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खुशहाल बालिका भविष्य देश का

सरकार द्वारा देश में लिंग परीक्षण को लेकर बड़ा सख्त कानून बनाया है ताकि गर्भावस्था में बच्चे का लिंग जानने के बाद फीमेल लिंग होने पर उसका भ्रूण हरण ना किया जाए|

Roshni Khan
Published on: 24 Jan 2021 3:36 PM IST
खुशहाल बालिका भविष्य देश का
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बालिका दिवस पर राजीव गुप्ता जनस्नेही का लेख (PC: social media)

Rajiv Gupta Janasnehi

राजीव गुप्ता जनस्नेही

लखनऊ: महिला एवं विकास मंत्रालय ने वर्ष 2008 में 24 जनवरी को हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस के तौर पर मनाने निर्णय लिया| जैसे इस मंत्रालय के नाम और इस दिवस के नाम से बड़ा स्पष्ट उद्देश्य पता चलता है कि यह राष्ट्र की बालिकाओं के उत्थान, सम्मान, स्वास्थ्य के साथ लिंग के भेद भाव या कहिए असमानता का सामना ना करना पड़े। वर्ष 2008 ,24 जनवरी को सभी बालिकाओं को शिक्षा, कानूनी अधिकार ,शारीरिक शोषण ,कन्या भ्रूण ,स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए ना केवल कानूनी संरक्षण देते हैं बल्कि तमाम सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से जगह-जगह पर सेमिनार ,नुक्कड़ नाटक ,शॉर्ट फिल्म ,लड़कियों के मां-बाप को सम्मान व लड़कियों के द्वारा किए गए कार्य को समाज में प्रचारित करके समाज में प्रेरणा का स्रोत बनाया जाता है।

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देश में लिंग परीक्षण को लेकर बड़ा सख्त कानून बनाया है

सरकार द्वारा देश में लिंग परीक्षण को लेकर बड़ा सख्त कानून बनाया है ताकि गर्भावस्था में बच्चे का लिंग जानने के बाद फीमेल लिंग होने पर उसका भ्रूण हरण ना किया जाए| इस को मद्देनजर रखते हुए सभी अल्ट्रासाउंड जांच करने वालों के लिए एक कड़ा कानून बनाया है ।सरकार समय-समय पर लड़कियों के लिए तमाम तरह की योजनाएं बनाती है ताकि उनका विकास और वृद्धि हो सके| सरकार ने कन्या धन योजना जैसी अनेक योजनाओं के साथ भारत सरकार की वर्ष 2015 मेंबेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू करी हुई है । पिछड़े वर्गों की लड़कियों को शिक्षा के लिए खुले मंच का भी बंदोबस्त किया है | ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों की बेहतरीन आजीविका सुनिश्चित करने के मकसद से कई स्वयं सहायता समूह चलाए जा रहे हैं।

किसी भी राष्ट्र का उत्थान उस देश की आधी आबादी पर भी निर्भर करता है और आज इस युग में लिंग भेद करना विकास में बाधा है और अपने आप को एक धोखा देने जैसा है ,इसलिए समाज के हर प्राणी और परिवार के हर बड़े सदस्य की जिम्मेदारी बनती है कि वह बालिकाओं के नाम पर अपशकुन जैसी बात ना करें और उनका गर्भ में भूण हरण ना करें साथ ही उनके पोषण में ,स्वास्थ्य में लड़का और लड़कियों की के लिए भेदभाव ना करें |

एक बालिका ही आपके घर की बेटी बनती है

आज एक बालिका ही आपके घर की बेटी बनती है जो किसी के घर की बहू होती है और बिना बहू के आपका वंश भी नहीं चल सकता| आज के समय यह किवदंती पुरानी हो चली है ।भारत जैसे देश में जहां पर नारी को देवी का स्वरूप माना जाता है वहीं पर जब लिंग भेद की बात आती है तो बड़ा ही आश्चर्य होता है इसलिए आज संपूर्ण समाज व हर परिवार की जिम्मेदारी बनती है कि हम लिंग भेद का पुरजोर ना केवल विरोध करें बल्कि बालिकाओं के स्वास्थ्य के लिए शिक्षा के लिए वह बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए उन्हें समय-समय पर गैर सरकारी संगठनों, सरकारी संगठनों और खुद अपने कार्य से लोगों को उदाहरण पेश करना चाहिए कि तभी यह राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी के महत्व की महत्ता होगी।

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भारत की महिलाओं ने यह सिद्ध कर दिया

आज हम पुरुष को जितना महत्व देते हैं और काम के क्षमता का आंकलन करते हैं वही भारत की महिलाओं ने यह सिद्ध कर दिया कि वह वायु सेना और नौसेना हो या थल सेना हो खेल-खिलाड़ी हो राजनीतिक हो या प्रतिष्ठित यूनाइटेड अमेरिका जैसे देश मैं पद लेना हो भारत की महिलाएं किसी से कम नहीं है| इसलिए मैं सभी से निवेदन करूंगा कि आप उनकी परवरिश में किसी प्रकार की कोताही ना बरतें यह बेटियां ही हैं जो बेटों से ज्यादा अपने मां-बाप की और अपने पीहर की चिंता करती हैं इसलिए मैं कहता हूँ बेटी है आज तो समाज है कल का नारा भी आपको ही देना पड़ेगा।

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Roshni Khan

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