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बुंदेलखंड: मोदी लहर में भी आसान नहीं रही भाजपा की राह
संजय सिंह, स्टेट इंचार्ज, एडीआर का कहना है कि मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश पर बीजेपी का खास ध्यान है। पिछली बार 80 में से रिकॉर्ड 71 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। लेकिन, इस बार 2014 की तरह राह आसान नहीं है। पिछली बार जहां भाजपा मोदी लहर के रथ पर सवार थी, तो इस बार स्थिति वैसी नहीं है।
झांसी: बुंदेलखंड के चार लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए सभी पार्टियों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है। सन 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर ने सभी पार्टियों को शिकस्त देकर चारों लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था। वहीं, वर्तमान में बुंदेलखंड के 19 विधानसभा सीटों पर भी भाजपा के विधायक हैं, जो पार्टी प्रत्याशी को जीताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
पिछली बार चारों सीटों पर करीब साढ़े आठ लाख वोटों से जीती पार्टी को इस बार चुनाव जीतने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है, क्योंकि, पिछली बार के चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंदी रहे सपा व बसपा का गठबंधन भी इस बार सीधे टक्कर में है। वहीं, प्रियंका गांधी की बुंदेलखंड में जनसभाएं भीं कांग्रेस में जान फूंक रही हैं।
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भाजपा पर भारी पड़ सकता है सपा-बसपा गठबंधन
बुंदेलखंड क्षेत्र में सात जिले बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर हैं। इन सात जिलों में चार लोकसभा एवं 19 विधानसभा की सीटें हैं। इनमें बांदा-चित्रकूट लोकसभा, महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी लोकसभा, उरई-जालौन लोकसभा व झांसी-ललितपुर लोकसभा क्षेत्र है। वर्तमान में सभी लोकसभा व विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है।
2014 में बीजेपी को चारों सीटों पर कुल 19,19,551 वोट मिले थे। जबकि, सपा और बसपा अलग-अलग मैदान में थीं। दोनों पार्टियों को मिलाकर 18,21,027 मत मिले थे। यानी भाजपा को सपा-बसपा के मुकाबले सिर्फ 98,488 वोट ही ज्यादा मिले थे। वह भी तब जब भाजपा की ओर से झांसी-ललितपुर लोकसभा सीट पर फायरब्रांड नेता उमा भारती मैदान में थीं और मोदी लहर में भापजा को वोटों की बारिश हुई थी। लेकिन इस बार सपा-बसपा का गठबंधन भाजपा के लिए खतरे की घंटी बन गया है। क्योंकि, सभी जगहों पर सपा-बसपा के प्रत्याशी मैदान में थे।
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वनवास झेल रही कांग्रेस भी मैदान में
पिछली बार इस क्षेत्र में कांग्रेस का कोई खास वजूद नहीं था। लेकिन, इस बार प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने से कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता भी एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। वे कांग्रेस के उम्मीदवारों को जिताने के लिए जोरशोर से अभियान चला रहे हैं। खासकर, कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा खेमे में जा चुके दलितों में गैर जाटव और पिछड़ों में गैर यादव बिरादरी के मतों में सेंधमारी करने में जुट गए हैं।
ऐसे में लड़ाई दिलचस्प होती दिख रही है। जानकारों की मानें तो कांग्रेस की वजह से या तो त्रिकोणीय मुकाबला बन जाएगा, या फिर वोटों की सेंधमारी भाजपा के लिए भारी पड़ेगी। वैसे भी दो चरणों के चुनाव में वोटों का प्रतिशत कम होने का सीधा नुकसान भाजपा को हो रहा है। अगर तीसरे चरण में भी वोटर कम निकलते हैं तो निश्चित ही भाजपा को नुकसान होगा।
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मोदी लहर सब पर भारी
सभी चार लोकसभा सीटों पर भाजपा को 19,19,515 और सपा-बसपा को 18,21,027 वोट मिले थे। यानी भाजपा को दोनों पार्टियों से मात्र 98,488 वोट ही ज्यादा मिले थे। हालांकि, अलग अलग लोकसभा में जीत का अंतर काफी ज्यादा था। हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के कुंवर पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल को 4,53,884 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी के विशम्भर प्रसाद निषाद को 1,87,096 वोट।
