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Social Media Ban: अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया एकाउंट्स होंगे बैन, जानिए क्या है सरकार का नया फैसला

Social Media Ban for Teenagers: सोशल मीडिया को आज भले ही एक महान सोशल नेटवर्क टूल के रूप में जाना जाता हो, लेकिन समाज में इसकी वजह से फैल रही बुराइयों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

Shweta Shrivastava
Published on: 8 Aug 2023 8:49 AM IST (Updated on: 8 Aug 2023 10:45 PM IST)
Social Media Ban: अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया एकाउंट्स होंगे बैन, जानिए क्या है सरकार का नया फैसला
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Social Media Ban for Teenagers (Image Credit-Social Media)

Social Media Ban for Teenagers: सोशल मीडिया को आज भले ही एक महान सोशल नेटवर्क टूल के रूप में जाना जाता हो, लेकिन समाज में इसकी वजह से फैल रही बुराइयों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। विशेष रूप से 18 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा इसका उपयोग उन्हें बेहद नुकसान पंहुचा सकता हैं। सोशल मीडिया के इन नकारात्मक प्रभावों को अगर समय पर नहीं पहचाना गया और नियंत्रित नहीं किया गया तो ये आपके किशोर बच्चों के स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के लिए काफी घातक हो सकता है। वहीँ इसके दुष्परिणामों के चलते जल्द ही 18 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया चलाने पर बैन भी लग सकता है आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।

18 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया एकाउंट्स पर लग जायेगा बैन

सोशल मीडिया जहाँ सोशल नेटवर्क टूल के रूप में काफी पॉपुलर हुआ है वहीँ इसके कई नुकसान सामने आये हैं जिसने सभी को चिंता में डाल दिया है। जिसके बाद ये फैसला लिया गया है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया एकाउंट्स पर बैन लगा दिया जायेगा या फिर वो अपना अकाउंट केवल माता पिता की देखरेख में ही चला पाएंगे। उनकी इजाज़त के बिना 18 साल से कम उम्र के बच्चे अपना सोशल मीडिया अकाउंट एक्सेस नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही सरकार के तरह की नई स्कीम लेन की तैयारी में भी है जिससे बच्चों को उनके सोशल मीडिया अकाउंट के ज़रिये न तो कोई बरगला सके और न ही उनका गलत फायदा उठाया जा सके। इसके अलावा अगर बनाये गए नियमों का उल्लंघन होता है तो सजा भी सुनिश्चित की जाएगी। आइये जानते हैं कि सोशल मीडिया किशोर बच्चों के लिए किस तरह नुकसानदायक है।


18 साल से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव

1. फेसबुक डिप्रेशन

फेसबुक डिप्रेशन सोशल मीडिया के उपयोग से जुड़ी एक भावनात्मक समस्या है। जब एक किशोर को अपने सोशल मीडिया समकक्षों से हीन महसूस कराया जाता है, तो वो अक्सर अवसाद में पड़ जाते हैं जिसे आमतौर पर फेसबुक डिप्रेशन कहा जाता है। अपने फेसबुक या ट्विटर फ्रेंड्स से अलग दिखने, उनमें फिट होने या स्वीकार किए जाने की आवश्यकता ही उपयोगकर्ताओं को इस प्रकार की भावनात्मक अशांति की ओर ले जाती है।

2. साइबरबुलिंग

विशिष्ट उपयोगकर्ताओं तक झूठी, शर्मनाक या शत्रुतापूर्ण जानकारी संप्रेषित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना साइबर बुली है। सोशल मीडिया के प्रमुख प्रभावों में से, साइबरबुलिंग एक ऐसी बुराई है जो इतनी असामान्य हो गई है। लंबे समय तक साइबर-धमकाने के शिकार लोग अक्सर अवसाद, अलगाव, अकेलापन, तनाव, चिंता, कम आत्मसम्मान जैसी मनोसामाजिक समस्याओं का सामना करते हैं और कुछ तो आत्मघाती भी बन जाते हैं।

