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कोरोना संक्रमितों से किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा, रिसर्च में हुआ महत्वपूर्ण खुलासा
पहली बार एक अध्ययन में खुलासा किया गया है कि कोरोना पीड़ितों के नजदीकी संपर्क में आने वाले किन लोगों को इस वायरस का सबसे ज्यादा खतरा होता है। अध्ययन के मुताबिक नजदीकी संपर्क में आने वाले सभी लोगों को संक्रमण की आशंका नहीं होती।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पहली बार एक अध्ययन में खुलासा किया गया है कि कोरोना पीड़ितों के नजदीकी संपर्क में आने वाले किन लोगों को इस वायरस का सबसे ज्यादा खतरा होता है। अध्ययन के मुताबिक नजदीकी संपर्क में आने वाले सभी लोगों को संक्रमण की आशंका नहीं होती। सबसे ज्यादा खतरा कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के साथ घर में रहने, भोजन करने और सफर करने वालों को हो सकता है।
नजदीकी संपर्कों की सूची बनाकर पड़ताल
यह दावा लांसेट में हाल में प्रकाशित एक शोध में किया गया है। यह शोध शेनजेन (चीन) में स्थित सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने किया है। सीडीसी ने 14 जनवरी से 12 फरवरी के बीच कोरोना संक्रमितों की पड़ताल करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। इस अवधि के दौरान शेनजेन में कोरोना वायरस से 391 लोग संक्रमित पाए गए थे। सीडीसी ने इन लोगों के नजदीकी संपर्कों की सूची बनाकर पूरी जांच-पड़ताल की।
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तीन श्रेणियों में बांटकर किया शोध
सीडीसी ने कोरोना संक्रमितों के नजदीकी संपर्क में आने वाले लोगों को तीन श्रेणियों में बांटकर शोध किया है। पहली श्रेणी में ऐसे लोग थे जो संक्रमित व्यक्ति के साथ घर में रहते थे। दूसरी श्रेणी में उन लोगों को रखा गया जिन्होंने कोरोना पीड़ित व्यक्ति के साथ यात्रा की। तीसरी श्रेणी में ऐसे लोगों को रखा गया जिन्होंने कोरमा संक्रमित व्यक्ति के साथ भोजन किया था।
घर में साथ रहने वालों को सर्वाधिक खतरा
शोध में बताया गया है कि 686 ऐसे नजदीकी संपर्क थे जो कोरोना संक्रमित लोगों के साथ एक साथ घर में रहते थे। इनमें से 77 व्यक्ति यानी 11.2 फ़ीसदी लोग संक्रमित निकले। 318 व्यक्ति ऐसे थे जो यात्रा के दौरान संक्रमितों के संपर्क में आए थे। उनमें से 18 व्यक्ति यानी 5.7 फ़ीसदी लोग कोरोना संक्रमित निकले। कोरोना संक्रमितों के साथ भोजन करने वाले 760 लोगों में से 61 लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया गया यानी 8.6 फ़ीसदी लोग भोजन करने के दौरान कोरोना वायरस का शिकार हो गए।
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राहत देने वाला है यह आंकड़ा
यदि इन तीनों श्रेणियों की संक्रमण की दर को मिला लिया जाए तो यह करीब 25.5 फ़ीसदी के करीब होती है। कोरोना वायरस के हमले को लेकर बने मौजूदा भय के माहौल में यह आंकड़ा निश्चित रूप से राहत देने वाला है। वैसे यह बात भी कही गई है कि विश्व के अलग-अलग हिस्सों में यह दर अलग-अलग भी हो सकती है।
कई और कारक भी जिम्मेदार
वैसे जानकारों का कहना है कि इस दर को लेकर अलग-अलग कारक भी जिम्मेदार होते हैं। वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी विभाग के निदेशक डॉ जुगल किशोर का कहना है कि इस अध्ययन के नतीजों पर गौर करने के साथ ही हमें यह भी विचार करना चाहिए कि संक्रमण की दर के लिए कई और कारक भी काम करते हैं।
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उन्होंने कहा कि जैसे कि यह भी देखा जाना चाहिए कि एक घर में लोग कितनी जगह में रहते हैं या कितनी संख्या में रहते हैं। इसके साथ ही साथ इस पर भी विचार करना जरूरी है कि उन लोगों को पहले से कोई बीमारी तो नहीं है। यह भी विचारणीय है कि घर में रहने वाला कोई सदस्य बुजुर्ग तो नहीं है। उनका कहना है कि तमाम कारकों को देखते हुए ही संक्रमण की दर का ठोस अंदाजा लगाया जा सकता है।