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लोकसभा चुनाव 2019 - तीसरा चरण: यादव परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर
तीसरे चरण का चुनाव प्रचार अंतिम चरण में है। सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस चरण में यूपी की दस सीटों पर 23 को मतदान होना है
धनंजय सिंह
लखनऊ: तीसरे चरण का चुनाव प्रचार अंतिम चरण में है। सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस चरण में यूपी की दस सीटों पर 23 को मतदान होना है, जिसमें सपा-बसपा, भाजपा, कांग्रेस और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला होना है। वर्ष 2014 में इन 10 सीटों में से सात सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था, वहीं तीन सीटों पर सपा काबिज हुई थी। इन दस सीटों पर सबसे अधिक वर्चस्व समाजवादी पार्टी का है।
इन सीटों पर समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह के परिवार की साख दांव पर है। नौ सीट पर सपा और एक सीट पर बसपा चुनाव लड़ रही है। मैनपुरी सीट पर मुलायम सिंह यादव और रामपुर से आज़म खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, वहीं फिरोजाबाद सीट पर मुलायम परिवार के चाचा-भतीजा आमने-सामने हैं। इन सीटों पर यादव, मुस्लिम और दलित की बहुलता है।
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रामपुर
सर्वाधिक मुस्लिम मतदाताओं वाली सीट रामपुर में सपा के आजम खां को इसी सीट से दो बार सांसद रहीं भाजपा उम्मीदवार के रूप में जयाप्रदा टक्कर दे रही हैं। इस सीट पर मुस्लिम मतदाओं की संख्या 51 फीसदी है। इसके बावजूद 2014 में यहां से भाजपा के नेपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी। इस बार यहाँ आज़म खान और भाजपा उम्मीदवार फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के बीच सीधा मुकाबला है।
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मुरादाबाद
किसी एक पार्टी का गढ़ नहीं रही है। यहां के मतदाता कांग्रेस, लोकदल, जनता दल, जनसंघ, लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, सपा और भाजपा सभी के प्रत्याशियों को जिता चुके हैं। मुरादाबाद में इस बार 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। यहां मौजूदा भाजपा सांसद कुंवर सर्वेश सिंह को कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी और सपा के डाॅ. एसटी हसन टक्कर दे रहे हैं। वर्ष 2014 में पहली बार यहां कमल खिला था लेकिन इस बार इमरान प्रतापगढ़ी ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।
इस सीट पर छह लाख मुस्लिम मतदाता है, जबकि 2.50 लाख दलित, दो लाख ठाकुर और लगभग 1.50 लाख ब्राह्मण और वैश्य मतदाता हैं। सैनी, जाट, प्रजापति और पिछड़े वर्ग के अन्य मतदाताओं की तादाद करीब 2.70 लाख है।
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संभल
संभल लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा के लिए कड़ी चुनौती है। गठबंधन इस सीट पर पूरा जोर लगाए हुए है तो कांग्रेस भी दम भर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर में भी भाजपा ने यह सीट सूबे में सबसे कम वोटों के अंतर से जीती थी। इस बार सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन हो जाने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ी हैं। भाजपा ने सांसद सत्यपाल सिंह का टिकट काटकर परमेश्वर लाल सैनी पर दांव लगाया है। संभल लोकसभा सीट कभी यादव मतदाताओं के दबदबे वाली मानी जाती थी।
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फिरोजाबाद
सपा की गढ़ मानी जाने वाली फिरोजाबाद सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। वर्ष 2014 की मोदी लहर में भी यह सीट सपा के महासचिव रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव को मिल गई थी। लेकिन इस बार परिस्थितियां थोड़ी बदली हुई हैं। यहां से सैफई परिवार के दो दिग्गज आमने-सामने हैं।
सपा से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले दिग्गज नेता शिवपाल यादव अपने भतीजे और निवर्तमान सांसद अक्षय यादव से ताल ठोकने को तैयार हैं।
सैफई परिवार में इन दो दिग्गजों की भिड़ंत का भाजपा ने भी पूरा लाभ उठाने का प्रयास किया है। भाजपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता डॉ़ चंद्रसेन जादौन को उम्मीदवार बनाकर लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। लगभग 603,797 की आबादी वाले फिरोजाबाद में पुरुष 53% जबकि महिलाएं 47% हैं।
यहां का साक्षरता दर 75.01% है जिसमें पुरुष साक्षरता 85.32% और महिला साक्षरता 63% है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां हिंदू 54.36% और मुस्लिम 4.80% जबकि अनुसूचित जाति 18.3% और अनुसूचित जाति 0.2% हैं।
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मैनपुरी
मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य सहित 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां कांग्रेस ने सपा को समर्थन दिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 5,95,918 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी के प्रत्याशी शत्रुघन सिंह चौहान को मात्र 2,31,252 वोट मिले थे। दोनों के बीच 3,64,666 वोटों का अंतर था।