3. नींद की कमी

सोशल मीडिया आज किशोरों में नींद की कमी के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्हें लगातार इस बात की चिंता रहती है कि उनके दोस्त क्या पोस्ट और शेयर कर रहे हैं। अगर उन्हें रुकने के लिए प्रेरित न किया जाए तो किशोर लंबे समय तक सोशल मीडिया पर सक्रिय रह सकते हैं। वहीँ अगर वो विशेष रूप से सोने के समय या सोने से ठीक पहले ऐसा करते हैं, तो उनकी नींद में खलल पड़ने की संभावना अधिक होती है। रीडिंग आपको नींद के महत्व और नींद की कमी के संबंधित जोखिमों को समझने में मदद कर सकती है।

4. कम आत्मसम्मान

ज्यादातर किशोर लड़कियां सोशल मीडिया पर समय बिताने के बाद खुद की तुलना मशहूर हस्तियों से करने लगती हैं और उनकी तरह पतली, सुंदर और अमीर दिखना चाहती हैं। किशोरावस्था में, उन लोगों की नकल करना सामान्य बात है जिन्हे वो पसंद करते हैं या उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। यह नकल उनके आत्म-सम्मान और गरिमा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। अलग-अलग अध्ययनों का नतीजा यह है कि जो लड़कियां खुद को मशहूर हस्तियों की तरह दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताती हैं, उन्हें मित्र मंडली से अलग कर दिया जाता है। उनके दोस्त उन्हें स्वीकार नहीं करते।

5. सामाजिक अलगाव

सोशल मीडिया के उपयोग और सामाजिक अलगाव के बीच एक सांख्यिकीय संबंध है। जब किशोर किसी ऐसी पार्टी की तस्वीरें या वीडियो देखते हैं जहां उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था, तो ये उन्हें चिंतित कर सकता है। इसे "छूटने का डर" या FOMO के रूप में जाना जाता है। अधिकांश समय, किशोर बच्चे मानते हैं कि वो सोशल मीडिया का उपयोग करके विभिन्न व्यक्तियों से जुड़ रहे हैं लेकिन वास्तव में वो वर्तमान क्षण और अपने जीवन से बाहर हो रहे होते हैं। जो और भी ज़्यादा अलग-थलग महसूस करने का कारण बन सकता है।


6. ख़राब एकाग्रता

आज छात्रों पर सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव आसानी से देखा जा सकता है। विभिन्न कार्यों, जैसे स्कूलवर्क, क्लासवर्क या होमवर्क, को किसी महत्वपूर्ण चीज़ से निपटने के लिए अधिक एकाग्रता की ज़रूरत होती है, लेकिन अब किशोरों को एक साथ सोशल मीडिया का उपयोग करने की आदत हो गई है। ज्यादातर लोग इसे मल्टीटास्किंग मानते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। शोध से पता चलता है कि लगातार सोशल मीडिया के प्रयोग से ध्यान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उनके नई चीज़ सीखने और प्रदर्शन में कमी आती है।

7 . इंटरनेट की लत

किशोरों में सोशल मीडिया का अनियंत्रित उपयोग इंटरनेट की लत का कारण बन सकता है। बच्चे जितना ज़्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उतना ही अधिक वो नई कहानियों और विचारों से परिचित होते हैं जिन्हें वो जानना चाहते हैं। ये आदत अंततः एक लत में बदल जाती है जिसे अगर जल्दी नहीं संभाला गया तो ये उनके स्कूल के प्रदर्शन, मानसिक स्वास्थ्य और यहां तक ​​कि व्यक्तिगत विकास को भी प्रभावित कर सकता है।

अंत में हम ये कह सकते हैं कि 18 साल से क उम्र के बच्चों को जहाँ सोशल मीडिया कर इंटरनेट की चीज़ों से दूर रहने की ज़रूरत है वहीँ ये भी ज़रूरी है कि उनके माता पिता भी उनकी गतिविधियों को लेकर अलर्ट रहे।



Shweta Shrivastava

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