TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

lok sabha election 2019: उत्तर से लेकर दक्षिण तक राजनीतिक विरासत की जंग

समाजवादी पार्टी में विरासत को लेकर दो साल पहले चाचा भतीजे के बीच हुई जंग के बाद पडोसी राज्य बिहार में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने ‘लालू-राबड़ी मोर्चा’ बनाकर तूफान खडा कर दिया है।

Anoop Ojha
Published on: 1 April 2019 8:43 PM IST
lok sabha election 2019: उत्तर से लेकर दक्षिण तक राजनीतिक विरासत की जंग
X

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: समाजवादी पार्टी में विरासत को लेकर दो साल पहले चाचा भतीजे के बीच हुई जंग के बाद पडोसी राज्य बिहार में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने ‘लालू-राबड़ी मोर्चा’ बनाकर तूफान खडा कर दिया है। यूपी के बाद बिहार में शुरू हुई विरासत की जंग के बाद इस चर्चा को एक बार फिर रफतार मिल गयी है कि आखिर राजनीतिक विरासत को लेकर जंग क्यों होती है?

यह भी पढ़ें.....लालू यादव की पार्टी RJD में बगावत, नाराज बेटे तेज प्रताप यादव ने बनाया नया मोर्चा

प्रदेश में कर पहली बार दिखा परिवार में संघर्ष

दो साल पहले देश के सबसे बडे राजनीतिक परिवार मुलायम परिवार में भी विरासत को लेकर जंग को लोग अभी भूले नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उभरते अपनादल में मां-बेटी के बीच विरासत को लेकर जंग चल रही है।

लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव अपनी पार्टी बनाकर खुद को असली उत्तराधिकारी बताने के प्रयास में है जबकि पुत्र अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर विरासत का असली हकदार जताने की कोशिश में हैं।

यह भी पढ़ें.....नमो चैनल के प्रसारण पर फौरन रोक लगाये चुनाव आयोग: कांग्रेस

उत्तराधिकार को लेकर अपना दल में मची है रार

केन्द्र में सत्तारूढ़ एनडीए मोदी सरकार में शामिल अपनादल भी वर्चस्व की जंग में दो फाड़ हो चुकी है। अपना दल की स्थापना स्व डा.सोने लाल पटेल की थी। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने पार्टी की बागडोर संभाली। लोकसभा चुनाव में पार्टी के दो सांसद जीतकर आए।

भाजपा से गठबध्ंन होने के नाते सांसद अनुप्रिया पटेल जो अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव थी। सांसद होने के कारण उन्हे मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। भाजपा द्वारा कृष्णा पटेल से पूछे बिना अनुप्रिया को मंत्री बनाए जाने से अपना दल में विद्रोह जैसी स्थिति बनी।

यह भी पढ़ें.....राम मंदिर और बीजेपी को धार देने वाले नेता पार्टी के लिए अब किसी लायक नहीं

अनुप्रिया पटेल ने अपनी मां कृष्णा पटेल का साथ देने के बजाए भाजपा नेतृत्व के साथ खड़ी नजर आई। उनके इस फैसले से खफा कृष्णा पटेल ने अपनी दूसरी पुत्री पल्लवी पटेल को आगे किया और आजकल वहीं पूरा संगठन देख रही है।

यह भी पढ़ें.....चोरी से चीनी मिल बेच कर मिली रकम का बंदरबांट करने वाले एक साथः भाजपा

विरासत को लेकर गांधी परिवार में भी हो चुकी है जंग

पारिवारिक मतभेद से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का परिवार भी अछूता नहीं रहा। संजय गांधी के निधन के बाद उनकी पत्नी मेनका गांधी ने राजनीतिक विरासत को लेकर विवाद खड़ा किया। उन्होंने कोई समानांतर पार्टी तो नहीं बनाई लेकिन अपने पति के नाम से ‘संजय विचार मंच’ का गठन किया।

इसका पहला सम्मेलन राजधानी के कैसरबाग स्थित बारादरी में किया गया। जिसमें सभी कांग्रेस जनों से शामिल होने की अपील की गई थी।

