए गए हैं।

मांट्रियाल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने रिसर्च में पाया कि सोशल मीडिया का यूज़ कम करते ही टीनएजर्स मे तनाव के लक्षण भी कम हो गए। ऐसा ही असर टीवी और कंप्युटर का यूज़ कम करने पर भी पाया गया।

रिसर्चर्स ने पाया कि सोशल मीडिया और टीवी देखने का सीधा ताल्लुक अवसाद बढ़ने से है। लेकिन इस रिसर्च में तनाव से कंप्युटर के यूज़ को कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं हो पाया।

कंप्युटर के यूज़ से ऐंग्जाइटी बढ़ती है

ये बात जरूर साबित हुई की कंप्युटर के यूज़ से ऐंग्जाइटी बढ़ती है। नोर्मल्ली टीनएजर्स अपना होमवर्क करने के लिए कंप्युटर का यूज़ करते हैं। कनाडा के वैज्ञानिकों का ये रिसर्च बच्चों में स्क्रीन टाइम कम करने की ओर इशारा करता है। इससे उनमें स्ट्रेस कम होगा।

रिसर्चर्स का कहना है कि इस पर अभी और रिसर्च किया जा रहा है कि आखिर ऐसे स्ट्रेस केरिजल्ट क्या हो सकते हैं। इस रिसर्च में मॉन्ट्रियाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पैट्रिसिया की टीम ने 12 से 16 आयु वर्ग के चार हजार किशोरों को फॉलो किया।

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इन टीनएजर्स से स्क्रीन के सामने बिताए जाने वाले उनके टाइम का एक्स्पेरिंस के बारे में पूछा गया। इसमें उनसे खुद का आंकलन करने वाले सवाल पूछे गए। इनसे यह पता चला कि अगर वो अपना स्क्रीन टाइम कम करते है तो उनमें स्ट्रेस के लक्षण भी कम हो सकते हैं।

Roshni Khan

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