मुलायम के सीट छोड़ने के बाद उपचुनाव में एसपी के प्रत्याशी तेज प्रताप सिंह यादव ने बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को हराया। तेज प्रताप को जहां 6,53,786 वोट मिले वहीं प्रेम सिंह को 3,32,537 वोट मिले। दोनों के बीच 3,21,249 वोटों का अंतर रहा। 2009 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 3,92,308 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे बीएसपी के प्रत्याशी विनय शाक्य को 2,19,239 वोट मिले। मैनपुरी लोकसभा सीट में लगभग 17.3 लाख वोटर हैं।
इनमें सबसे ज्यादा वोटर यादव जाति के हैं। आंकड़े के मुताबिक कुल वोटरों में से 35 फीसदी वोटर यादव हैं। वहीं दूसरे नंबर पर यहां राजपूत, चौहान, राठौर, भदौरिया हैं, ये कुल वोटरों का 29 फीसदी हैं। उसके बाद यहां शाक्य, ब्राह्मण, एससी और मुस्लिम वोटर हैं।
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एटा
महान सूफी संत अमीर खुसरो की जन्मभूमि एटा को उत्तर प्रदेश के राजनीतिक लिहाज से काफी अहम माना जाता है। एटा संसदीय सीट उत्तर प्रदेश के चर्चित लोकसभा सीटों में शुमार की जाती है और पिछली बार की तरह इस बार भी इस सीट पर सभी की नजर रहेगी क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह मैदान में हैं और उन पर चुनाव में जीत हासिल करने का दबाव है जबकि उनके खिलाफ इस बार सपा-बसपा की जोड़ी है।
सपा ने यहां से पूर्व सांसद देवेंद्र यादव को मैदान में उतारा है, जबकि बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी ने सूरज सिंह पर दांव खेला है, जिन्हें कांग्रेस समर्थन कर रही है। लोध और शाक्य मतदाताओं की अधिकाधिक संख्या वाले इस सीट पर कल्याण सिंह का दबदबा रहा है।
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बदायूं
बदायूं लोकसभा क्षेत्र को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है और पिछले 6 लोकसभा चुनाव से सपा इस सीट पर अजेय रही है सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव अभी यहां से सांसद हैं और वह लगातार दो बार यहां से चुनाव जीत भी चुके हैं।
बदायूं लोकसभा सीट पर दो बार से सांसद रह चुके धर्मेंद्र यादव और योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य आमने-सामने हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के पूर्व मंत्री सलीम शेरवानी भी मैदान में हैं। यहां भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है।
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आंवला
आंवला लोकसभा सीट पर 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें मुख्य मुकाबला बीजेपी के निवर्तमान सांसद धर्मेंद्र कश्यप और बहुजन समाज पार्टी की रुचिविरा से है। कांग्रेस की ओर से सर्वराज कुंवर सिंह चुनावी मैदान में हैं। 9 क्षेत्रीय दलों के नेता भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जबकि 2 उम्मीदवार तो निर्दलीय ही मैदान में हैं। रूचिविरा बिजनौर की रहने वाली हैं। इस कारण उनके लिए यह क्षेत्र बिल्कुल नया है। 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 65 फीसदी संख्या हिंदुओं की है। हालांकि लंबे समय से यहां मुस्लिम-दलित वोटरों का समीकरण नतीजे तय करता आया है, इनके अलावा क्षत्रिय-कश्यप वोटरों का भी यहां खासा प्रभाव है। ऐसे में इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन होने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
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बरेली
बरेली लोकसभा सीट पर भाजपा के मौजूदा सांसद संतोष गंगवार, कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन और सपा के भगवत शरण गंगवार के बीच टक्कर है। संतोष गंगवार सात बार से इस सीट से विजयी रहे हैं। संतोष का सीधा मुकाबला गठबंधन के उम्मीदवार भगवत सरन गंगवार से माना जा रहा है। दोनों एक ही बिरादरी से आते हैं।
दोनों उम्मीदवार अपनी बिरादरी के मतों पर अपना-अपना दावा जता रहे हैं। भगवत सरन गंगवार नवाबगंज विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं। वह कुर्मी मतदाताओं के साथ मुस्लिम और दलित मतदाताओं के बूते मजबूती से चुनावी रण में ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह 2009 के परिणाम को दोहराने की कवायद में जी-जान से जुटे हैं। सभी धर्म और बिरादरी के मतदाताओं पर प्रवीण की अपनी पकड़ है।
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पीलीभीत
भाजपा की परम्परागत सीट मानी जाने वाली पीलीभीत पर इस बार भाजपा ने अदला-बदली करते हुए वरुण गांधी को सुल्तानपुर की जगह पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है। जबकि मेनका गांधी को पीलीभीत की जगह सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाया गया है। पीलीभीत से इस बार कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं। सपा ने इस बार यहां से हेमराज वर्मा पर दांव खेला है।