OMG: इस खौफनाक जगह पर अकेला रहता है ये जांबाज़, काम जानकर रह जाएंगे हैरान

ऐसे ही एक शख्स के बारे में बता रहे हैं, जो दुनिया की सबसे खतरनाक जगह पर अकेला रहते है। जो पिछले नौ साल से वीरान है। यह शख्स बिना किसी डर-भय के वहां आराम से जिंदगी गुजार रहे है। इस शख्स का नाम है नाओतो मात्सुमुरा और ये  जापान के एक छोटे से शहर तोमियोको में रहते हैं।नाओतो मात्सुमुरा पेशे से किसान हैं। 

suman
Published on: 30 March 2020 6:45 AM GMT
OMG: इस खौफनाक जगह पर अकेला रहता है ये जांबाज़, काम जानकर रह जाएंगे हैरान
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नई दिल्ली कोरोना वायरस ने दुनियाभर में हाहाकार मचा दिया है विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे महामारी घोषित किया है ये कोई पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटनाएं घटी है और शहर-देश तबाह हुआ है। आज लॉकडाउन है इंसान घरों में कैद है परेशान है कि बाहर नहीं निकलना है लोगों से नहीं मिलना है । क्योंकि आमतौर पर इंसान कभी भी अकेला नहीं रहता है चाहे घर हो या कोई क्षेत्र । लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में ऐसे भी कई लोग हैं जो पूरे शहर में अकेले रहते हैं। ऐसे ही एक शख्स के बारे में बता रहे हैं, जो दुनिया की सबसे खतरनाक जगह पर अकेला रहते है। जो पिछले नौ साल से वीरान है। यह शख्स बिना किसी डर-भय के वहां आराम से जिंदगी गुजार रहे है। इस शख्स का नाम है नाओतो मात्सुमुरा और ये जापान के एक छोटे से शहर तोमियोको में रहते हैं।नाओतो मात्सुमुरा पेशे से किसान हैं।

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दरअसल जब जापान के फुकुशिमा न्यूक्लियर घटना हुई तो आसपास के इलाकों के लोग डर गए और इलाका खाली करने लगे। उनमें सबसे आगे नाओतो मात्सुमुरा थे। लेकिन वे फिर लौटकर आ गए। जापान के छोटे से शहर तोमियोका में अब वह अपने जानवरों के साथ अकेले रहते हैं।हुआ यूं कि जब वे मार्च 2011 में सुनामी के कारण जब परमाणु संयंत्र में तबाही मची, वे भी क्षेत्र छोड़कर चले गए थे, लेकिन पशुओं की खातिर लौट आए।

जानवर भूखे मर जाते

नाओतो का कहना हैं कि उन्हें अभी तक कुछ हुआ नहीं है। अगर वे नहीं लौटता, तो शायद यहां के जीव भूख से दम तोड़ देते। चारा लेने के लिए उन्हें वाहन से काफी दूर जाना पड़ता है, क्योंकि वे जहां रहते हैं, वहां आमतौर पर कोई आता-जाता नहीं है। सुनसान क्षेत्र में वे अकेले ही पशुओं की देखरेख में लगे रहते हैं। वे उन लोगों को धन्यवाद देते हैं, जो उन्हें पानी पहुंचाने सहित आर्थिक मदद मुहैया कराते हैं। नाओतो के नाम पर फेसबुक पेज ‘गार्डियन ऑफ फुकुशिमा एनिमल’ बना है, जिससे 14,106 लोग जुड़े हैं।वह जानवरों को तो खिलाते ही हैं। इसके अलावा कुछ लावारिस जानवरों की भी देखरेख करते हैं।

बिंदास जीवन

तोमियोको में पानी, मिट्टी और खाना हर जगह रेडिएशन मिला हुआ था। ऐसे में मात्सुमुरा को पता था कि वहां रहना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन वहां रुके हुए जानवर कहीं और नहीं जा रहे थे। इस वजह से उनको भी वहीं रुकना पड़ा। जब वह लौटकर आए थे तो शुरुआत में उनको रेडिएशन के प्रभावों जैसे कैंसर का बढ़ा हुआ खतरा को लेकर चिंता थी। लेकिन बाद में उनको कोई डर नहीं लगा। उन्होंने बताया कि जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने उनको बताया कि वह 30 से 40 साल तक बीमार नहीं पड़ेंगे। तब से वह बिंदास रहते हैं।

