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2000 Rupees Note: आखिर क्यों बंद होने जा रहे हैं दो हजार रूपये के नोट ?
2000 Rupees Note: वर्ष 2016 में जब नोटबंदी हुई थी तब उस समय की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए इन्हें बाजार में लाया गया था। नोटों को वापस लेने के पीछे आर.बी.आई. का कहना है की 89 फ़ीसदी दो हजार के नोट मार्च 2017 के पहले जारी किये थे और ये नोट अपनी अवधि पूरी कर चुके हैं।
2000 Rupees Note: भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने एक आदेश के तहत दो हजार के नोटों को वापस लेने का फैसला लिया है। वर्ष 2016 में जब नोटबंदी हुई थी तब उस समय की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए इन्हें बाजार में लाया गया था। नोटों को वापस लेने के पीछे आर.बी.आई. का कहना है की 89 फ़ीसदी दो हजार के नोट मार्च 2017 के पहले जारी किये थे और ये नोट अपनी अवधि पूरी कर चुके हैं। प्रचलन में इन बैंक नोटों का कुल मूल्य, 31 मार्च, 2018 को अपने चरम पर ₹6.73 लाख करोड़ से घटकर ₹3.62 लाख करोड़ हो गया है। 31 मार्च, 2023 तक, प्रचलन में कुल नोटों का केवल 10.8 प्रतिशत ही दो हजार के नोट थे।आर.बी.आई. का यह भी कहना है कि दो हजार के नोट साधारणतया प्रयोग में नहीं है। ऐसे में दो हजार की नोट को लेकर आम आदमी के जेहन में कई बातें हैं। जिसकी जानकारी से ही उद्देश्यों की पूर्ति हो पायेगी।आइये जानते है कि आखिर क्यों बंद होने जा रहें है दो हजार रूपये के नोट ?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देश हित में कड़े निर्णय लेना
भारतीय राजनैतिक इतिहास को आप देखेगे और समझने की कोशिश करेगे तो यह ज्ञात होगा कि नरेन्द्र मोदी कड़े निर्णय देश हित में त्वरित लेने और प्रभावशाली रूप से लागू करने के लिए जाने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थवयवस्था को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के अभियान के लिए कई कड़े निर्णय लिए हैं। 2016 की नोटबंदी और 2023 में दो हजार के नोटों का वापस लेना उसी कड़े निर्णयों में से एक है ।
कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए
नरेन्द्र मोदी कालेधन के सख़्त खिलाफ रहे हैं। और सरकार के इस निर्णय से निसंदेह काले धन पर जोरदार चोट पहुची है। क्योंकि नोटबंदी के बाद अधिकांश कालेधन का संचय दो हजार के बड़े नोट के रूप हो रहा था । तभी तो अधिकांश दो हजार के नोट बाजार से गायब हो कर तिजोरी में पहुँच गए थे। समय - समय पर नोटों का बंद कर दिया जाना और नए नोटों को बाजार में लाना, बड़े वैल्यू के नोटों को बंद कर देना कालेधन के संचय करने वाले लोगों के खिलाफ भी बड़ा प्रहार है। जिसके लाभ के स्वरुप में देश का विकास तेजगति से होता है।
आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के लिए
आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के लिए इस तरह के कड़े निर्णय बहुत प्रभावी सिद्ध होते रहे हैं। वर्ष 2016 में नोटबंदी के पश्चात आतंकवादियों की फंडिंग पर बड़ा प्रहार हुआ था और बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग भी रूक गयी थी। पुनः सरकार के इस निर्णय से इन दोनों क्षेत्रों में समय के साथ आये थोड़ी राहत को ख़त्म करने में मदद मिलेगी।
नकली नोटों पर अंकुश लगाने के लिए
नकली नोटों का बाजार भी समय के साथ-साथ परिवर्तित होता रहता है। जालसाज नोटों की पहचान और उसके पहलुओं को अच्छी तरह से समझ कर नकली नोटों को छापना और अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुँचाने के उद्देश्य से बाजार में चोरी – छिपे कम मूल्य में लोगों को नोट देकर बड़ा नुक़सान पहुँचाते हैं। ऐसे में नोटों का बाजार से आकस्मिक रूप से वापस ले लिया जाना नकली नोटों पर अंकुश लगाता है।
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डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए
भारत सरकार के प्रयास से डिजिटल ट्रांजेक्सन में तेजी से वृद्धि आई है। बी.सी.जी. की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2026 तक वर्तमान में हो रहे डिजिटल ट्रांजेक्सन में तीन गुना वृद्धि हो जाएगी। ऐसे में सरकार ने भविष्य के बाजार को ध्यान में रखते हुए दो हजार के नोटों को बाजार से वापस लेने का फैसला लिया है। इससे सरकार की नोट छपाई की लागत में न केवल कमी आएगी बल्कि डिजिटल भुगतान के प्रति लोगों का रुझान भी तेजी से बढेगा।
देश के आन्तरिक और वाह्य दुश्मनों की पहचान हेतु
एक तरफ जहाँ वित्तीय नुक़सान देश की बाहरी व्यस्था और कुचक्रो से है। वहीं दूसरी तरफ में भी कई ऐसी अवैधानिक व्यवस्था अघोषित तरीके से चल रही है जिसमे एक बड़ा नेटवर्क कार्य कर रहा है। अपने बड़े लाभ के लिए कई ऐसी क्रियाओं को सम्पादित कर रहा है जिससे महंगाई और भ्रष्टाचार में तेजी से वृद्धि हो रही है। ऐसे में इन पर प्राण-घात हमला इस तरह के बड़े निर्णय से ही संभव हो पायेगा। इस तरह के निर्णय से सरकार उन लोगों की पहचान आसानी से कर सकती है। जिनकी आय के अपेक्षा सम्पत्ति बहुत अधिक है। उनके खिलाफ कार्यवाही भी सुनिश्चित करे पायेगी।
हालाँकि विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। आरोप – प्रत्यारोप का दौर जारी है। कई लोग कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की हार से इसे जोड़कर देख रहे है, परन्तु बड़े उद्देश्यों की पूर्ति का आकलन करे तो यह ज्ञात होता है कि ऐतिहासिक रूप से देश में कालेधन और भ्रष्टाचार पर नरेन्द्र मोदी ने जितने बड़े बदलाव और कठिनतम निर्णय लिए हैं, कोई भी प्रधानमंत्री लेने से न केवल डरा था, बल्कि उन बातों का जिक्र भी कभी नहीं करता था। मोदी बड़े समूह और लाखों लोगों के बीच भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ खुलकर न केवल बोलते रहें हैं। बल्कि कड़े निर्णय लेकर सभी को दंतोंतले उँगलियाँ दबाने को विवश भी किया है।
देश के अभी भी कई सेक्टर ऐसे है, जहाँ कुछ लोगों द्वारा संगठित होकर कालेधन का प्रयोग किया जा रहा है, तभी तो दो हजार के बड़े नोट बाजार से बिलुप्त हो गए थे। सरकार के इस निर्णय से न केवल भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगेगी। बल्कि देश की आर्थिक प्रगति भी तेजी से होगी। आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग में भी कमी आयेगी। यदि सरकार दो सौ से ऊपर के सभी नोटों को बाजार से वापस ले ले और पांच हजार से अधिक नगद भुगतान पर रोक लगा दे तो भारत में न केवल शत-प्रतिशत भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगेगी, बल्कि देश की आर्थिक विकास की गति का पहिया चार गुना तेजी से दौड़ेगा।