यह भी पढ़ें....CM फड़णवीस ने कहा- कांग्रेस ने 50 साल तक लोगों को मूर्ख बनाया

लेकिन इंदिरा गांधी के मना करने पर किसी ने संजय विचार मंच के इस सम्मेलन में जाने का साहस नहीं दिखाया। इसी के बाद से मेनका ने अलग राह ली और चुनावी राजनीति में उतर आई। 1984 में हुए लोकसभा के चुनाव में अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में कूद गई। हालांकि इस चुनाव में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा।

यह भी पढ़ें.....कांग्रेस के ‘न्याय’ से बिहार में ‘अन्याय’ पीड़ितों को मदद मिलेगी: तेजस्वी यादव

तामिलनाडु में करूणानिधि के घर में हुआ घमासान

पांच बार तामिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे द्रमुके प्रमुख एम करूणानिधि के परिवार में भी विरासत को लेकर खासी जंग रही। करूणानिधि के बेटे अड़ागिरी और स्टालिन के बीच विरासत को लेकर झगड़ा हुआ। एमके स्टालिन ने बहुत करीने से डीएमके कार्यकर्ताओं के बीच अपने को करूणानिधि के उत्तराधिकारी तौर पर स्थापित किया।

अड़ागिरी मदुरै और उसके आस-पास के इलाकों में अपनी ताकत बढ़ाने में जुुटे थे। दोनों के बीच संघर्ष के बाद करूणानिधि ने एमके स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।

यह भी पढ़ें.....हिंदू-मुसलमान दोनो देते हैं वोट, सात बार से हूं सांसद: मेनका गांधी

एनटीआर के विरासत में हुई खींचतान

इसी तरह आन्ध्रप्रदेश में तेलगूदेशम पार्टी के मुखिया एनटी रामाराव में विरासत को लेकर जंग छिड़ी। रामााराव को उनके दामाद चन्द्रबाबू नायडू ने उन्हे अपदस्थ किया। क्योकि उन्हे इस बात का शक था कि वे अपनी सत्ता दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती को सत्ता सौंपना चाहते है। लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही चन्द्रबाबू नायडू ने सबकों किनारे कर दिया। जम्मू कश्मीर में भी शेखअब्दुल्ला के परिवार को सत्ता की विरासत को लेकर

दोचार होना पड़ा था।

यह भी पढ़ें.....किसानों के लिए खुशखबरी: PM किसान सम्मान निधि की दूसरी किस्त इसी हफ्ते आयेगी

ठाकरे परिवार में हो चुका है द्वन्द

जून 1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया। उनकी विरासत को लेकर उनके पुत्र उद्वव ठाकरे और भतीजे राज ठाकरे के बीच खासा विवाद रहा। विरासत को लेकर बाल ठाकरे के ढुलमुल रवैये के चलते भतीजे राजठाकरें ने ९मार्च 2006 को महाराष्ट्र नवनिनर्माण सेना का गठन कर अपनी राजनीति शुरू की।

यह भी पढ़ें.....वंदेमातरम के विरोधी संसद में शपथ कैसे लेंगे: बीजेपी नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी

सिंधिया मुंडे और बादल परिवार में खिंची रही तलवारें

भाजपा की संस्थापक सदस्यों में रही विजय राजे सिंधिया परिवार में भी राजनीतिक विरासत को लेकर मचा द्वन्द सुर्खियों में रहा। आखिर में उनकी पुत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने भाजपा की राजनीति शुरू की तो उनके पुत्र माधवराव सिंधिया कांग्रेस में रहे और केन्द्र में मंत्री रहे।

बाद में माधवराव के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस में शामिल हो गए। इस समय वे राहुल गांधी की कोरग्रुप में शामिल है।

इसी तरह महाराष्ट्र में मुंडे परिवार में विरासत को लेकर मचा झगड़ा जगजाहिर है। उनकी दोनों पुत्रियां भाजपा की राजनीति में सक्रिय है तो बात न बनने पर उनके पुत्र धनंजय ने एनसीपी का दामन थाम लिया।

इसी तरह पंजाब में अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह के बादल के पुत्र सुखबीर सिंह बादल और भतीजे मनप्रीत के बीच विरासत को लेकर खीचतान रही।बाद में सुखबीर सिंह को ही प्रकाश सिंह बादल का उत्तराधिकार मिला और भतीजे मनप्रीत ने अपनी पार्टी का गठन किया।



\
Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story