यानी यहां बीजेपी 2,66,788 वोट से जीत दर्ज की थी। जालौन से भाजपा के भानु प्रताप सिंह वर्मा को 5,48,631 वोट और निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के बृजलाल खाबरी को 2,61,429 वोट मिल थे। यहां बीजेपी ने 2,87,203 वोटों से जीती थी। इसी तरह झांसी क्षेत्र से भाजपा की उमा भारती को 5,75,889 और सपा नेता चंद्रपाल सिंह यादव को 3,85,422 वोट हासिल हुए थे। यहां भी बीजेपी ने 1,90,467 मतों से जीत दर्ज की थी।
बांदा लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के भैरों प्रसाद मिश्र ने 3,42,066 वोट और बसपा के आर के सिंह पटेल ने 2,26,278 वोट हासिल किया था। यहां भाजपा ने 1,15,788 वोट से जीत दर्ज थी। यानी कुल वोटों को अंतर 8,60,246 वोटों का था, जोकि एक भारी अंतर होता है। भाजपा खेमे की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी की लहर इस बार भी सब पर भारी पड़ेगी। राष्ट्रवाद के साथ ही मोदी की स्वच्छ व दृढ़ नेतृत्व नेता की छवि लोगों को पसंद आ रही है। भाजपा का बूथ प्रबंधन भी पहले से काफी दुरूस्त हुआ है। सभी जातियों और खासकर दलित जातियों को अपने साथ लाने के लिए पार्टी बूथ स्तर पर सम्मेलनों का आयोजन कर रही है।
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पिछले चुनाव का आंकड़ा
- 2014 के लोकसभा चुनाव में बांदा-चित्रकूट से भाजपा उम्मीदवार भैरों प्रसाद मिश्रा को 3,42,066 वोट मिले थे, जबकि बसपा के आर.के. सिंह पटेल को 2,26,278 और सपा के बाल कुमार पटेल को 1,89,730 वोट हासिल हुए थे।
- महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी सीट पर भाजपा के पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल को 4,52,929 वोट, जबकि सपा के विशंभर प्रसाद निषाद (राज्यसभा सदस्य) को 1,87,095 और बसपा को 1,76,360 वोट हासिल हुए थे।
- उरई-जालौन सीट पर भाजपा के भानुप्रताप सिंह वर्मा को 5,48,631, बसपा के बृजलाल खाबरी को 2,61,429 और सपा के घनश्याम अनुरागी को 1,80,921 वोट मिले थे।
- झांसी-ललितपुर सीट पर भाजपा की उमा भारती को 5,75,889 वोट, सपा के चंद्रपाल सिंह यादव को 3,85,422 और बसपा को 2,13,792 वोट मिले थे।
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पार्टी प्रत्याशी
सपा ने बांदा-चित्रकूट से इलाहाबाद के भाजपा सांसद श्यामाचरण गुप्त को व झांसी-ललितपुर से श्यामसुंदर सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने महोबा-हमीरपुर से ठाकुर दिलीप कुमार सिंह को और उरई-जालौन से अजय सिंह पंकज (जाटव) को टिकट दिया है। कांग्रेस ने बांदा-चित्रकूट से ददुआ के भाई व मिर्जापुर से सपा के पूर्व सांसद बालकुमार पटेल को टिकट दिया है, जबकि महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी से प्रीतम सिंह लोधी पर दांव लगाया है।
इसी प्रकार कांग्रेस ने उरई-जालौन में बसपा के पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी और झांसी-ललितपुर से पूर्व मंत्री और जन अधिकार मंच (पार्टी) के अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा के भाई शिवशरण सिंह कुशवाहा एड. को चुनावी समर में उतारा है। भाजपा ने महोबा-हमीरपुर से अपने मौजूदा सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल व उरई-जालौन से सांसद भानुप्रताप सिंह वर्मा को फिर से टिकट दिया है। वहीं, झांसी-ललितपुर से बैधनाथ ग्रुप के मालिक डाॅ अनुराग शर्मा और के आर के सिंह पटेल पर दांव खेला है।
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संजय सिंह, स्टेट इंचार्ज, एडीआर का कहना है कि मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश पर बीजेपी का खास ध्यान है। पिछली बार 80 में से रिकॉर्ड 71 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। लेकिन, इस बार 2014 की तरह राह आसान नहीं है। पिछली बार जहां भाजपा मोदी लहर के रथ पर सवार थी, तो इस बार स्थिति वैसी नहीं है। 2014 के बाद हुए यूपी के उप चुनावों में बीजेपी को झटका लग चुका है। सपा-बसपा गठबंधन मजबूत हुआ है और कांग्रेस भी लड़ाई को त्रिकोणीय बना रही है। हो सकता है इस बार बीजेपी के साथ से बुुंदेलखंड खिसक जाए।