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'रेडियोएक्टिव मैन'

मात्सुमुरा को फुकुशिमा के जानवरों का संरक्षक कहा जाता है। शुरुआत में तो वह सिर्फ अपने पालतू जानवरों का ही ख्याल रखते थे, लेकिन बाद में वह लावारिस जानवरों के संरक्षक बन गए। मात्सुमुरा को 'रेडियोएक्टिव मैन' भी कहा जाता है, क्योंकि एक शोध के मुताबिक, एक आम आदमी पर पूरी जिंदगी में जितना रेडिएशन पड़ता है, उससे 17 गुना ज्यादा मात्सुमुरा पर पड़ा है। इसकी वजह ये है कि जब वो तोमियोको लौटे थे, तो यहां मौजूद सब्जियां, मांस या मछली खाते थे, जिसमें काफी ज्यादा रेडिएशन था। हालांकि अब वो बाहर का खाना खाते हैं और झरने का पानी पीते हैं। इन दोनों ही चीजों में रेडिएशन नहीं है।

शुरुआत में वहां रहना बहुत कठिन था। रेडिएशन का खतरा तो अपनी जगह था ही। इसके अलावा जानवरों के मरने से फैली दुर्गंध को बर्दाश्त करना भी मुश्किल था। अकेले तोमियोको में 1,000 से ज्यादा जानवर फार्मों के अंदर भूख से मर गए। उन फार्मों में से एक तो मात्सुमुरा के घर के बहुत करीब था। सभी जानवर मरकर सड़ गए थे। वहां सिर्फ जानवरों की हड्डियां और सींगें नजर आ रही थीं। जानवरों के शव पर हजारों मक्खियां भिनभिना रही थीं। हादसे के वहां एक तरह का सन्नाटा था और उस बीच में सिर्फ मक्खियों की भनभनाहट ही सिर्फ सुनाई पड़ती थी। मात्सुमुरा बताते हैं कि दुर्गंध इतनी तेज होती थी कि पांच मिनट से ज्यादा समय तक रुकने पर उल्टियां होने लगती थीं।

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न तो बिजली है और न ही पानी।

मात्सुमुरा जिस इलाके में रहते हैं, वहां न तो बिजली है और न ही पानी। हालांकि उनके पास एक सोलर पैनल है, जिसकी मदद से वो अपना मोबाइल चार्ज कर लेते हैं। साथ ही साथ उससे कंप्यूटर भी चला लेते हैं। उन्हें सिगरेट पीने की एक बुरी लत है। अब चूंकि उनके इलाके में तो कोई रहता नहीं, इसलिए वो कहीं दूर जाते हैं और सिगरेट खरीद कर लाते हैं। उनका कहना है कि अगर वो सिगरेट नहीं पीएंगे तो बीमार ही पड़ जाएंगे।

इतनी भयावह स्थिति के बाद भी मात्सुमुरा का सेंस ऑफ ह्यूमर गजब का है। लेकिन उनको जापानी सरकार के एक फैसले पर गुस्सा उठता है। जापानी सरकार ने टेपको नाम की कंपनी को न्यूक्लियर प्लांट सौंपा था। मात्सुमुरा बताते हैं, 'फुकुशिमा के लोगों ने सरकार के फैसले का बहुत कम विरोध किया। टेपको ने उनका घर, उनकी जमीन, पानी, हवा और सबकुछ छीन लिया। और लोगों ने इसको स्वीकारा। न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण से पहले कोई गुस्से में नहीं था। अगर वहां न्यूक्लियर प्लांट नहीं बनता तो इस तरह का हादसा कभी नहीं होता। हर किसी को ठगा गया है।'

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